भाग्य और परिश्रम का साथ
भाग्य और परिश्रम का साथ
मनु बीमार होते हुए कुछ प्रश्नों को बड़ी लगन से पढ़ रहा था। बीमार होने के कारण पूरे पाठ्यक्रम की दोहराई नहीं कर पाया किंतु उसे विश्वास था कि उसका भाग्य साथ देगा और चंद प्रश्रों का बार-बार अभ्यास करता रहा। एक ओर उनकी मेहनत वहीं दूसरी ओर रोग सता रहा था। परंतु वह दिन रात मेहनत कर रहा था। परिणाम यह निकाल की परीक्षा में जब बैठा तो उसके याद किए हुए चंद प्रश्न ही प्रश्नपत्र में आए हुए थे। बीमारी ने भी परेशान किया किंतु भाग्य ने भी साथ दिया और भाग्य के चलते उसकी मेहनत काम आई। बहुत अच्छे अंकों से पास हुआ। अब तो वह कहते हुए नहीं शर्मा रहा था कि भाग्य और परिश्रम का साथ उन्हें इस मुकाम तक ले गया।
