आज फिर भूखा......
आज फिर भूखा......
मुंह लटकाये आते ही रामू से नवीन ने पूछा-पिता जी, बहुत तेज भूख लगी है। आज कुछ खाने को मिलेगा?
नहीं, बेटे। आज भी कोई घड़ा नहीं बिका। हमारी किस्मत ही खराब है। लोग घड़ों को भूल गये। अब हमारा गुजारा होना कठिन है। रामू ने उत्तर दिया।
.....तो आज फिर से मुझे भूखों ही सोना पड़ेगा। नवीन ने मुस्कुराते हुए अपने पिता के पास जाकर कहा-परंतु मैंने खूब पानी पी लिया है। भूख खत्म हो गई है। मुझे खाना नहीं चाहिए।
नवीन को सुलाते हुए रामू की आंखें भर आया और कहा-प्रभु अब और परीक्षा न ले।
