सीख
सीख
आज बिट्टू को कुछ नया सिखाने की गरज से, पढ़ाने बैठी ही थी। कि मोबाईल पर छोटी बहन का नम्बर फ्लैश हुआ। उठाते ही वो मुझसे मुस्कुराकर बोली, और क्या मज़े ले रही है। मैंने कहा क्या मजे बस सारा दिन वही रूटीन है। ऐसा लगता है जैसे पिछले कुछ सालों से खुशी मेरे घर का जैसे ठिकाना ही भूल गई। फिर उसके बाद में बिट्टू को नजर अंदाज कर। अपनी सास समेत पूरे परिवार की कई कमियां उसे बेझिझक गिनाती जा रही थी। बिट्टू भी अपनी पढ़ाई छोड़ हमारी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा था। बहन से बात खत्म होने पर मैंने जब दोबारा उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। तब वो मासूमियत से बोला, मम्मा हमारी टीचर कहती है, की यहाँ हम तभी खुश रह सकते है जब हम दूसरों को खुशी देना जानते हो।
उसकी बात सुन मेरी नजरें शर्म से झुक गई। और अचानक खयाल आया की सोचा तो था, की आज बिट्टू को कुछ नया सिखाऊंगी। पर आज तो बिट्टू ही अपनी बातों से मुझे बहुत कुछ सिखा गया।
