मुझे भी तुम जैसी बेटी मिले
मुझे भी तुम जैसी बेटी मिले
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"प्राची की माँ आओ ये मिठाई खाओ आज हम बहुत बड़ी खुशख़बरी लेकर आये हैं। " प्राची के पापा रमेश जी ने अपनी पत्नी सुधा जी से कहा।
रमेश जी अपने बड़े बेटे के साथ अपने बीमार मित्र सुभाष जी को देखने गये थे। उनको हार्ट अटैक आया था, ये उनका तीसरा अटैक था। उनकी पत्नी तो पहले ही ये दुनिया छोड़कर जा चुकी थी, अब घर में दो ही लोग बचे थे रमेश जी के मित्र और उनका बेटा नवीन। सुभाष जी और रमेश जी बचपन के मित्र थे। बहुत ही अच्छी तरह जानते थे एक दूसरे के परिवारों को।
"ये क्या बात हुई आप तो सुभाष भाई साहब को मिलने गये थे उनकी तबीयत क्या इतनी जल्दी ठीक हो गई कि आप मिठाईयां बांट रहे हैं?" सुधा जी ने पूछा।
रमेश जी ने जवाब दिया, "तबीयत तो अब भी खराब है उसकी लेकिन ये मिठाई तो हम इसलिये बांट रहे हैं क्योंकि हम अपनी लाडो का ब्याह तय करके आये हैं और आज हम बहुत खुश हैं। "
"आपके मित्र बीमार हैं और आप लाडो का ब्याह तय करते घूम रहे हैं। हुआ क्या है आपको? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा। " सुधा जी बोली।
रमेश जी ने कहा, "सुनो, जब मैं हॉस्पीटल पहुँचा तो सुभाष आईसीयू में था, ऑक्सीजन लगी थी, मैं तो रोने लगा उसे देखकर। उसका बेटा भी वहीं था, सुभाष ने मुझे अपने पास बुलाया और बोला, "यार रमेश अगर मुझे कुछ हो जाएगा तो क्या मेरे बेटे को संभालेगा? मेरे जाने के बाद वह बिल्कुल अकेला हो जाएगा। " मैनें कहा कुछ नहीं होगा तुझे तू बिल्कुल ठीक हो जाएगा और नवीन मेरा भी बेटा है मैं हमेशा उसका ध्यान रखूंगा तू परेशान मत हो।
तो उसने कहा, "ऐसे नहीं, तू मुझे वचन दे कि अपनी बेटी से शादी कराकर तू उसे अपना बेटा बनायेगा और हमेशा उसके साथ खड़ा रहेगा। "
"सुधा मैंने हॉस्पीटल में उसके बेटे के सामने उसे वचन दे दिया। नवीन कितना अच्छा लड़का है ये तो तुम जानती हो और हमारे सामने बड़ा हुआ है वो, हमें पता है कि उससे ज्यादा अच्छा लड़का हमारी प्राची के लिए कोई हो ही नहीं सकता। अब सुभाष खतरे से बाहर है और उसके घर आते ही साधारण तरीके से हम लाडो और नवीन का विवाह करा देगें। "
"जी एक बार लाडो से तो पूछ लेते?" सुधा जी ने कहा।
"अरे सुधा लाडो से क्या पूछना है, माँ बाप हैं उसके गलत फैसला थोड़े ही लेगें। मेरी लाडो तो वैसे भी कभी अपने पापा का सर नहीं झुकने देगी, वो मेरी बेटी है जानता हूँ उसे। तुम ये छोड़ाे और सबको मिठाई खिलाओ। "
रमेश जी कहते हुए अपने कमरे में चले गए। मम्मी पापा की बातें पास खड़ी प्राची ने जब सुनी तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। मन ही मन सोचने लगी ये क्या किया पापा आपने? एक बार मुझसे पूछ तो लिया होता। एक पल में ही कर दिया मेरी जिंदगी का फैसला। अब रोहन से क्या कहूंगी कितना प्यार करता है मुझसे और मैं भी तो उसे उतना ही चाहती हूँ। मैं पापा से मना कर दूगीं, नहीं करनी मुझे नवीन से शादी। मैं रोहित से प्यार करती हूं और उसी से शादी करूगीं।
प्राची जल्दी से मम्मी पापा के कमरे की तरफ भागी। जैसे ही दरवाजे पर पंहुची तो रूक गई।
मम्मी पापा बात कर रहे थे, "याद है सुधा जब हमारे बच्चे छोटे थे और मेरा एक्सीडेंट हो गया था तो कैसे सारा पैसा और अपना खून तक देकर सुभाष ने मेरी जान बचाई थी। जब हम गांव से शहर में आकर बस गये तो कितनी मदद की थी उसने हमारी गृहस्थी को बसाने में। बचपन से वो मेरा दोस्त कम भाई बनकर मेरे साथ खड़ा रहा है. हमेशा हमारा साथ ही दिया है। आज ईश्वर ने पहली बार मौका दिया है उसके लिए कुछ करने का। उसने हमेशा मुझे दिया है, आज पहली बार कुछ माँगा है। डॉ ने भी कह दिया है अगला अटैक नहीं झेल पायेगा वो। सुधा हम अपनी बेटी से कहेगें कि उसका इतना ध्यान रखे उसके घर को इतनी अच्छी तरह से संम्भाले कि उसे कभी हार्ट अटैक आये ही ना। "
पापा की बात सुनकर प्राची उल्टे पैर लौट गई और अपने कमरे में जाकर रोने लगी और भगवान से कहने लगी।
"हे भगवान जी आपने मुझे ये कैसे दौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है? ना तो आगे ही जा सकती हूं और ना ही पीछे। मुझे सही रास्ता दिखाइये भगवान। " उसको पूरी रात नींद नहीं आई उसके सामने पापा, रोहित और सुभाष जी का चेहरा घुमता रहा। अगले दिन उठी अपने आंसू पोछे और कॉलेज के लिए निकल ली। रोते हुए उसने रोहित को सबकुछ बता दिया।
रोहित ने उससे उसका आखिरी फैसला पूछा तो उसने कहा, "मुझे माफ कर दो रोहित, मैं पापा का साथ नहीं छोड़ सकती। मुझे ना चाहते हुए भी नवीन से शादी करनी होगी। अपने पापा को उनका वचन निभाने में उनका साथ देना होगा। मैं तुम्हारी होने से पहले उनकी बेटी हूं और मुझे एक बेटी होने का धर्म निभाना होगा। तुम मुझे भूल जाओ और अपने जीवन में आगे बढ़ो। मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती उन सपनों को पूरा करने में जो कभी हमने मिलकर देखे थे, आई एम सॉरी। " और जोर-जोर से रोने लगी।
रोहित ने बडे़ ही प्यार से उसका हाथ पकड़ा और बोला अंतिम बार मेरे साथ पास वाले उस मंदिर में चलोगी जिससे बहुत सारी यादें जुड़ी हैं हमारी? मुझे कुछ माँगना है भगवान से। "
प्राची मना नहीं कर पाई और दोनों मंदिर पहुँचे। रोहित ने आंखें बन्द कीं प्राची का हाथ पकड़ा और मन ही मन प्रार्थना करने लगा फिर वहां से चलने के लिए कहा तो प्राची ने पूछा कि क्या मांगा उसने, तो रोहित ने मुस्करा कर कहा "मैंने भगवान से मांगा कि मैं जब भी पिता बनूँ तो मुझे भी तुम्हारी जैसी बेटी मिले, जिसके लिए उसकी खुशी से बढ़कर मेरी खुशी मायने रखे, जो मेरे मान सम्मान और वचन के लिए अपना जीवन तक कुर्बान कर दे। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है मुझे तो तुम पर गर्व है। तुम जैसी बेटियाँ तो किस्मत वालों को मिलती हैं। "
दोनों की आंंखों में आँसू थे और वे अन्तिम बार एक दूसरे के गले लग गए।
दोस्तों, रोहित के अच्छे दिल और समझदारी ने प्राची को एक बुरी बेटी बनने से बचा लिया था। अगर वह उसे मजबूर करता तो शायद वो अपने पापा के खिलाफ चली जाती। जो इंसान आपसे सच्चा प्यार करेगा वो कभी भी आपको कुछ गलत करने को नहीं कहेगा। मेरा सभी माता पिता से निवेदन है कि किसी को वचन देने से पहले एक बार अपने बच्चों के दिल में झांकने की कोशिश करें क्योंकि हर लड़का रोहित नहीं होता और ना ही हर लड़की प्राची। मेरी लड़कियों के लिए भी यही सलाह है कि दुनिया का कोई भी इन्सान आपके माता पिता से ज्यादा स्पेशल नहीं हो सकता तो कभी किसी के प्यार के लिए अपने मां बाप को ना ठुकरायें क्योंकि जो लड़का आपको दिल से चाहेगा वह कभी आपको आपके माता पिता से अलग नहीं होने देगा।