तुम्हारे दिल में
तुम्हारे दिल में
शिवी एक अंधेरे कमरे में खो जाने वाली गुमनाम हस्ती बन चुकी थी, ना किसी से बात करती थी ना ही किसी काम में उसका मन लगता था, अपनी उस दिन की भूल पर पछता रही थी जब उसने अतुल से शादी की थी क्यों ?आखिर क्यों ? उसने अपने पिता की बात मानकर शादी की थी।
अतुल ने उसे शादी के इन 6 सालों में ना कभी प्यार दिया था, ना सम्मान। शादी के बाद जब विदा होकर उसके साथ आई थी तब तो बहुत बड़े बड़े वादे किए थे सब कुछ झूठ था, याद आता है वो पल कितनी खुश थी वो शादी के बाद अपने पति के साथ उसे अपना पति देवता नजर आता था पर कहां पता था कि वही पति एक दिन उसका सब कुछ बरबाद कर देगा। झूठा था वो इंसान, झूठे थे उसके सारे वादे वो तो बस लोगों के दिलों से खेलना जानता है, पैरो तले जमीन खिसक गई थी जब पता चला उसे कि अतुल की ज़िन्दगी में कोई और है, यही नहीं शिवी से पहले भी उसके पति के जीवन कई लड़कियां थी। लड़कियों को खिलौना बनाकर खेलना उसका काम था। हे भगवान ! ऐसा भाग्य मेरा ही क्यों? सोचते हुए बिलख बिलख कर रो पड़ती थी बेचारी शिवी। क्यों अतुल ? ऐसा क्यों किया ? क्या तुम्हारे दिल में मेरा कुछ दिन का बसेरा था जिसे मैंने ज़िन्दगी भर का समझ लिया था आंखों से आंसू बहते रहते थे। ज़बान खामोश हो चुकी थी और अरमान टूट के बिखर चुके थे जो कभी नहीं सिमटने वाले थे।
राधे - राधे