पार्ट 10:--क्या अनामिका वापस आएगी ??
पार्ट 10:--क्या अनामिका वापस आएगी ??
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि संपत का फोन आता है और अंकित तेज़ी से ऑफिस की ओर निकल जाता है...अब आगे
राव इंडस्ट्री के बाहर मीडिया के भीड़ लगी थी, बड़ी मुश्किल से अंकित भीतर जा पाया, सामने ही राव सर नाईट सूट में एक पुलिस इंस्पेक्टर के साथ खड़े थे, उसे देखा तो हाथ का इशारा देकर बुला लिया...
"सर ...संपत का फ़ोन आया था....वो कह रहा था कि..."
अंकित ने डरते हुए बड़ी मुश्किल से पूछा
"सही सुना तुमने ....राखी नहीं रही..."उन्होंने अंकित के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
"क्या ....ये नहीं हो सकता सर्... कैसे हो सकता है ऐसा"
राव सर ने उसे अंदर जाने का इशारा किया और अंकित भारी कदमों से अंदर गया तो सामने ऑफिस का लगभग सब स्टाफ़ मौजूद था, पास पहुंचा तो दृश्य देख कर हिल गया, राखी निस्तेज जमीन पर नीचे पड़ी थी, उसकी आंखें अब भी खुली थी ...थोड़ी दूरी पर ही उसके माता -पिता सदमे की अवस्था में थे....
"रा...खी ....(सुबकते हुए) ...ये क्या हो गया, कैसे हो गया ...हम तो आज कॉफी पीने जाने वाले थे...आंखें खोलो ...उ...ठो" अंकित बहुत दुख में बोला
"अंकित सर....संभालिये खुद को" नीरू ने कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
"नीरू ...कैसे हुआ ये सब"
"मुझे खुद हैरत है....कि ये सब कैसे हो गया....मुझे कुछ नहीं पता...बस्स संपत का फ़ोन आया था...और" नीरू रोने लगती है
"हम्म संपत... सम्पत ...कहाँ है "अंकित, संम्पत को ढूंढ़ते हुए बाहर आता है तो देखता है कि संम्पत, राव सर और उस इंस्पेक्टर के पास खड़ा कुछ बता रहा है, अंकित भी वही खड़ा होकर संम्पत की बात सुनने लगा
"ऐसे नहीं... सिलसिलेवार बताओ कि हुआ था कल"
इंस्पेक्टर ने अपना काला चश्मा उतारते हुए पूछा
"राव सर कल लगभग साढ़े पांच बजे ऑफिस से निकलते हुए बोले कि 'संम्पत , राखी को कुछ काम है वो लेट घर जाएगी, ऑफिस में ही रहना और उसके जाने के बाद ही जाना...
संपत थूक गटकते हुए चुप हो गया..
"फिर क्या हुआ" इंस्पेक्टर ने गरजते हुए पूंछा
"मैंने लगभग पौने सात बजे, राखी मैडम से पूछा कि वो कब जाएंगी, उन्होंने कहा लगभग बीस मिनट और लगेंगे...मैं पड़ोस की बनी बिल्डिंग में चला गया, उस बिल्डिंग के गार्ड दाताराम के साथ में कभी -कभी बीड़ी पी लेता हूँ, ...सोचा, तब तक उसी के पास बैठ लूं, थोड़ी देर में वापस आया तो मैडम की सीट पर अंधेरा था, मैंने राखी मैडम को आवाज दी ....लेकिन कोई जवाब नहीं मिला....
"फिर"
"फिर मैंने ...मेन स्विच से लाइट जलाई तो देखा वो सीट पर नहीं थी...तो यही लगा कि वो चली गयी होंगी.. फिर मैंने ताला लगाया और मैं भी चला गया....जब सुबह तड़के राव सर और राखी के पिताजी, ने मेरे कमरे पर आकर दस्तक दी ..तब हम यहाँ आये, देखा तो ....राखी मैडम ....अपनी मेज.... के पीछे ही.....
संम्पत का गला रुंध आया
"साले ...यहाँ... नौकरी करने आता है..या...पड़ोसी से गप्पे हांकने .." उसने सम्पत पर हाथ उछाला ही था कि राव सर उसे रोकते हुए बोले
"नवीन ......माइंड योर लेंग्वेज एन्ड बिहेवियर"
"सॉरी सर...वो जरा..." इंस्पेक्टर नवीन ने जब अपनी तेज़ आवाज को संयत किया
"मैं संपत को, इसके बचपन से जानता हूँ, इस पर शक करने का मतलब बस्स समय की बर्बादी है, इसका ये व्यवहार सामान्य है..क्योंकि अब हादसा हो गया है, इसलिए इसकी गलती नजर आती है..राखी की डेस्क आगे से बंद (कबर्ड ) है ...इसीलिए उसके पीछे कुछ नहीं दिखता ...जब तक कि आप बिल्कुल पास ना चले जाओ ..
"जी ...राव सर मुझे आपका बयान भी चाहिए होगा"
"हम्म...आप तो जानते है, कल मौसम खराब था, क्योंकि राखी कई बार पहले भी... मेरे, आऊट हाउस में रुक चुकी है...उन्हें लगा वही रुक गयी होगी.....राखी के पिता ने मुझे कई बार फ़ोन किया लेकिन उनका फ़ोन कनेक्ट नहीं हुआ, ..फिर उन्हें चिंता हुई , और लगभग साढ़े तीन या चार बजे के आसपास वो मेरे घर आ गए...फिर मैं उनके साथ आउट हाउस आया ...वहाँ सिर्फ संम्पत था..उससे पूछने के बाद हम यहाँ आये....देखा...तो राखी....और फिर आपको फ़ोन कर दिया"
अपनी बात पूरी करने के बाद राव सर वहीं पड़ी कुर्सी पर बैठ गए,
"हम्म ..." और अंकित की ओर इशारा कर "ये कौन है"
"ये अंकित है , मेरे पी. ए., हाल ही मैं जॉइन किया है, राखी इन्हें ट्रेंड कर रही थी"
"मुझे इनका भी बयान लेना है" इंस्पेक्टर नवीन ने कहा
"आप को जो करना है कीजिये, बस्स जल्द से जल्द राखी की मौत का पता पता लगाइए,
फिर अंकित से..".इन्हें बयान देने के बाद घर चले जाना और सबको भी जाने को बोल देना ...कल देखते हैं"
अंकित ने हाँ में सिर हिलाया और इंस्पेक्टर उसे एक साइड में ले गया पूछ -ताछ करने ....
राखी की बॉडी को पोस्ट मार्टम के लिए ले जाया गया और ...
अपना बयान देने के बाद अंकित वापस अपने घर आ गया ...
उदास और परेशान अंकित पहुंच गया अनामिका के घर, वो बाहर ही खड़ी दिख गयी, अंकित को देखते ही बोली
"आइये...बैठिये ...में बस्स अभी आयी "
बोलकर चली गयी और कॉफ़ी ले कर लौटी
"आपको पता लगा..."अंकित ने बड़ी धीमी आवाज में पूछा
"हम्म....न्यूज में देखा ....बहुत बुरा हुआ ना" अनामिका ने अफसोस जताते हुए कहा
"राखी एकमात्र दोस्त थी मेरी...वो मुझसे छोटी थी, फिर भी बेहद होशियार ...हमेशा मेरी मदद करती रहती...वो भी बिना किसी अपेक्षा के ...कल उसने कॉफ़ी के लिए बोला था, लेकिन मैं ...कितना बुरा हूँ... जो मैंने उसे मना कर दिया...हम आज कॉफी पर जाने वाले थे"
अंकित ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा
"सब्र रखिये...क्या हो सकता है"
थोड़ी देर चुप रहने के बाद....
"अनामिका जी, मैं कॉफ़ी नहीं पिऊंगा"
अंकित ने अपने हाथों को आपस में कसकर पकड़ते हुए कहा
"क्यों... भला"
"राखी को कॉफी बहुत पसंद थी...मैं उसे भुला नहीं पा रहा"
अंकित ने दुखी स्वर में कहा
"आप उसे भुलाना चाहते ही क्यों हैं..वो आपकी दोस्त थी ...उसे दोस्त बनाये रखिये, भुलाना क्यों?" अनामिका ने संवेदना जताते हुए कहा
अंकित :--(कुछ तय करते हुए) हम्म ...सही कहा आपने, मैंने इस तरह सोचा ही नहीं... आपकी इस बात से तो तसल्ली मिली...चलता हूँ..एक दो दिन नहीं आ पाऊँगा"
"जब आपको ठीक लगे, तब आइये..."
और अंकित वहाँ से चला आया...फिर 3 दिन तक नहीं गया अनामिका के पास..ऑफिस में पूजा कर दी गयी ..शुरू में माहौल जरूर सामान्य नहीं रहा, लेकिन काम चलता रहा।
अंकित नोट्स बना -बना कर ...4 से 5 दिन में एक बार अनामिका को देकर आता रहा... लेकिन कोई खास बातचीत नहीं हुई...इसी बीच ..राखी केस की फाइनल रिपोर्ट आ गयी कि, किसी डर या डरावनी चीज़ को देखने से कार्डियक अटैक से मौत हुई थी राखी की...
बीस-पच्चीस दिन बीत गए...अंकित को सेलेरी भी मिल जाती है और वो बकाया सारा किराया अपने मकान मालिक को दे देता है ... ....जैसा आमतौर पर होता है.....जिंदगी वापस पटरी पर आ जाती है....
अंकित अनामिका के घर के अंदर जा पाता इससे पहले ही वो बाहर आकर बोली..
"एक बात पूछूँ ? "उसने मुस्कुराते हुए कहा
"हाँ ...हाँ ..बिल्कुल पूछिये"
"आप ने डिनर के लिये कहा था ...याद है ?
"(बहुत खुश होकर) जी...बिल्कुल...अच्छी तरह याद है"
"तो ठीक है ...चलिए?
"अभी..."?
"बिल्कुल अभी"
अंकित मन में... येहहहह....उहूहू...यसस्स
"और वो मस्कुलर "? हा हा हा ...हूँ ... वो तो गया...इसे आज ही प्रपोज़ कर दे अंकित ...हाँ सही ...बहुत हुआ...आज ही कर दूंगा
अंकित :--(अपनी खुशी छिपाते हुए) ठीक है चलिए"
"बस्स ...दो मिनट ...आप बैठिये में तैयार होकर आती हूँ"
अंकित अंदर बैठ जाता है और अनामिका का इंतज़ार .. बहुत खुश और बेसब्र होकर करते हुए... बार बार टाइम देखता है...और मन मे कहाँ ले जाएगा ...किसी भी अच्छे रेस्टोरेंट ...शानदार डिनर कराऊँगा ...फिर अच्छा सा मौका देखकर प्रपोज़ कर दूंगा ...हाँ ठीक रहेगा...
कुछ ही मिनट में अनामिका कुछ ड्रेसेस हाथ में पकड़े वो सामने आती है अंकित के
..."देखो कुछ समझ नहीं आ रहा...में चाहती थी कि व्हाइट नई ड्रेस हो...लेकिन ... क्या फिर कभी चलें ? उसने पूछा और अंकित मानो आसमान से नीचे आ गिरा ...
मन में ..."ये क्या है यार...इतना अच्छा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता मैं...तो ...अब ? मुझे लगता है जो ड्रेस मैंने इसके लिए खरीदी..वो मुझे इसे गिफ्ट कर देनी चाहिए ...कहीं नाराज हो गयी तो? सीधा जीरो पर चला जायेगा...और नहीं बताया तो ...ये मौका हाथ से चला जायेगा ...और इसी बीच कहीं वो मस्कुलर आ गया तो .??? नहीं नहीं
अनामिका सामने खड़ी उसे देख रही थी ...और अंकित ऊपर से तो सामान्य मगर उसके अंदर असमंजस की बड़ी सी लड़ी उलझी हुई थी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे ..कि एकाएक उसने मानो निर्णय ले लिया........
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