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Shraddha .Meera_ the _storywriter

Romance

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Shraddha .Meera_ the _storywriter

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मोहे पिया मिलन की आस

मोहे पिया मिलन की आस

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बात उस दौर की है जब मोबाइल नहीं हुआ करते थे और टेलीफोन का ज़माना था तब शायद प्यार सच्चा होता था।लोग इंतजार में सालों बिता देते थे । अनाया अपने घर के बाहर बगीचे में सुबह करीब 9 बजे एक पेड़ के नीचे गुलाबी रंग का सलवार सूट पहने हुए पैरों में पायल, लाल और सुनहरे रंग चूड़ियों से भरे दोनों हाथ मांग में सिंदूर माथे पर छोटी सी गुलाबी नग की बिंदी होठों पर गहरी लाल लिपस्टिक आंखो में काजल लगाए सफेद रंग के झूले पर लेटी हुई किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी काम के सिलसिले में कुछ दिनों से दूर हुए अपने पति के बारे में सोच रही थी और याद कर रही थी हवाएं भी हल्की ठंडी बह रही थी , पेड़ों के पत्तों से हल्की धूप छनकर आ रही थी शादी के बाद पहला वसंत का गुलाबी मौसम था । 


धीरे धीरे वो अतीत में कहीं खोती चली गई । जब पहली बार उसे समर देखने उसके घर आया था । वो तैयार होकर सजधज कर नीचे हॉल में आई जहां सभी मेहमान बैठे हुए थे , अनाया थोड़ी सहमी हुई थी। समर उसे देखते ही जैसे उसी का हो गया उसकी नजर में अनाया से खूबसूरत लड़की थी ही नहीं जैसे , अनाया को सहमा हुआ देख कर समर से रहा न गया वो बोल ही पड़ा - अनाया आप निश्चिन्त होकर बैठिए यहां परीक्षा नही ली जा रही , हम आपस में बस बात ही कर रहे इतना टेंशन लेने की जरूरत नही,,समर की मधुर आवाज जैसे ही अनाया के कानों में पड़ी और उसने हिम्मत करके अपनी नज़रें थोड़ा ऊपर उठाई सामने समर का मुस्कुराता हुआ चेहरा देख कर जैसे स्तब्ध रह गई,

दिल जोरों से धड़कने लगा उसने मन ही मन कहा -


"जितनी प्यारी आवाज ,

उतना प्यारा चेहरा ।

समय रुक जाए ,

ये रिश्ता हो जाए गहरा।।

सागर से भी गहरा ,

गहरा , गहरा और भी गहरा ।।


समर भी अनाया को कभी नज़र उठाकर कभी सबसे छुपाकर बीच बीच में देख लेता था । दोनो ने शादी के लिए हामी भर दी परिवार वालो में भी सारी बाते हो गई । सबकुछ तय हो गया अंततः वो घड़ी आई जब दोनो की शादी विधिविधान से संपन्न हो गई ।अनाया उन यादों में खोई हुई थी कि अचानक सासू मां की आवाज आई ।


"बेटा अनाया कब से टेलीफोन बज रहा है देख किसका फोन है "।


"जी,, मम्मी जी, आती हूं ।"


अनाया ने फ़ोन रिसीव किया ,


"हैलो,,"


"हैलो ,,, अनाया ।"


"आप ,,," फोन के उस तरफ समर था ।


"कैसे हैं आप कब आयेंगे वापस" रोते हुए अनाया ने पूछा ।

आंखों की पलकों पर आंसू रोक कर मुस्कुराते हुए समर ने जवाब दिया ,


"ठीक हूं जल्दी वापस आऊंगा छुट्टी मिलते ही । तुम कैसी हो मेरी कवित्री साहिबा ।"


"हाल कुछ ऐसा है कि " मोहे पिया मिलन की आस " आंखो में आंसू लिए मुस्कुराते हुए अनाया ने जवाब दिया । 


समर और भी भावुक हो गया उसके मुस्कुराते चेहरे पर पलकों पर रुके आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा , उसने सोच लिया इस बार जल्दी ही छुट्टी लेकर घर जाऊंगा और अनाया और मां को अपने साथ ले आऊंगा ।




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