नई राहें
नई राहें
आज नेहा बहुत ही उत्साहित थी घर में चारों ओर चहल पहल थी उसको देखने लड़के वाले जो आ रहे थे नेहा तो जैसे खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी।
अरे ! नेहा जल्दी से तैयार हो जाओ नीचे से मां ने आवाज लगाई।
हां मां आती हूं ! बस हो गया।
फटाफट नेहा तैयार होकर नीचे मेहमानों के कक्ष में आती है और फिर सिलसिला शुरू होता है बातचीत का !
उससे कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं और ऐसे ऐसे सवाल जिनकी नेहा ने कल्पना भी नहीं की थी और एक-एक करके नेहा के चेहरे से खुशियों के रंग गायब होने लगे जिंदगी की हकीकत से जब सामना हुआ तो।
छोटे गांव की लड़की का जब बड़े शहर के लड़के से मिलना से हुआ तो नेहा का रहा सहा आत्माविश्वास डगमगाने लगा।
फिर लंबी बातचीत के बाद भी जब कोई नतीजा सामने ना आया तो वह और भी ज्यादा मायूस हो गई ।
बाद में लड़के ने बोला कि मैं अभी कुछ दिन और फोन पर बातचीत करूंगा फिर जवाब दूंगा ।
नेहा के परिवार वालों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं और नेहा को भी ऐसा लगने लगा था कि जैसे उसके जीवन से खिलवाड़ हो रहा हो।
जब लड़के वालों ने फोन पर बात करने के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं सुनाया तब नेहा ने दृढ़ता पूर्वक कहा कि मेरी जिंदगी कोई खेल नहीं और ना ही मैं अपनी भावनाओं से खिलवाड़ करने का हक किसी को देती हूं।
और फिर इसके बाद नेहा अपने पूरे आत्मविश्वास और सम्मान के साथ चल पड़ी जिंदगी की नई राहों में नई मंजिलें चुनने।