Shraddha .Meera_ the _storywriter

Abstract Inspirational

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Shraddha .Meera_ the _storywriter

Abstract Inspirational

आखिरी खत

आखिरी खत

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शाम का वक्त है और मैं अभी भी अपने अंधेरे कमरे में बैठी हूं अकेली,, 

सोच रही हूं जिंदगी अपने तरीके से ही क्यों चलती है जैसे हम चाहते हैं वैसे क्यों नहींं। 

इतने में एक आवाज आई - क्षम्यता,,, 

जी हां क्षम्यता नाम है मेरा आज भी मेरी जिंदगी रेत की तरह फिसल रही हैं और मैं कुछ नहींं कर पा रही। 

आवाज मेरे पति की थी मन में अब भी यही उम्मीद है कि वो कुछ कहेंगे पर हर बार की तरह आज भी सिर्फ काम ही था उनका।

अरे सपने तो मेरे भी टूटे थे तो फिर सजा केवल मेरे हिस्से क्यों, क्योंकि शादी नहीं केवल एक जिम्मेदारी थी हमारे माता पिता ने निभा दी थी। 

सारी दुनियां में कहा जाता है की में अपने पति को अपना नहीं बना पाई पर कैसे कहूं मैं दुनियां से मैं उसे कैसे अपना बना लूं जिसे मैं खुद आज तक अपना नहीं पाई हूं।नहीं पसंद मुझे उनकी मौजूदगी अपने आस पास, 

जब वो डियो लगा कर मेरे सामने आते हैं मन करता है चीख कर कहूं नहीं पसंद मुझे तुम्हारे डियो की खुशबू जो मुझे मेरे अतीत की याद दिलाता है, 

मन टूट कर बिखर जाता है जब वो नशे में धुत्त इधर उधर गिरते हुए घर आते हैं कहना चाहती हूं मुझे नफरत है तुमसे तुम्हारे ये अजीबो गरीब शौक से मन करता है पूछूं उनसे आखिर क्यों,,, क्यों करते हैं ऐसा वो शादी में तो मुझे भी जबरदस्ती बांध दिया गया उस दिन मुझे जिंदा आग में जैसे बैठा दिया गया था मेरे सारे सपने उसी शादी के मंत्रो के साथ हवन कुंड में स्वाहा हो गए थे, 

एक प्यारा सा सपना था, मेरा पति सादा सिंपल ऊंचे सोच रखने वाला खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचने वाला होगा एक ऐसा इंसान जो मेरे चेहरे से मेरी खुशी न भी देख पाए पर मेरा दुख जरूर पढ़ लेगा एक ऐसा इंसान जो दुनियां के हर रंग को पेचीदगी और बारीकी से समझने वाला होगा दुनियां को सर पे उठा कर घूमने वाला नहीं। 

पर ऐसी भी रात आई थी जब सब बिखर गया था हसीन अपना टूट गया हकीकत से सामना हो गया मेरा। 

आज मेरा ये आखिरी खत है उनके नाम पर अफसोस उन्हे ये भी नहींं मिलेगा।


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