Shraddha .Meera_ the _storywriter

Romance Tragedy

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Shraddha .Meera_ the _storywriter

Romance Tragedy

रुहानी मोहब्बत

रुहानी मोहब्बत

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एग्जाम का दिन था कॉलेज बस आने ही वाली थी, मीरा अपनी सहेलियों के साथ खड़ी कॉलेज बस का इंतजार कर रही थी हल्की - हल्की बारिश हो रही थी, अचानक बारिश तेज़ हो गई मीरा बारिश से बचने के लिए बस स्टैंड के पास नुक्कड़ वाली की चाय की दुकान पर खड़ी हो गई। पता नहीं क्या आया उसके मन में वो बारिश की बूंदों को अपने हाथो में समेटने लगी फिर -

बारिश के साथ हवा भी तेज़ हो गई मीरा का दुपट्टा उड़ने ही वाला था उसके कपड़े भी अस्त व्यस्त होने लगे थे कि उसने देखा उसका दुपट्टा उड़ने से पहले ही किसी ने उसे वापस सम्भाल दिया था, अचानक चाय की दुकान पर लगा लकड़ी का खंभा मीरा के ऊपर गिरने ही वाला था जिसे उसी इंसान ने अपने एक हाथ से रोक लिया था, मीरा ने अपने बराबर में देखा तो वहां जिसे पाया वो वहीं लड़का था जिसे वो भगवान की तरह पूजती है तब से उसे चाहती है जब से पहली बार उसे कॉलेज में देखा था, पर नाम नहीं जानती थी फिर भी उसे चाहती थी। मीरा उस लड़के को देखकर उसके चेहरे में जैसे खो गई थी।


मीरा जी आप ठीक तो हैं, उस लड़के ने पूछा 


हां...मीरा की विचारतंद्रा उस लड़के की आवाज़ से टूटी 

जी मैं ठीक हूं, पर आपको मेरा नाम कैसे पता ?

वो बस स्टैंड पर अक्सर आपकी फ्रेंड्स आपका नाम लेकर बुलाती है ना,उस लड़के का जवाब था।

क्या मैं आपका नाम जान सकती हूं, मीरा ने पूछा

शिवाय, शिवाय नाम है मेरे दोस्त का, पीछे से आकर उस लड़के के दोस्त आकाश ने उसके कंधे पर हाथ रख कर मीरा को मुस्कुराते हुए बताया।

और कुछ जानना है आपको मीरा जी तो मैं इसका मोबाइल नंबर दे सकता हूं, आकाश अभी भी मुस्कुरा रहा था।


तभी कॉलेज बस आ गई बारिश भी थम गई थी। सभी स्टूडेंट्स कॉलेज पहुंच गए, एग्जाम के बाद फिर से बस में पहुंचे मीरा बस में पहुंची पर न जाने क्यों उसकी नज़रें शिवाय को ढूंढ रही थी।


मीरा सीट पर बैठ गई बस चलने ही वाली थी पर शिवाय अभी तक नहीं आया था। मीरा बेचैन हो गई कि शिवाय आया क्यों नहीं ? बस धीेरे - धीरे चलने लगी, मीरा और ज़्यादा बेचैन हो गई, फिर चलती बस में उसने शिवाय को चढ़ते हुए देखा और राहत की सांस ली। शिवाय बस में आगे बढ़ कर बैठने के लिए जगह ढूंढने लगा कि अचानक

उसका हाथ सीट पर बैठी हुई मीरा ने पकड़ लिया उसके मुंह से एक शब्द निकला ...


शिवाय...आप कहाँ चले गए थे मैं तो डर ही गई थी।


शिवाय वहीं रुक गया, कदम भी आगे न बढ़ा सका। फिर मीरा को समझ आया ये उसने क्या किया बिना सोचे समझे शिवाय का हाथ पकड़ लिया अब क्या सोचेगा वो उसके बारे में और भरे संकोच से मीरा ने उसका हाथ छोड़ा तो तुरंत ही उस छूटते हाथ को शिवाय ने कस के पकड़ कर कहा।


अब कहीं नहीं जाऊंगा मीरा जी, शिवाय की बातों में अपनापन था।


समय बीतने लगा कॉलेज आने जाने का सिलसिला जारी था, शिवाय और मीरा की दोस्ती हो गई धीरे- धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई और प्यार परवान चढ़ चुका था पर दोनों को प्यार का एहसास नहीं था। बिना कहे दोनों एक दूसरे के मन की बात समझ जाया करते थे। एक दूसरे का ध्यान रखते थे इसी बीच शिवाय के पिता की हार्टअटैक से मृत्यु हो गई मां का साया तो पहले ही नहीं रहा था शिवाय के सर पर, मुसीबतें उन पर पड़ती गई पर उनका प्यार कभी कम न हुआ। वो हमेशा एक दूसरे की ढाल बनकर रहे। 

मीरा की ज़िन्दगी में भी कम संघर्ष नहीं था, एक रोड एक्सिडेंट में उसने अपनी मां को खो दिया।

एक दिन अचानक शिवाय का फोन आया 


मुझे तुझसे मिलना है शिवी,अभी 

मैं पार्क में पहुंचता हूं तू अभी आजा। शिवाय ने मीरा को एक नाम दिया था शिवी ( शिवाय की शिवी )


हां शिवाय मैं आती हूं...


शिवी मुझे चाचा जी की साथ गुजरात जाना होगा पापा अब नहीं रहे है जैसा कि तुझे पता है मैं कोशिश करूंगा कि सरकारी नौकरी पा सकूं जितनी हो पाएगी उतनी मेहनत करूंगा। तू मेरा इंतज़ार तो करेगी ना शिवी....

हां, शिव कब लौटेंगे आप ? 

ये तो नहीं बता सकता पर कोशिश करूंगा जल्दी से जल्दी वापस आने की, मेरा इंतज़ार करना शिवी।

दोनों की आंखों में आंसू थे।


6 महीने बीत गए शिवाय और मीरा ना एक दूसरे से मिल पाए न उनकी बात हो पाई, शिवाय मीरा को कॉल नहीं कर सकता था क्योंकि उसने सोच लिया था जब तक कुछ बन नहीं जाता खुद के दम पर तब तक मीरा से बात नहीं करेगा न उसे दुखी होने देगा।

इसी बीच मीरा की शादी तय हो गई, बहुत कोशिश की उसने कि शिवाय से बात हो जाए पर शिवाय ने पुराना मोबाइल नंबर बदल दिया था और नया नंबर उसके पास नहीं था।


8 महीने कठिन परिश्रम के बाद सफल होकर जब शिवाय वापस लौटा तो पता चला 2 दिन पहले उसकी शिवी किसी और की मीरा बन चुकी थी। मीरा की शादी हो चुकी थी शिवाय वापस लौट गया। जानता था उसकी शिवी ने ये फैसला बहुत बड़ी मजबूरी में लिया होगा, उसने ठान लिया की अब कभी वो शिवी से किसी प्रकार से संपर्क नहीं करेगा क्योंकि ये उसके गृहस्थ जीवन के लिए अच्छा नहीं होगा।

मीरा ने अपनी गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाने की हर एक मुमकिन कोशिश की पर न कभी उसे अपने पति से प्यार मिला न सम्मान। समय बीतता रहा 2 साल आगे समय पहुंच चुका था। 


एक दिन मीरा के पास एक कॉल आया उस वक़्त वो अपने मायके में थी।


हैलो...

हैलो शिवी...

शिवाय...मीरा ने उसे पहचान लिया उसकी आंखों में आंसू थे।

शिवी एक बार बस एक आखिरी बार मुझे तुझसे मिलना है प्लीज़, कल शिव मंदिर में शाम को 5 बजे मैं तेरा इंतज़ार करूंगा,,,,

ओके शिवाय मैं आऊंगी...


शाम को दोनों शिव मंदिर में पहुंच गए एक दूसरे को सालों बाद देखकर खुशी से एक दूसरे की अोर भागते हुए आए एक दूसरे के गले लग जाना चाहते थे पर मीरा के गले में बंधे मंगलसूत्र और मांग में भरे किसी और के नाम के सिन्दूर ने एक मर्यादा की रेखा खींच दी थी दोनों के बीच।


शिवाय ने मीरा से कहा।

शिवी कल मेरी शादी होने वाली है...

बधाई हो, बनावटी मुस्कान के साथ मीरा ने जवाब दिया।

शिवी मैंने सुना था तू अपने शादीशुदा ज़िन्दगी में खुश नहीं है....

ऐसा नहीं है शिवाय, मीरा ने आंखें चुराते हुए कहा।


तो फिर तू अपने मायके में इतने दिनों से क्यों है 6 महीनों से वापस क्यों नहीं गई....

वो शिवाय बस वो, ख़ैर तुम्हारी शादी है कल जाओ जाकर तैयारी करो, अब भी मीरा के चेहरे पर बनावटी मुस्कान थी।

मैं शादी करूंगा तब जब तू वापस अपने घर जाएगी....

शिवाय ! ये नहीं हो पाएगा।


तो मैं भी शादी नहीं करने वाला, तुझे मेरी कसम है वचन दे मुझे अब कभी अपना घर छोड़ के नहीं आएगी तू, ये धर्म नहीं। पति पत्नी का रिश्ता सात जन्म का होता है हमारे एक जन्म के संबंध से कहीं ऊपर है तेरे पति के साथ सात फेरों का रिश्ता, इसलिए वापस चली जा शिवी यही मेरी इच्छा है।


मुझसे नहीं होगा शिवाय, मीरा सिसक कर रो पड़ी।


जानता हूं पर यही हमारा भाग्य है हमें ये त्याग करना होगा हमारे परिवार के लिए, जो निजी सुख के लिए किया जाए वो प्रेम नहीं प्रपंच होता है और हमारा प्रेम प्रपंची या स्वार्थी नहीं शिवी...


शिवाय का गला रूंध गया था वो घुटनों के बल बैठ गया और उसने अपनी दोनों हथेलियों को फैलाकर मीरा से उसी रुंधे स्वर में कहा - 


एक और एहसान कर दे मुझ पर मेरे हाथों को इस दूसरी शादी का बोझ उठाने की हिम्मत दे दे क्योंकि जब से तुझसे मिला तुझे अपने मन में पत्नी जगह दी थी मैंने, पर शायद किस्मत ने हमें एक दूसरे जीवन में तो लिखा पर नसीब में नहीं....तू वापस लौट जा अपनी गृहस्थी को फिर से बसने की कोशिश कर यही मेरी इच्छा है 


मीरा ने शिवाय के हाथो पर अपने हाथों को रखकर कहा - 

जाइए शिव अपना धर्म निभाने मैं हमेशा आपकी शक्ति बनकर रहूंगी और अपना धर्म निभाऊंगी...  

तुम्हारी मर्ज़ी मेरे लिए आदेश है शिव....

और तुम्हारे मर्ज़ी मेरे लिए आदेश, शिवी एक बात याद शिवाय की रूह हमेशा सिर्फ तुम्हारी है...

और मीरा की रूह सिर्फ शिव की.....


दोनों फुट - फुट कर रो पड़े और चल पड़े अपना अपना धर्म और कर्तव्य निभाने।


तो दोस्तों ये थी रूहानी मोहब्बत एक " पवित्र रिश्ता" जिनका मिलन आत्मिक था शारीरिक नहीं ये कहानी केवल कल्पना है किसी को अगर मेरी कहानी से ठेस पहुंची हो तो क्षमा प्रार्थिनी हूं।


राधे - राधे



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