Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Shelly Gupta

Abstract

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मसालों की मेरी दुनिया

मसालों की मेरी दुनिया

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"क्या देख रहे हो नमित इतने ध्यान से?"मां ने पूछा।

"मां, मुझे ये मसाले बहुत पसंद हैं। मुझे उनका नाम बताओ ना।"

मां ने नमित को सारे मसाले दिखाए और उनसे उसकी पहचान कराई। अब नमित का आधा समय मां के साथ रसोई में बीतने लगा, उनको मसाले इस्तेमाल करते हुए देखने में।

जब नमित की दादी का ध्यान इसपर गया तो वो नमित और उसकी मां को लड़ने लगी कि लड़के को रसोई में क्यों आने दे रही हो। इस पर नमित की मां ने बोला कि उसे शौक है ये देखने का और वो अपनी पढ़ाई पूरी करके देखता है। मैं उसे नहीं रोकूंगी। दादी बुरा सा मुंह बना कर चली गई।

नमित का काफी समय मां के साथ रसोई में ही गुजरने लगा क्योंकि ये उसकी मनपसंद जगह थी। और अब तो उसने खुद भी काफी चीजें बनाना सीख लिया था पर मां के अलावा घर में किसी को ये नहीं पता था।

आज दादी के जन्मदिन पर जब सब मां के हाथों के खाने की तारीफ कर रहे थे तब मां ने बताया कि ये खाना तकरीबन नमित के हाथ का है। सब हैरान रह गए। तब मां ने कहा कि नमित आगे कुकिंग क्लासेज ज्वॉइन करना चाह रहा है। उसका हुनर देख कर सब आज उसके साथ थे। अब नमित खुशी खुशी अपने मसालों की दुनिया में रह सकता था।


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