इस लॉक्डाउन के समय पुस्तकें ही तो हैं जो हमे आहिस्ता आहिस्ता जीना सिखा रहीं हैं इस लॉक्डाउन के समय पुस्तकें ही तो हैं जो हमे आहिस्ता आहिस्ता जीना सिखा रहीं हैं
अपनी पढ़ाई छोड़ हमारी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा था अपनी पढ़ाई छोड़ हमारी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा था
आज उस तरुण की ख़ैर नहीं, आज उसे सबक सिखा कर रहूँगी आज उस तरुण की ख़ैर नहीं, आज उसे सबक सिखा कर रहूँगी
चोर और कोई नहीं बल्कि प्रतिभा की छोटी बहन थी। चोर और कोई नहीं बल्कि प्रतिभा की छोटी बहन थी।