Nandita Srivastava

Abstract

5.0  

Nandita Srivastava

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पीले फूल

पीले फूल

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जी हाँ यह देखो ना मेरा पीला फूल खिल गया, वह हवा के झोंके साथ धीरे डोल रहा है, ठंडी ठडी हवा के झोकें चल रहे हैं।

लगता है ना यह पीला फूल मेरी तरह से ही खुश हैं, वाह बहुत खूब मन कर रहा है अपने दोनों हाथों को उपर उठाकर चीखूँ और पुरी दुनिया आकाश पाताल सब को बता दूँ कि हाँ मैं बहुत खूश हूँ, पर बडा डर लगता है अब खुश रहने में भी।

कहीं किसी की नजर ना लग जाये पर कोई बात नहीं पीले फूल तुम खिले ही हो बस मेरे लिये ही, और मेरे जीवन का नव संचार हो हाँ तुम ही तो हो, पर मैं तुमसे नाराज हूँ।

जानते हो काहे बस इसलिये कि तुम बस बंसत में ही खिलते हो हर समय खिलों तो हम खुश रहने के बहाने तो ना ढूंढे बस तुम को देखकर खुश हो लिया करूँ।

तुमको शायद मालूम नहीं कि तुम तो शिशू थे जब तुमको हमारे जीवन के संबल ने भेंट दिया। फिर मेरे चेहरे पर आये जुल्फों को हटाकर कहाँ कि हम आपके साथ हमेशा है। हर सुख में, हर दुख में और यह पौधा तुमको बताता रहेगा कि हम आपके साथ हैं। हाँ, हाँ, पीले फुल तुम बस खिलों और खुब महको बस यही अरदास हैं शिव से। चलिये हमारे लेख या अनुभव से, आप लोग भी खुश हो जाये आप सब के जीवन में सदैव बंसत रहे।


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