मज़बूरी

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मॉल घूमने निकली आशिमा अपनी बेटी निक्की के साथ --"बहुत अच्छा लग रहा था ,बहुत दिनों बाद घर से बाहर निकले हैं।बारिश के बाद मौसम कुछ खुला है।" घूमते घूमते काफी देर हो गई लगा अब वाश रूम हो आना चाहिए, थोड़ा अपना चेहरा भी देख लिया जाए वाश रूम के आईने में।

 जैसे ही वहाँ पहुचीं दोनों , वाश रूम की एक सफाई कर्मचारी हताश परेशान सी बैठी थी। दोनो ने ध्यान नहीं दिया , पर जैसे ही वे निकलने को हुई उसने कहा "मैडम मेरी लड़की नौवीं क्लास पास की है इस साल उसे आगे पढ़ाना चाहिए कि नहीं ।"


आशिमा थोड़ा ठिठकी अरे ये कैसा प्रश्न और मुझसे ही क्यों ।" क्यों पढाओ न भाई , कम से कम बारहवीं तक तो पढ़ाओ क्या हो गया । क्यों बेटी की पढ़ाई बन्द कराना चाहती हो।"


"मैडम एक बेटा है , उसको भी पढ़ा रही हूँ दोनों बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं ,फीस बहुत ज्यादा है, तो सोचती हूँ लड़की की पढ़ाई बन्द करा देती हूँ , लेकिन चिंता भी है मन में कई मैं तो यहाँ टॉयलेट साफ करने का काम कर रही हूँ ,कहीं उसको भी इस तरह का ही कुछ काम ना करना पड़े ,मुझे बेटी की चिंता खाये जा रही है ।"


आशिमा ने कहा -  "तुम सरकारी स्कूल में डाल दो बच्चों को वहाँ कॉपी ,पुस्तक ड्रेस सभी फ्री में मिल जाएगा और बच्चे भी पढ़ जाएंगे।पढ़ लिख जाएंगे तो कम से कम बड़े होकर कुछ अच्छा काम कर सकेंगे।"

"पर मैडम सरकारी स्कूल में पढ़ाई कहां अच्छी होती है ।"


उसकी बात सुनकर आशिमा और उसकी बेटी निक्की वहाँ से निकल जाती हैं । 


वाश रूम साफ करने वाली एक कर्मचारी के मन मे ये सवाल है हमारी सरकारी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा व्यवस्था के प्रति।आज वह भी प्राइवेट स्कूल की पढ़ाई को ज्यादा अच्छा मान रही है ।

और आर्थिक स्थिति खराब होने पर बेटी की पढ़ाई बन्द कराने का ख्याल क्यों उसके दिमाग में आ रहा जबकि बेटे को वह पढ़ाना चाहती है।। ये प्रश्न आशिमा के दिमाग में मॉल से घर वापिस आने के बाद भी पीछा करते रहे ।



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