एकमात्र सहारा
एकमात्र सहारा
कंपनी में काम करते-करते रामू सूखकर कांटा बन गया। पूरे 25 सालों से कंपनी में दिन-रात कमा-कमाकर एक ही इच्छा दिल में थी कि उनका एकमात्र पुत्र है दीना उच्च शिक्षा प्राप्त करें। जो कुछ कमाता सारा का सारा बच्चे पर खर्च कर देता। दुर्भाग्य से उनकी पत्नी पहले उनका साथ छोड़ स्वर्गवासी हो चुकी थी।
आखिर बच्चे के सहारे जीवित था। बच्चा गांव से पढ़ लिख कर उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए गया हुआ था। यही कारण था कि अधिक से अधिक समय कंपनी में देकर अधिक पैसे कमाता था ताकि उसके बच्चे का प्रत्येक खर्चा पूरा हो सके। तभी रामू को सूचना मिली कि उनका एकमात्र पुत्र की दुर्घटना हो गई और उनकी मौत हो गई। इतना सुनते ही रामू सुध बुध खो बैठा और धरती पर पड़ा अंतिम सांसें गिन रहा था। जो भी सुनता बस यही कहता बहुत दर्दनाक घटना है।