पीले फूल
पीले फूल


दफ्तर के लिए जाते हुए पति को टिफिन पकड़ाते हुए पत्नी बोली,"सुनो जी दफ्तर से लौटते हुए पीले फूल लाना मत भूलना" आज गुरूवार है याद है ना"
"ओफो सरला! फिर.वही अंधविश्वास वाली बात।गुरुवार,चने की दाल,पीले फूल,तुम कब समझोगी"।
"ये सब मैं तुम्हारे लिए ही तो करती हूँ,जल्द से जल्द तुम्हारी पदोन्नति हो जाए ,हमारे पड़ौसी जगदीश जी की पदोन्नति हो गई,मिसेज जगदीश अपनी खुशी सबको सुनाती फिर रही हैं",पत्नी बोली।
"सो तो अच्छी बात है ,"क्या मिसेज जगदीश ने कहा है ये सब करने से उनके पति का प्रमोशन हुआ है" पति ने पूछा ।
"नहीं तो।"
"फिर किसने कहा कि ये सब करने से पदोन्नति हो जाएगी, "
"पंडित जी ने कहा,और किसने ।"
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"यदि ऐसा है तो पंडित जी के बेटे की पदोन्नति क्यों नहीं हुई, वो भी तो मेरे ही दफ्तर में काम करता है" ,पति बोले ।
"वो सब मैं नहीं जानती जी मुझे आप से मतलब है ।"
"पगली मैं वही तो समझा रहा हूँ ।पदोन्नति वरीयता से होती है,काम की मूल्यांकन रिपोर्ट से होती है।ये और बात है कभी चापलूसी और भेंट सौगात भी अच्छा मूल्यांकन लिखवाने के काम आ आती हैं । किंतु चने की दाल खाने से,पीले फूल चढाने से न तो किसी की वरीयता बदलती है,न काम की मूल्यांकन रिपोर्ट ।
"अजी क्या ऊलजलूल बोल रहे हो।आस्था में बड़ी ताकत होती है ।"
" खैर तुम नहीं समझोगी, मैं पीले फूल ले आऊँगा । "