असली गहना तो तुम हो
असली गहना तो तुम हो


दीपिका की शादी रोहन से हुई थी। रोहन एक कम्पनी में जॉब करता था, लेकिन ये जॉब वो अपनी खुशी से नहीं मजबूरी में कर रहा था। छोटे भाई बहन की पढाई का खर्चा और घर की जिम्मेदारी पिता जी के जाने के बाद उसी के कन्धों पर आ गई थी। एक दिन रोहन ने बातों ही बातों में दीपिका को बताया था कि उसे खुद का इंस्टीयूट खोलना है जिसमें वो बच्चों को म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स सिखा सके। उसे संगीत से बहुत प्रेम था, बचपन से ही वो अच्छा गा भी लेता है और बहुत सारे इंस्ट्रूमेंट्स बजा भी लेता है। पापा अगर छोड़कर न जाते तो वो अपना ये सपना जरूर पूरा करता।
रोहन की बात सुनकर दीपिका से रहा नहीं जा रहा था, वो चाह रही थी कि उसके पति को परिवार की खुशी के लिए अपने सपने कुर्बान न करने पडे़ काश वो कुछ ऐसा कर पाये, जिससे रोहन जी का सपना पूरा करने में मदद कर सकें। कई दिनों तक सोच विचार कर दीपिका ने रोहन से कहा, "रोहन जी आप अपनी जॉब छोड़ दीजिये क्योंकि मैंने एक स्कूल जॉइन करने का फैसला किया है।"
रोहन ने आश्चर्यजनक भाव से कहा, "हाँ तो तुम करो ना मना किसने किया है लेकिन मैं क्यों जॉब छोड़ दूँ, मैं क्या करूंगा?" दीपिका ने अपने प्यारे पति का हाथ थामकर कहा, "आप अपना सपना पूरा करेगें, म्यूजिक इंस्टीयूट खोलने का सपना।" "वो तुम्हारी बात ठीक है लेकिन मैडम सामान और जगह के लिए पैसे भी तो होने चाहिए इतने पैसे तो नहीं हैं मेरे पास" रोहन ने कहा।
दीपिका ने अलमारी खोली और अपने सारे गहनों का बॉक्स निकालकर रोहन के हाथ में पकडा़ते हुए बोली, "छत पर एक हॉल बनवा लीजिये उसके लिए पैसे मेरे अकाउंट में हैं। शादी से पहले जॉब करती थी, तब जमा किये थे और इंस्ट्रूमेंट्स इन गहनों को बेचकर आ जायेगें। रोहन का हाथ अपने सिर पर रखते हुए बोली आपको कसम है मेरी, आप मना नहीं करेंगे और अपना सपना पूरा करेगें। जब तक आपका काम सेट नहीं हो जाता घर की जिम्मेदारी मेरी।"
रोहन ने कहा, "लेकिन तुम्हारे गहने नहीं, इन्हें लेकर मैं अपना सपना कैसे पूरा कर सकता हूँ?"
"पतिदेव मेरा असली गहना तो आप हैं, आप साथ हैं तो मुझे इन गहनों की कोई जरूरत नहीं है। जब आप मुस्कराते हुए अपने स्टूडैंटस को म्यूजिक सिखा रहे होगें तो आपके चेहरे पर आयी वो मुस्कुराहट और सन्तुष्टि के भाव देखकर मुझे मेरे गहने मिल जायेगें।" दीपिका ने कहा और रोहन ने नम आंखों से दीपिका को गले से लगा लिया।
सालभर के अन्दर रोहन के पास इतने स्टूडैंटस हो गये कि उसे फुर्सत न मिलती। दीपिका ने स्कूल और टयूशन लेकर घर की जिम्मेदारी उठा ली। रोहन की माँ ने भी साथ दिया। एक साल बाद दीपिका के जन्मदिन पर रोहन ने ठीक वैसे ही झुमके अपनी प्यारी पत्नी को गिफ्ट दिये, जो बेच दिये थे और कहा कि धीरे धीरे वो बाकी सब गहने भी ला देगा। दीपिका जब भी रोहन को गाते हुए या बजाते हुए सुनती उसको आत्म सन्तुष्टि मिलती ये सोचकर कि उसके पति का सपना पूरा हो गया और उसका भी और रोहन को ये समझ आ गया पत्नी का रिश्ता होता ही ऐसा है जिसमें प्यार के साथ साथ समझदारी, परिपक्वता और त्याग की भावना स्वत: ही आ जाती है। एक पत्नी के लिए सबसे अधिक प्रिय उसका पति होता है। अगर पति का स्वभाव अच्छा है, वो आपको दिल से प्रेम करता है तो एक पत्नी के लिए धन दौलत, गहने और दुनिया की कोई भी चीज कोई मायने नहीं रखती।