मानवता
मानवता
रानी की नजर एक सर्दी से कांपते हुए बुजुर्ग पर पड़ी जिसकेे तन पर फटे पुराने कपड़े थे जो तन को पूरा नहीं ढक पा रहे थे। आने जाने वाले बस एक नजर देखकर आगे बढ़ जाते थे। रानी की नजर जब सामने बोर्ड पर पड़ी तो उस पर लिखा था ऊनी कपड़ों की मिल। रानी की आंखों में आंसू आ गये कि जिन लोगों के दिल से मानवता खत्म हो गई वो देश के नागरिक कहलाने के लायक नहीं हैं। क्या एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं जो अपने घर से पुराने ऊनी कपड़े दान कर सके। रानी ने अपने तन पर ओढ़ी हुई गर्म चादर गरीब को भेंट की तथा नमन कर आगे बढ़ गई।
