नारी-सम्मान
नारी-सम्मान
पोती के जन्म पर उदास हुई
पड़ोसन से बुजुर्ग दादी बोली !
अफसोस क्यों करती हो ?
नारी के बिना सृष्टि की
कल्पना असंभव है,
अनुभव कहता है !
नारी परिवार की वह धुरी है,
जो अपने प्रेम-स्नेह,
करुणामई-भावनाओं से बचपन
से लेकर बुढ़ापे तक परिवार को
जोड़ती है ! अब तो करें
हर क्षेत्र में नारी-सम्मान।