नया घर और.......(भाग-5)
नया घर और.......(भाग-5)
पंडितजी को होश आ गया था लेकिन अभी किसी से मिलने नही दिया जा रहा था। रजनी और रमेश उनके कमरे के बाहर इंतज़ार कर रहे थे की कब वे पंडितजी से मिल पाएँ। इधर पंडितजी भी रजनी-रमेश से मिलने को बेचैन थे, ऐसा लग रहा था कि वह भी कुछ बताना चाहते थे उन्हें।
शाम के सात बज गए थे। डॉक्टर साहब आए थे पंडितजी को देखने। रजनी-रमेश दरवाज़े में लगे काँच से अंदर झांक रहे थे। डॉक्टर साहब ने पंडितजी से बात कि, अंदर लगी सभी मशीनों को देखा, काग़ज़ों को पद फिर साथ खड़ी नर्सों को कुछ समझाया और बाहर आने लगे। उनके बाहर आते ही रजनी-रमेश ने पंडितजी का हाल-चाल पूछा और उनसे मिलने की इजाज़त माँगी। डॉक्टर साहब ने कहा, अब आप मिल सकते हैं लेकिन दस मिनट के लिए। अभी पंडितजी के हाल-चाल की कड़ी निगरानी की जा रही है। अगले बारह-पंद्रह घंटे के बाद ही इनके स्वस्थ को स्थिर माना जा सकता है। रजनी-रमेश ने वादा किया कि वे दस मिनट से कम समय में ही पंडितजी की ख़ैरियत पूछ कर बाहर आ जाएँगे। डॉक्टर साहब ने सहमति दे दी।
रजनी-रमेश अंदर गए। इन्हें देख पंडितजी अपनी बात बताने की बेचैनी में बैठने की कोशिश करने लगे । रजनी-रमेश ने उन्हें लेटने को कहा और बोले कि इन बातों को छोड़िए, आपको तबियत कैसा लग रहा है बताइए। इसपर पंडितजी कहते हैं मैं तो ठीक हो ही जाऊँगा लेकिन उसे रोकना बहुत ज़रूरी है, नही तो वह पता नही कितने जीवन का नुक़सान कर दे।
अब मेरी बात ध्यान से सुनो। मेरे झोले में एक ताम्बे की डिब्बी पड़ी है, उसमें सिद्ध किए हुए कुछ कच्चे धागे है। एक एक धागा तुम दोनो अपनी दाएँ बाज़ू पर बांध लो। एक धागा मेरी दाएँ बाज़ू पर बांध दो। और रजनी तुम यंत्र के मिलने की बात कर रही थी, अभी तुम्हारे पास है क्या, तो दिखाओ ज़रा वह यंत्र।
रजनी यंत्र पंडितजी को देती है और फिर पंडितजी के झोले से सिद्ध धागे को निकलने झोले की तरफ़ बढ़ती है। रमेश पंडितजी के पास ही बैठा रहता है। पंडितजी बड़ी एकाग्रता से उस यंत्र को देख रहे होते है और रजनी सभी के बाज़ू पर सिद्ध धागे बांध देती है। पंडितजी पूछते है कि कुछ और जो इन्होंने देखा या महसूस किया हो तो वह भी बताएँ। इसपर रजनी-रमेश झूले वाली घटना भी बताते है। सुनकर पंडितजी गम्भीर हो जाते है और कहते है, जो भी तुम्हारे साथ हुआ एवं जो मेरे साथ हुआ सब महज़ संजोग नही है लेकिन किसी अज्ञात शक्ति द्वारा किये गए कृत्य हैं।
पंडितजी और भी ज़्यादा गम्भीरता से कहते हैं, जब तुम दोनो ने मुझे अपने नए घर के गृह प्रवेश की पूजा के लिए बुलाया था और घर दिखाने लाए थे तभी मैंने इस घर में होने वाले अदृश्य हलचल को भाँप लिया था। तुम दोनो ने ध्यान नही दिया होगा लेकिन वह घर लगभग पाँच-छः सालों से बन्द था फिर भी झूले के नीचे घास की एक फूस भी नही थी जबकि चारों तरफ़ के घास इतने ज़्यादा बढ़े हुए थे कि जंगल का आभास ड़े रहे थे। सभी कमरों के दरवाज़े और खिड़कियों की लकड़ियों पर रख-रखाव के आभाव में पपड़ियाँ सी पड़ी हुई थीं, खुलने में परेशान कर रहीं थीं लेकिन जिस कमरे को तुमने अपने शयनकक्ष बनाया है वहाँ की खिड़कियाँ वैसी नही थी और जब उसे तुमने खोला तो बड़ी आसानी से खुल गई। कुछ और भी मैंने देखा था जो अभी नही बता सकता लेकिन ये तो तय है की वहाँ कोई अदृश्य शक्ति का वास है और मुझे अभी समझ नही आ रहा है की वह चाहती क्या है।
पंडितजी उस यंत्र को देखते हुए कहते हैं, यही वजह है की मैंने इस ख़ास यंत्र को मँगवाया था। इस यंत्र की पूजा से किसी ख़ाली पड़े स्थान, घर में निवास करने वाली अच्छी-बुरी हर तरह की शक्तियों को बांधा जा सकता है और उसकी शक्तियों को शून्य किया जा सकता है। उन शक्तियों को सात श्रेणी में माना जाता है। इस यंत्र पर बनी अकृत्या और उनके स्थान के अनुसार ये उन शक्तियों पर प्रभाव बनाती हैं। इस यंत्र की जिस आकृति को ख़राब करने का प्रयास किया गया है वह दर्शाता है कि यह शक्ति किसी ख़ास का साथ दूँढ़ रही है और उसे पाने के लिए वह किसी को भी नुक़सान पहुँचा सकती है या कोई भी माया कर सकती है। क्रमशः