Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Hoshiar Singh Yadav Writer

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नसीब

नसीब

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मां एक रोटी का टुकड़ा है, भूख लगी है, छोटी सी बच्ची रेखा ने अपनी मां से पूछा।

बच्ची की ओर देखकर मां रीना की आंखों में आंसू आ गये। कहने लगी-बेटी, आज तो घर में एक दाना भी नहीं है। मैं लाचार हूं। किसी के काम पर जाऊं तो मेरे जिस्म पर नजर जमाते हैं, काम बाद में देते हैं।

बच्ची की आंखों में आंसू आ गये ओर कहा-मां, मेरे स्कूल में अर्चना सुंदर कपड़े पहनती है और क्या लजीज खाना लाती है, मैडम भी उनका खाना खा लेती है। वो हमें तो दूर भगा देती है। इसके पीछे क्या कारण है?

मां ने कहा-बेटी सब अपना अपना नसीब है। आंसू बहाते हुये कहा-एक वक्त था...........

बच्ची ने मां के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा-मां, बार बार वो बातें न सुनाओ। मैं भविष्य में कोई खाना नहीं मांगूंगी।


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