नीयत
नीयत
चलती फिरती न्यूज चैनल है कांता। घरेलु काम में दक्ष। कई घरों के काम को संभाल रखा था उसने। जितने तेज उसके हाथ चलते उतना ही तेज चलता उसका मुँह। हर घर की मजेदार घटनाओं को मिर्च मसाला लगाकर ऐसे सुनाती जैसे आँखो देखा हाल हो। गाॅसिप तो महिलाओं का वैसे भी प्रिय विषय है। कुछ समझदार महिलाएँ टोक भी देतीं कि काम से काम रखा करो और यहाँ वहाँ की बातें मत बताया करो। लेकिन कुछ मिनट की खामोशी के बाद कांता जाने अन्जाने किसी ऐसे टाॅपिक का जिक्र छेड़ देती कि उसकी बात पर कान न धरने की हिदायत देनी वाली महिलाओं के भी कान खड़े हो जाते। कई बार घर के पुरूष भी टेलीविजन के रिपीट समाचार से ऊब कर, टीवी बंद कर उसकी बातें सुनने लगते।
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ। कांता जेठालाल के बारे में बता रही थी। टीवी सीरियल वाले नही, न्यू काॅलोनी के सरकारी अफसर जेठालाल भूधर के बारे में। पिछले महीने उनकी श्रीमती को सांस लेने में परेशानी महसूस हुई तो जेठालाल उन्हें प्राईवेट हाॅस्पिटल लेकर गये। जांच रिपोर्ट में वे संक्रमित पाई गईं। पत्नी की पाॅजिटिव रिपोर्ट देखकर जेठालाल उन्हें प्राईवेट हाॅस्पिटल से ले जाकर मेडिकल काॅलेज में भर्ती करा दिये। रिश्तेदारों ने सवाल किया तो तर्क दिये कि मरीज के सीरियस होने पर प्राईवेट हाॅस्पिटल वाले आखिर में मेडिकल काॅलेज ही रेफर करते हैं, इसलिए वे पहले ही वहाँ पहुंच गये और बड़ी सिफारिशों के बाद बेड हासिल करने में सफल रहे।
कुछ दिनों के इलाज के बाद उनकी पत्नी की सेहत में सुधार हुआ। पत्नी के डिस्चार्ज होने पर जेठालाल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए मिले ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर को वो अपना बताकर एक नये मरीज के परिजनों को बेच दिये।
"कैसा आदमी था ........ फिर .... ?" - कांता के चुप होते ही गृहणी ने पूंछा तो कांता थोड़ा दुखी होकर बोली - "पत्नी के ठीक होने के एक हफ्ते बाद वे अपनी चमचमाती गाड़ी में परिवार सहित एक रिश्तेदार के घर के लिए निकले मगर ....... रास्ते में ही गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और उनका पूरा परिवार वहीं खतम हो गया।"
सभी सन्न रह गये। जेठालाल की नीयत और बेईमानी को जानने के बाद भी सभी उस दुखद घटना से आहत नजर आये। मन में यह सवाल कौंध रहा था कि उसके परिवार का क्या दोष था ? मन को विचलित करती उस घटना से ऊहापोह में पड़े श्रोताओं का ध्यान कांता की आवाज से भंग हुआ। कांता ने एक सवाल किया - "अब उस आलीशान घर .... रूपये जेवरात ... मंहगे कपड़ों और कीमती सामान का क्या होगा ?"
कांता के उस सवाल का जवाब उस समय कोई न दे पाया। सब उठ कर इधर उधर चले गये। कांता अपनी आँखों में प्रश्नचिन्ह लिए अपने काम में फिर जुट गई।
