Gita Parihar

Abstract

3  

Gita Parihar

Abstract

ओडिशा की महान विभूति

ओडिशा की महान विभूति

2 mins
429


दोस्तो,आज मिलते हैं, कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि ओडिशा के हलधर नाग से। कैसे पहचानेंगे इस विभूति को ? क्या कभी किसी चैनल ने साक्षात्कार दिखाया, अथवा इनकी उपलब्धियों का बखान किया ? गूगल पर खोजने पर जो तस्वीर दिखेगी,वह चौंका देगी।क्यों ?तन पर धोती के सिवाय कोई वस्त्र नहीं,नंगे पैर मिट्टी के चूल्हे पर पका भोजन सामान्य बर्तनों में , जमीन पर बैठकर खा रहे हैं। 

हलधर नाग ही वह महानुभाव हैं जिन्होंने अभी तक २० महाकाव्य और अनेक कविताएं लिखी हैं।

विशेष बात यह है कि ये कविताएं और 20 महाकाव्य उन्हें मुंहज़ुबानी याद हैं। पांच विद्वान उनकी कोसली भाषा की कविताओं पर पीएचडी कर रहे हैं। संभलपुर विश्वविद्यालय इनके सभी लेखन कार्य हलदर ग्रंथावली -दो नामक एक पुस्तक के रूप में पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर चुके हैं।

वे जिस भी कार्यक्रम में भाग लेते हैं वहां वे अपना कवितापाठ बिना पुस्तक देखे करते हैं। वे जो लिखते हैं,उन्हें सब कंठस्थ रहता है।आप नाम या विषय का उल्लेख कर दीजिए,वे सुना देंगे। 

आज की पीढ़ी में कोसली भाषा में रुचि देखकर हलधर नाग उत्साहित हैं।

हलधार नाग का जन्म 1950 में ओडिशा के बारगढ़ में एक गरीब परिवार में हुआ था।जब वे तीसरी कक्षा में पढ़ रहे थे, तभी इनके पिता का देहांत हो गया था। गरीबी के कारण इन्हें मिठाई की दुकान पर बर्तन भी धोने पड़े। पिता की मृत्यु के साथ ही इनके संघर्ष के दिन शुरू हो गए 1990 में इन्होंने अपनी पहली कविता धोड़ो बारगाछ (केले का पुराना पेड़ )लिखी जो स्थानीय पत्रिका में प्रकाशित हुई, उसके बाद चार अन्य कविताएं भी प्रकाशित हुईं।इनके संघर्ष और सफलता की कहानी प्रेरणादायक है। इस बार सरकार ने उनकी विलक्षण प्रतिभा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract