नानक मत्ता साहिब का पीपल साहिब
नानक मत्ता साहिब का पीपल साहिब
दोस्तो,भारत चमत्कारों की धरती है। आज हम बात करेंगे एक और आश्चर्यचकित कर देने वाले स्थान की।यह है उत्तर भारत का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान गुरुद्वारा श्री नानक मत्ता साहिब का ऐतिहासिक पीपल साहिब।
इसे पीपल साहिब का गौरव यूं ही नहीं मिला।हर वृक्ष के पत्ते पतझड़ में झड़ जाते हैं और ऋतु बदलाव के साथ नये पते आते हैं। आश्चर्य यह है कि इसमे जब पतझड़ के बाद पत्ते आते हैं तो एक तरफ़ हरे पत्ते तथा दूसरी तरफ़ लाल पत्ते आते हैं!इस पीपल साहिब का जड़ धरती से उपर है। कहते हैं पांच सौ वर्ष पूर्व किसी गोष्टी में कुछ योगी गुरु साहिब से हार गये। हारने के बाद उन्होंने उस पीपल को आकाश में उड़ाना चाहा, जिसके नीचे यह गोष्ठी हुई थी। गुरु साहब ने पवित्र पन्जा लगाकर इसे रोक लिया
।ये आज भी वहीं रुका हुआ है।
इस घटना के सौ साल बाद गुरु हर गोबिन्द साहिब के समय एक बार सिद्ध योगियो ने पीपल साहिब को जला दिया।यह जानकर गुरु हर गोविंद साहिब अमृतसर से पधारे। उन्होंने इस जगह भीगे केसरके छींटे मारे। गुरु कृपा से पीपल फ़िर से हरा- भरा हो गया।
योगियों को नानक मत्ता साहिब की धरती से खदेड़ दिया गया।अब यहाँ एक भव्य गुरुद्वारा है।
यहां पर और भी एतिहासिक चिन्ह देखें जा सकते हैं।, जैसे; दूध वाला कुआ. भन्डारी बोहड, फ़ौड़ी गंगा, आदि
गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब गांव नानकमत्ता और सितारगंज के मध्य ख़त्म पानीपत रोड पर स्तिथ है।ठखतीमा से 18 किलोमीटर ऑर्सितारगंज से 12 किलोमीटर की दूरी पर ऊधमपुर जिले में है।