मैं अपने मां पापा को चुनता हूँ
मैं अपने मां पापा को चुनता हूँ
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राघव और रिया कॉलेज में साथ में पढते थे। राघव बहुत ही साधारण से परिवार का लड़का था और रिया बडे़ बिजनेस मैन की बेटी। रिया के साथ दोस्ती करने के लिए कॉलेज के सभी लड़के मरते थे, लेकिन राघव उसने तो कभी उसकी तरफ गौर से देखा ही नहीं था। उसे तो अपनी पढाई से मतलब था, लड़कियों से तो वह दूर ही रहता था। रिया को राघव की यही बात भा गई और वह राघव के प्रेम में दीवानी हो गई। राघव के करीब आने के हर संभव प्रयास करने लगी। रिया सच में राघव से प्यार करने लगी थी।
एक दिन कॉलेज में फंक्शन होने के कारण एक एक्ट में उसे राघव के साथ रोल मिला। जिसकी वजह से वे दोनों काफी टाइम साथ रहने लगे और मौका मिल गया उसे राघव से अपने दिल की बात कहने का। राघव ने उससे यह कहकर मना कर दिया कि वह उसे वो जिंदगी कभी नहीं दे पायेगा जो वो जी रही है। तो रिया ने ये कहकर उसका हाथ थाम लिया कि उसे सिर्फ राघव का साथ चाहिए। राघव को भी रिया पसंद आने लगी और धीरे-धीरे उन दोनों के बीच प्यार पनपने लगा। कॉलेज खत्म होते ही राघव ने अपने ही शहर में नौकरी कर ली। घर का इकलौता बेटा जो था उसके पापा दिल के मरीज थे। उनकी पेन्शन और राघव के ट्यूशन पढ़ाने के पैसो से घर खर्च चलता रहा। एक बहन भी थी जिसकी शादी हो चुकी थी। राघव के पापा बहुत ही स्वाभिमानी और ईमानदार व्यक्ति थे और यही गुण राघव में भी आ गये थे।
उधर रिया ने अपने मम्मी पापा से राघव के बारे में सबकुछ बता दिया। रिया के पापा तैयार नहीं थे वो तो शहर के सबसे बड़े घर में शादी करना चाहते थे अपनी बेटी की लेकिन रिया की जिद के आगे उन्हें घुटने टेकने पड़े। दहेज के विरोधी राघव और राघव के पापा ने रिया के अपने सामान के अलावा कुछ भी नहीं लिया जिसे देखकर रिया के पापा ने बहुत नाज किया अपनी बेटी की पसन्द पर। बडे़ घर में रहने वाली रिया अब राघव के छोटे से घर में आ गई। गाड़ियों में घूमने वाली रिया अब बाइक पर आने जाने लगी। लेकिन फिर भी वह खुश थी क्योंकि उसके पास उसका प्यार राघव जो था उस। वक्त आगे बढ़ता गया और रिया का प्यार का भूत भी उतरने लगा। शुरू में घर के सारे काम मां ही करती रिया को राघव कुछ नहीं कहता क्योंकि सोचता उसने कभी अपने घर काम किया नहीं है धीरे-2 मां सब सिखा देगी। राघव और उसकी माँ वो हर चीज़ लाकर देते जो रिया चाहती थी। राघव की अच्छी नौकरी थी तो उसने रिया की जरुरत का हर सामान लाकर दिया। उसकी बीबी 10 बजे तक सोये और उसकी माँ घर का झाडू़ पौंछा करे ये राघव को पसन्द नहीं था इसीलिए उसने मेड भी लगवा दी थी।
राघव चाहता था कि 6 महीने हो गए शादी को और रिया ने सिवाय चाय के कुछ भी नहीं बनाया था तो अब थोड़ा बहुत खाना पीना वह खुद भी बनाये धीरे-2 सब आ जायेगा वो कोशिश
तो करे लेकिन वह तो किचन में जाना ही नहीं चाहती थी। अब जीवनभर तो मां खाना नही बना कर खिला सकती ना ये सब तो सीखना होगा उसको। राघव ने रिया से कहा कि वह खाने के लिए भी मेड लगा दे तो राघव ने यह कहकर मना कर दिया कि इतनी सैलरी नहीं है मेरी तुम माँ से सीखो और आज शाम का खाना तुम्हें बनाना है। शाम को राघव आया तो देखा माँ किचन में है और रिया अपनी सहेली से फोन पर बातचीत में लगी है। राघव ने कहा रिया से जाओ माँ की मदद करो लेकिन रिया ने मना कर दिया जिसकी वजह से दोनों में झगड़ा हो गया।
रिया ने अपने दिमाग में ये बिठा लिया कि माँ ने ही राघव को बोला होगा नहीं तो राघव तो मुझसे बहुत प्यार करता है। तो अब वह माँ से भी कटी -2 रहने लगी। राघव की माँ को बडा़ दुख होता कि इतना कुछ करती हैं वो रिया के लिये तब भी वो खुश नहीं है। कुछ दिनों बाद राघव ने देखा कि कपड़े भी माँ ही धोती है रिया के भी तो राघव ने उससे कहा ,"रिया मैने तुम्हारे कहने पर मशीन ला दी तब भी तुम मां से ही कपड़े धुलवाती हो तुमको जरा भी शर्म नहीं आती। " तो रिया ने पूछा माँ ने बोला होगा ना तुमसे ये सब उनको ज्यादा मजा आता है हम दोनों में झगड़ा करवाने में। राघव जानता था कि माँ कितना कुछ कर कही है जिससे मेरे जीवन में शांति बनी रहे और ये लड़की इस घर में एडजस्ट हो जाए। माँ के खिलाफ बातें राघव को बरदाश नहीं हुई और रिया पर उसका हाथ उठ गया और वह गुस्से में अपने घर चली गई। राघव नहीं जा रहा था उसको मनाने क्योंकि गलती रिया की थी लेकिन मम्मी पापा के ज्यादा कहने पर वह चला गया। रिया से राघव ने कहा, " सॉरी रिया मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था अब छोडो़ ये सब और घर चलो। "
रिया ने कहा, " ठीक है राघव मैं चलूंगी तुम्हारे साथ लेकिन तुम्हारे घर नहीं पापा ने मेरे नाम से एक घर बनवाया था हम उसमें रहेंगे वहां नौकर चाकर सब होगें। तुमको चुनना होगा अपने मम्मी पापा और मुझमें से किसी एक को। मैं उन लोगों के साथ नहीं रह सकती। "
रिया की बात सुनकर राघव का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया और उसने रिया से कहा ," रिया मैने तुमको पहले ही समझा दिया था कि मैं तुमको वो ज़िन्दगी नहीं दे पाउंगा जो तुम जी रही हो और तुमने ये कहा था कि मुझे तुम्हारी जरुरत है राघव शानो शौकत की नहीं। बस 6 महीने में आ गई तुम अपने असली रूप में मुझसे ज्यादा प्यारा है ना तुमको अपना आराम, ये गाडि़या और ये घर तो मैडम रिया आपको ये सब मुबारक हो। और रही बात मम्मी पापा और तुम में से चुनने की तो ध्यान से सुनो, "मैं अपने मम्मी पापा को चुनता हुँ" तुम जैैसी हजार रिया कुरबान कर सकता हूँ अपने मम्मी पापा पर, गुड बाये मैडम।"
आगे की कहानी अगले भाग में..........