गुड़ी पड़वा
गुड़ी पड़वा
श्रेयस के घर आज उत्सव का महौल था, सारा परिवार उत्साह के साथ परंपरा अनुसार गुड़ी के पूजन में लगा था। पूजन के बाद सभी को भोजन में शुद्ध घी से बनी पूरनपोली व श्रीखंड सहित कई सारे व्यंजन परोसे गए। ड्राइफूट्स मिश्रित श्रीखंड देखने में जितना मोहक था, खाने में भी उतना ही स्वादिष्ट। पर भी घर के बच्चे उसे खाने में बड़ी ही मनोनि करा रहे थे। यह देख श्रेयस को अनायास ही याद आया कि उसके बचपन में गरीबी के चलते कैसे उसके पिता दामोदर राव हफ्तों पहले से इस त्यौहार की तैयारी में जुट जाते थे। और माँ शांता आज के दिन बाजार से बहुत थोड़ा सा चक्का ला श्रीखंड बनाकर सब के शुभ की कामना करते हुए, थोड़ा थोड़ा सा श्रीखंड पूरे परिवार को चटा दिया करती थी।
