Anshu sharma

Abstract

5.0  

Anshu sharma

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नयी जिंदगी..

नयी जिंदगी..

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 कीर्ति बेटा शादी को पाँच साल होने को आ गए अब दो से तीन हो जाओ ।सासु मां ने किर्ती को समझाते हुए कहा

 नहीं, मैं अभी नहीं , मम्मी जी मेरा कैरियर बहुत ऊंचाई पर है अभी इस जिम्मेदारी को मैं नहीं निभा पाऊंगी। बेटा बड़े बूढ़े कहते थे कि समय के काम अच्छे होते हैं पर किर्ती सुनने को तैयार ही नहीं थी ।बेटे से भी कह कह कर थक गई थी ।सुधा का बेटा प्रतिक कभी-कभी झुंझला जाता मां तुम्हें बस एक ही बात के पीछे पड़ी रहती हो ।अभी से यह बहुत महंगाई का समय है ।हमें अपने भविष्य के लिए काफी कुछ सोचना है उसके बाद देखा जाएगा और उसकी जिम्मेदारी कौन निभाएगा ?बेटा मैं हूं ना !मैं अच्छे से उस बच्चे का ध्यान रखूंगी। नहीं, मां अभी आप मुझे औरऔऔ किर्ती को कुछ इस बारे में ना बोला करें ।सुधा मन मसोस के रह गई प।ड़ोस में जब भी कोई आता तो पूछता तो उसके पास कोई जवाब नहीं था ।क्या कहूं बहन जी? आजकल बच्चे सुनते कहां है ?अपने मन की ही करते हैं। कहना सुनना वह पहले का जमाना था ।जब सुन लेते थे। समय बीत रहा था ।दो बार किर्ती आबरशन करा चुकी थी । सुधा को जब पता चला तो वह बहुत नाराज हुई। किसी को न्नही जिंदगी मिलती नही ,और तुम्हे मिली तो तुमने उसे दूर कर दिया ।अच्छा नही किया तुमने ।किर्ती कुछ नही बोली गलती तो थी ।


एक साल के बाद और कीर्ति और प्रतीक बहुत खुश थे ।आज नन्ना मुन्ना जो इस दुनिया में आने वाला था ,उसका पता चला था। सुधा भी खुशी की वजह से उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे ।खूब अच्छे से कीर्ति की खातिरदारी में सब लगी थी सुधा। कुछ काम करने तक नहीं देती थी ।ऑफिस से छुट्टी ले ले बेटा। कैसे दोनों तरफ संभालेगी? मां हो जाएगा और एक दिन वही जिसकी अंदेशा हमेशा, सुधा को रहता था कीर्ति का ऑफिस में पैर स्लिप हुआ और वह नन्ही जिंदगी रूठ कर चली गई ।और ऐसा बार बार होने लगा। डाक्टर ने बोल दिया। उम्र बढ़ने का भी कारण था ।हारमोनल बदलाव भी । अब चाह कर भी कीर्ती और प्रतिक माता पिता नही बन पायेगें । बहुत इलाज कराया पर कोई फायदा नही था।किर्ती उदास रहने लगी प्रतिक मे भी जिंदगी के प्रति कोई इच्छा नही रह गई थी बस बच्चे का सोचते रहते ।


कुछ शुरूआती गलतियां से , अब पछता रहे थे।

नौकरी मे ऊंचाई तक तो पहुँचे । पर अब बहुत कमी महसुस हो रही थी बच्चे की।दोस्तो के बच्चे बडे हो रहे थे।बहुत कुछ पाने की इच्छा मे बहुत कुछ खो दिया था।


किर्ती और जरा इधर आओ ।प्रतिक ने आवाज लगाई । 

हमसे खुशी रूठ गयी है इसको पकड़कर नही बैठ सकते । गलती का पछतावा हमेशा रहेगा ।पैसा कमाने के चक्कर मे । बहुत कुछ गँवा दिया। अब इसे सुधारने का मौका मिला है। ये देखो अनाथलय का इश्तहार... ये क्या कह रहा है प्रतिक सुधा झुंझलाहट मे बोली। समाज क्या कहेगा?

देखो माँ समाज तो हमेशा ही कहता आया है और कहता भी रहेगा। गलती सुधारने के लिए ये भगवान का इशारा है।हमसे बच्चा छिंन गया और ईन बच्चो से माता पिता।और एक दादी भी। मुस्कुराते हुए बोला। समझ गयी बेटा विरान जिंदगी काटने से अच्छा है खुशियों के साथ बिताए

क्यूँ ना किसी के माता पिता बन जाऐ ।चलो पहले बहुत देर करके पछता रहे है अब शुभ काम मे देरी नही करते ।और तीनो कागज कार्यवाही करके एक नन्ही जिंदगी को कुछ समय बाद घर ले आए।


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