ताऊ जी की झेंप
ताऊ जी की झेंप
मैंने होश संभालने के बाद अपने इतने बड़े परिवार में पहली बार किसी की मौत देखी थी। मेरा अठारह वर्षीय चचेरा भाई जो मुझे सगे भाई से भी ज्यादा प्यारा था, उस दिन भयंकर करंट की चपेट आकर लाश में बदल गया।
घर में हाहाकार और क्रंदन मच गया। हमारे यहां अंत्येष्टि पैतृक जन्मभूमि पर ही करने का विधान है सो हम सब मृत शरीर को लेकर गांव पहुंचे। सारे नाते रिश्तेदार दहाड़े मारते हुए घर में प्रवेश करने लगे। गांव के लोग ढांढस बंधा बंधा कर थक गए पर एक समूह चुप होता तो दूसरा रोने लगता।
संयुक्त परिवार होने की वजह से गांव से बाहर शहरों में रहने वाले परिवारजन बारह दिन तक वहीं रुके। सबसे ज्यादा हृदय विदारक रुदन औरतों का होता जिसे सुनकर बच्चे तक रोने लगते।
किसी तरह ये मनहूस दिन ख़त्म हुए तो सब अपने अपने घरों को जाने लगे। जाने से पहले सब एक-दूसरे से गले मिलकर रो रहे थे।
मेरी मां और एक ताईजी देखने में बिल्कुल एक जैसी लगती है।
वो ताईजी जाने से पहले बुआ से गले मिलकर रोने लगी। ताई जी घूंघट में थी और ताऊजी ने सोचा कि वो मेरी मां है इसलिए उनके सिर पर हाथ फेरते हुए उन्हें चुप कराने लगे। रोती हुई बुआ बार बार ताऊजी का हाथ हटा रही थी पर वो समझ नहीं पाए। मेरी अचानक हंसी फूट पड़ी। ताऊजी तुरंत झेंपते हुए दूर जाकर खड़े हो गए। मैंने चार्ली चैप्लिन की तरह हास्य और त्रासदी का एक साथ अनुभव कर अपना सिर झुका लिया। ताऊजी का चेहरा देखने लायक था। आज भी जब वो दृश्य याद आता है तो बरबस हंसी आ जाती है।