मां (एक परछाई)
मां (एक परछाई)
मम्मा, मम्मा कहते हुए अंशू आकर रती से लिपट गया, रती समझ नहीं पाई ये छोटा सा बच्चा आखिर उसे मम्मा क्यों कह रहा था।
अंशू, अंशू, सामने एक नवयुवक ने आकर चिंता ज़ाहिर करते हुए उस बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया।
चाचू मम्मा, देखो, देखो मम्मा वापस गई....मासूम छोटा सा 4 साल का अंशू खुशी से रती को देख रहा था।
रती ने जैसे ही उस युवान को देखा, कुछ जाना पहचाना सा लगा उसने दिमाग ज़ोर दिया उसके बाद बोली -
विश्वा, तुम विश्वा हो ना ? रती ने मुस्कुराते हुए आश्चर्य से पूछा।
हां, रती?, विश्वा थोड़ा अचंभित तो था पर रती को 15 सालो बाद अपने सामने देख कर खुश था।
हां विश्वा मैं रती, ये तुम्हारा भतीजा है ? पर ये मुझे मम्मा क्यों रहा है?
तुम्हारा चेहरा हूबहू भाभी से मिलता है शायद इसीलिए।
ओह अच्छा,
अच्छा रती चलता हूं, रात होने वाली है अंशू का होमवर्क कराना है फिर सुबह स्कूल भी भेजना है,
ठीक है विश्वा अपना कॉन्टेक्ट नंबर देते जाओ प्लीज़।
विश्वा ने अपना मोबाइल नम्बर रती को दिया और फिर विश्वा और रती अपने अपने घर चले गए।
काफी रात हो चुकी थी विश्वा ने अंशू को खाना खिलाकर उसे सुला दिया था पर वो अभी भी रती के बारे में सोच रहा था। तभी उसके मोबाइल पर कॉल आया, कॉल रती ने ही किया था।
हैलो, विश्वा मैं रती कैसे हो तुम ?
मैं ठीक हूं तुम बताओ, कैसी हो और इतने सालो से कहां थी।
विश्वा मम्मा के जाने के बाद पापा का मन यहां नहीं लगा इसलिए उन्होंने यहां से दूर ट्रांसफर ले लिया तो शहर भी बदल गया और स्कूल भी, अब पापा भी नहीं रहे। यहां गवर्नमेंट टीचर के लिए पोस्टिंग हुई है मेरी।
ओह अच्छा।
और तुम बताओ तुम क्या कर रहे हो, मैं डॉक्टर हूं कार्डियोलॉजिस्ट मेडिकल कॉलेज में...
अच्छा जी दिल के डॉक्टर हैं... रती ने उसे छेड़ते हुए कहा।
हम्मम.... विश्वा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
वैसे तुम्हारी भाभी? रती जानना चाहती थी विश्वा की भाभी के बारे में पर रुक गई.....
भाभी अब इस दुनिया में नहीं रही एक रोड एक्सिडेंट में भैया और भाभी दोनों ही गुज़र गए तब से अंशू की ज़िम्मेदारी मुझ पर ही है।
ओह सॉरी विश्वा... रती दुखी हो गई।
इट्स ओके रती...
रती को अंशू से हमदर्दी हो गई, वो रोज़ अंशू के बारे में फोन करके विश्वा से पूछने लगी कभी कभी उससे मिलने भी जाती थी।
एक बार विश्वा और रती फोन पर बात कर रहे थे अचानक -
डॉक्टर साहब, डॉक्टर साहब....जल्दी आइए अंशू बाबू की तबीयत खराब हो रही है....।
क्या?
विश्वा भागते हुए अंशू के पास पहुंचा उसका बुखार बढ़ गया था और वो बस मम्मा मम्मा बोले जा रहा था।
रती ने फोन पर सब सुन लिया था वह भागती हुई विश्वा के घर पहुंच गई।
विश्वा क्या हुआ अंशू को? रती ने रोते हुए पूछा।
दो दिन से फीवर था उसे अचानक बढ़ गया चिंता मत करो ठीक हो जाएगा।
रात भर रती रोती रही अंशू के पास बैठी उसके सिर पर ठंडे पानी की पट्टी बदलती रही। विश्वा भी रात भर वहीं बैठा रहा। अंशू का बुखार ठीक हो गया, उसने रती को अपने पास देखा तो खुश होकर उससे लिपट गया मम्मा आ गई।
कुछ देर में अंशू दवाइयों के असर के कारण सो गया।
रती ने कहा विश्वा अब मैं चलती हूं स्कूल जाना है, दोपहर में स्कूल से लौट कर आऊंगी.... अंशू का ध्यान रखना
ठीक है बाय।
बाय।
दोपहर में स्कूल के बाद रती विश्वा के घर आई पूरा दिन अंशू की देखभाल की रात हो चुकी थी।
विश्वा मैंने अंशू को सुला दिया है अब मैं चलती हूं।
हम्मम....। विश्वा ने भारी मन से कहा।
सुनो रती मत जाओ ना यही रुक जाओ ना.... हमेशा के लिए अंशू की खातिर और...... विश्वा की आंखों में आंसू थे।
और.... और क्या विश्वा....।अचंभे से रती ने विश्वा को देखा, वो खुश थी विश्वा के ऐसा बोलने पर जैसे वो यही सुना चाहती थी।
और मेरी खातिर रुक जाओ, मैं अकेला हूं, मुझे तुम्हारी ज़रूरत है अंशू को तुम्हारी ज़रूरत है, प्लीज़ मत जाओ ना....,।
रती की आंखों में आंसू आ गए जैसे वो यही सुनना चाहती थी। फिर पीछे से अंशू की आवाज़ अाई।
मम्मा आप कहां जा रही हो?
कहीं नहीं बच्चा मम्मा कहीं नहीं जाएगी यही रहेगी तुम्हारे पास....।
रती का गला रूंध गया आंखो से आंसू बह रहे थे उसने घुटनों के बल बैठकर दोनों बाहों को फैला कर कर अंशू को अपने पास बुलाया, अंशू दौड़कर उसके पास आ गया और उसके सीने से लग गया। आज तीन टूटे लोग एक बंधन में बंध गए थे। धरती के उस आंगन में मां बेटे का निस्वार्थ मिलन हो रहा था।
रती और विश्वा विवाह के पवित्र बन्धन में बंध कर हमेशा के लिए एक हो गए थे। घर में आते ही उसने जेठानी की तस्वीर को देखकर उनको चरण स्पर्श करते हुए कहा।
दीदी हमेशा अपना आशीर्वाद मुझ पर बनाए रखना क्योंकि "मैं आपकी परछाई हूं।"
राधे - राधे 🙏
