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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Fantasy

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Action Fantasy

भगवान बनना आसान नहीं

भगवान बनना आसान नहीं

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रामू दिन रात लकड़ियों के काम में लगा रहता था। कभी पेड़ काटता कभी पेड़ो की चिराई करता तो कभी उसे सिर पर उठाकर बाजार तक बेचने का काम करता था। दिन रात इतनी मेहनत करता कि कई बार शरीर पर खून निकल आते थे जिसकी हालत को देखकर हर इंसान तरस खा लेता था।

एक बार उधर से भगवान भी गुजर रहे थे। जब उसकी नजर ही रामू पर पड़ी तो उसको भी तरस आ गया। उन्होंने सोचा कि मैं अपने कितने जीवों को जीवन दान दिया है, जीवन दिया है परंतु बड़ी कठिनाई से कुछ लोग जीवन जी रहे हैं। तन बदन तरबतर खून से है। ऐसे व्यक्ति की मदद कर दी जाए तो अच्छा होगा। तरस खाकर भगवान रामू के पास चला गया। रामू से पूछा आप इतना कठिन परिश्रम कैसे कर लेते हैं? रामू ने उत्तर दिया रोटी रोजी के कठिन परिसर का लेता हूं क्योंकि मैं अकेला हूं, मेरे पास एक व्यक्ति की जरूरत है जो इस काम में मदद कर दे, पर आप कौन हो? भगवान ने अपना असली रूप छिपाते हुए कहा कि मैं तो भगवान हूं। रामू को बड़ी हंसी आई कि भगवान इन लकड़ियों के बीच में क्या करने आ गया?

भगवान ने उत्तर दिया कि मैं तुम्हारी लकड़ियों की मेहनत देखकर आया हूं, तरस आ गया। रामू ने फिर तो खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज तो मजा आ गया, भगवान मेरे द्वारा आ गया। क्यों न आपसे मैं काम लूं। उन्होंने भगवान से कहा कि आज दिन भर यह ढेर सारी लकड़ियों को उठाकर आरा मशीन पर डाल दो। भगवान दिनभर उन लकड़ियों को उठा उठा कर आरा मशीन पर डालते रहे,न पानी पीने को दिया न खाने को खाना दिया। जब पानी मांगा तो कहा थोड़ी सी और लकड़ी डाल दो आप तो भगवान हो आपको क्या कोई प्यास लगती है? भगवान दिन भर काम करते रहे, रात हो गई। रात को भी काम लिया, तब खाना मंगा तो रामू ने कहा कि भगवान कभी खाना नहीं खाते। ये लो भोग लगाता हूं, दूर से एक रोटी रख दी और भोग लगाकर उठाकर चल दिए और कहा कि अब आपका पेट भर गया होगा? भगवान ने दिन रात मेहनत कर सारी लकड़ी आरा मशीन पर डाल दी और कहने लगा अब तो मुझे आज्ञा दो। तुम्हारा काम पूरा हो गया। रामू ने कहा नहीं अभी तो ये सारी लकड़ी आरे पर चिरनी है। भगवान ने देखा कि आज मुसीबत में फंस गए और धीरे-धीरे लकड़ी चिरने लगे फिर से पानी और मांगा किंतु पानी और भोजन नहीं दिया और कहा कि आप तो भगवान है और सारी लकड़ी चीर डाली। तत्पश्चात कहा कि रामू मैं अपने निवास पर जाऊं? रामू ने जवाब दिया कि अभी जल्दी क्या है, अभी तो ये लकड़ी बाजार में बेचकर आना है। भगवान ने देखा कि आज तो बुरे फंस गए हैं। भगवान एक एक लकड़ी के गट्ठे को बाजार में बेचता और लकड़ी के पैसे राम को देता। राम को बड़ा आनंद आया उसने कहा कि सच में मेरे लिए तो तुम भगवान हो। तुमने मेरा कितना काम कर दिया। अब एक काम और करो कि जो पेड़ खड़े हैं उन्हें काट दो। भगवान ने कहा कि मैं आपका दिन रात काम करने के लिए नहीं आया। रामू ने कहा कि ये लो कुछ पैसे रख लो और इसे रोटी पानी खा लेना पर मेरा काम तो कर दो। भगवान ने कहा कि मुझे रोटी पानी की कोई जरूरत नहीं है मैं तो अपने निवास पर जाना चाहता हूं। तुम्हारी मदद करना चाहता था जो मैंने कर दी। रामू ने कहा नहीं मदद तो मैं तुम्हारी करूंगा और कहा कि ये लो कुल्हाड़ा इन पेड़ों को काट दो।

पेड़ काटते काटते भगवान थक गए, तब रामू आया पूछा कि आप तो बड़े मेहनती हो सच में बताओ कौन हो? भगवान ने कहा मैं भगवान हूं। रामू ने पूछा भगवान हो तो फिर यहां क्या करने आए ? भगवान ने कहा मैं तुम्हारा कष्ट दूर करने के लिए आया था तो कष्ट मैं दूर कर दिया परंतु आपने मेरी एक नहीं सुनी, न पानी दिया आपने भोजन दिया। बस एक ही बात कही तुम भगवान हो तुम्हें भोजन पानी की क्या जरूरत है? अब मेरे समझ आ गया भगवान बनना बहुत कठिन है। इतना कहकर भगवान कुल्हाड़ी को डालकर चल दिए। रामू पीछे-पीछे दौड़ता, कहने लगा कि तुम थोड़ी रिश्वत और ले लो पर भगवान आप काम पूरा करके जाना। भगवान ने कहा कि भगवान बनना बहुत कठिन है एक नहीं कितने ही लोगों के कष्ट दूर करने होते हैं। मैं तुम्हारे पास स्थाई तौर से नहीं रह सकता। इतना कह कर अंतर्धान हो गया।



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