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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Classics Children

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Classics Children

स्वेटर

स्वेटर

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बेटा- सर्दियों के दिन शुरू होने जा रहे हैं और तुम अपनी पढ़ाई के लिए दूर जा रहे हो। मेरे पास जितने पैसे थे सारे के सारे तुम्हारी फीस पर खर्च कर दिये। मैं जैसे तैसे किसी के यहां काम करके कुछ पैसे कमाऊंगी और देखना जब तुम आओगे तुम्हारे लिए एक बहुत सुंदर सी स्वेटर अपने हाथों से बुनकर दूंगी, रानी ने राजू को दूर स्कूल में भेजते हुए ये शब्द कहे।

मां से आशीर्वाद लेकर जाते वक्त राजू ने कहा-मां, सर्दियों में मुझे ठंड ज्यादा लगती है। कोई अच्छी स्वेटर बुनकर देना। देख मैं डाक्टरी की पढ़ाई करके लौटूंगा। तब अपनी सारी गरीबी दूर हो जाएगी।

आज मां की आंखों में आंसू थे। घर में थोड़ा सा चूरमा बनाया था वह सारा राजू के थैले में डालते हुए कहा कि रास्ते में भूख लगे तो खा लेना क्योंकि रास्ता लंबा है पर अपना ख्याल रखना।

अश्रु भरे नेत्रों से कहा-बेटा, मैं जल्द ही तुम्हारे लिए स्वेटर बना कर दूंगी।

कुछ दिन बीते थे सर्दी तेज होने लगी तो एक दिन अपनी मां को राजू ने पत्र लिखा- मां ठंड अधिक होने लग गई है और मुझे स्वेटर की जरूरत है।

रानी ने अपने बेटे की स्वेटर के लिए और कड़ी मेहनत शुरू कर दी। झाडू पौचा लगाकर जो पैसे मिले उससे उससे स्वेटर बुनना शुरू कर दिया, खाना भी नसीब नहीं हुआ। लगातार मेहनत करने से बीमार पड़ गई किंतु स्वेटर बुनना जारी रखा। बस एक ही बात दिमाग में थी कि बेटा सर्दी में परेशान होगा। बीमारी से परेशान एक दिन रानी ने स्वेटर पूरी करके अपने पुत्र को पत्र भिजवाया कि आपकी स्वेटर तैयार हो गई है। जब आओ तो लेकर जाना लेकिन मेरी तबीयत खराब चल रही है।

बेचारी रानी के पति का जब से देहांत हुआ तब से पैसे की तंगी थी। कुछ काम करके कमाती उसे अपने बेटे पर खर्च कर देती और कभी कभी तो पूरे समय भूखी रहती थी।

बेटे ने जब अपनी मां का पत्र पढ़ा तुरंत घर लौट आया। देखा मां की तबीयत बहुत खराब हो गई है परंतु बेचारा क्या करें? उसके पास पैसे भी नहीं थे। अपने पड़ोसी की सहायता से अपनी मां को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया। मां को जब होश आया तो कहा- बेटा,अपना ख्याल रखना, तेरे लिए सुंदर सी स्वेटर बनाकर रख दी है, पहन लेना। बस इतना कहा और मां का के प्राण पखेरू उड़ गये। राजू बेहद दुखी हुआ और रो-रोकर आंसुओं का सैलाब भर दिया। पिता के बाद अब मां का साया भी सिर से उठ गया। जब घर में झांक कर देखा तो खाने के लिए कोई आटा तक नहीं था। सामने स्वेटर रखी थी। जिसे देखकर राजू को एहसास हुआ की मां ने अपनी सारी मेहनत स्वेटर पर लगा दी, खाना तक नसीब नहीं हुआ। स्वेटर को छूकर राजू मां-मां करते हुए चिल्लाया-नहीं चाहिए मुझे स्वेटर, मुझे मेरी मां लौटा दो। मेरी मां लौटा दो प्रभु......।


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