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Neha Thakur

Abstract Thriller

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Neha Thakur

Abstract Thriller

मनुष्य में बदलाव

मनुष्य में बदलाव

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मनुष्य एक ऐसा शब्द जो इंसानों को बनाता है जीवन और मनुष्य दोनों ही जुड़े हुए हैं क्योंकि जीवन रहेगा तो मनुष्य के लिए जीने की एक राह बनती है। मनुष्य एक ऐसा मानव है जो अपने पिता के लिए भी जाना जाता है और अपनी ममता के लिए भी कुछ मनुष्य में प्रेम की भावना तो कुछ में ईर्ष्या की भावना रहती है। मनुष्य वक्त के साथ बदल चुका है उसमें अलग-अलग तरह की बातें और नए-नए शौक आ चुके हैं। पहले के मनुष्य जितना में ही खुश अभी कि नहीं अभी मैं हर नई नई चीजों को पाने की चाहत बनी रहती है। मनुष्य में बदलाव होता आया है। आदि मानव बुद्धिमान मानव युगों युगों हर तरह के मानव आकर इस धरती पर बसु के वक्त के साथ-साथ मानव के शरीर में भी बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं। मनुष्य में बदलाव होना जैसे कुछ लोगों में दूसरों को देखकर जलन की भावना होती है। तो कुछ लोगों के अंदर प्रेम की किसी की भी चीजें देखकर जलन नहीं होती। ऐसे ही वक्त के साथ मनुष्य में बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं। 

वह वक्त ही क्या था जिसने दुनिया को भुला दिया जिसमें जिस जीवन के दस्तूर बना दिया। क्या हमें पता होता है कि हमारे जीवन में क्या होने वाला है नहीं जीवन एक ऐसा चक्र है जो वक्त आते ही विचार वक्त से पहले उसका कोई हिसाब नहीं होता। जब जीवन में कष्ट आना होता है तो वक्त होने पर ही आता है वह वक्त से पहले नहीं आता। और खुशी भी जीवन में बड़ी ही मूल्यवान होती है। क्योंकि जीवन ही हमारा हमारे लिए बहुत मूल्यवान है। जीवन यह शब्द बहुत सारे शब्द को शुरू करने वाला एक शब्द है। क्योंकि जब जीवन की शुरुआत नहीं होती तब तक कुछ नहीं होता। जैसे जैसे हम अपना जीवन जीते हैं। उसी तरह से हमारे करण बनते हैं जो अगले जन्म में हमें मिलते हैं। जीवन एक ऐसा शब्द है जिसे जीते जीते हम सारे बहुत सारे रिश्ते और सुख-दुख के भागी होते हैं। मेरे मन में हमेशा एक सवाल बना रहा है जीवन क्या है? जीवन का क्या महत्व है? और जीवन का अंत क्यों नहीं है? इस सवाल के लिए मैंने बहुत सोचा पर मुझे कोई जवाब नहीं मिला। 

जीवन एक ऐसा शब्द है जो मनुष्य के अंदर से अब खो चुका है पहले लोग हजारों तरह के जीवन भूमिका में करना चाहते थे। उनका मानना था हमारे आस पड़ोस के लोग भी सुखी रहे अब के लोगों का मानना है हमसे बड़ा कोई होना नहीं चाहिए। यह जीवन में इतने सारे बदलाव हो गए हैं कि अब मनुष्य अपने आप के अलावा और किसी चीज को नहीं देखता उसके सामने खुद भगवान भी आकर खड़े हो जाए तो भी वह सिर्फ अपने बारे में सोचेगा और किसी के नहीं। पहले के लोग सुबह उठते ही स्नान दान करके थोड़े से आराम करने के बाद चाय नाश्ता करते थे फल खाते थे अभी के लोगों का कुछ नहीं सोए सोए ही सब कुछ हो जाते हैं। सुबह स्नान करने से हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा बनता है और हमारे संस्कार भी बढ़ते हैं पर स्नान दान खाने पीने के बाद करता है उसे यह सब कहां समझेगा क्योंकि अब तो वह जीवन हो चुका है। मनुष्य अपने जीवन को सवार थे सवार चेक हो चुका है। ऐसा देखना है वैसा देखना है ऐसा करना है वैसा करना है सब चीज सारे शब्दों ने जीवन को बदल दिया है अब तो लोग अपनों के बारे में भी नहीं सोचते और पहले था कि पूरे गांव के बारे में लोग सोचते थे। अब तो अपने ही अपनों के दुश्मन बने बैठे हैं तो गैरों का क्या कहना। भाई भाई का ना रह बेटे मां बाप के ना रहे खत्म होने के बाद उन्हें वृद्ध आश्रम भेज देते हैं उनकी गलती है उन्होंने पाल पोस कर बड़ा किया है यहीं उनकी गलती है इसकी सजा होने दे रहें हैं। पर यह कहा नहीं जा सकता है उन्हीं के कर्म है उन्होंने जो अपने शुरुआती के जीवन में किया है उसी की सजा उन्हें मिलती है सजा हम उसे जीवन में भुगत रहते हैं कुछ अगले जीवन में। हमें अपने साथ-साथ दूसरों का भी अच्छा ही सोचना चाहिए कभी किसी के बारे में बुरा ना सोचो क्योंकि किसी का भी वक्त नहीं होता वक्त कब पलट जाए यह कोई नहीं जानता। वक्त एक ऐसा परिंदा है जो अगर एक बार उड़ जाए तो दोबारा नहीं आता। युगों के साथ जीवन जीने के तरीके बदल गए हैं। सतयुग श्री राम का जन्म हुआ श्री राम के राज्य में हर लोग एक दूसरों के साथ खुश थे उनका जीवन बहुत अच्छी तरह से कट रहा था उस वक्त हर किसी बातों के लिए एक दूसरों से सलाह मशवरा लेते थे अभी तो अपनों से भी नहीं लेते।

श्री कृष्ण का वक्त द्वापर उस वक्त भी यह सब कायम था हर कोई एक दूसरों के बारे में सोचता था उसे एक दूसरों की परवाह थी श्री कृष्ण राधा के प्रेम की गाथा हर कानों और हर होंठों पर है। मीरा श्रीकृष्ण की ऐसी भक्त थी जिसने अपना सब कुछ त्याग दिया सिर्फ श्री कृष्ण के लिए। दुनिया के सारे सुख श्री कृष्ण के दर्शन में ही नजर आते थे। वह एक राजा की बेटी थी फिर भी उसने गली-गली में जाकर श्री कृष्ण के गाथाएं गई है क्योंकि यह सारा जीवन मोह है और वह सब चीजों से दूर होकर एक सन्यास सी की जिंदगी जीना चाहती थी। फिर त्रेता युग की शुरुआत हुई हर कोई एक दूसरों के साथ खुश था पर कलयुग में हर चीज गायब हो गई वहां कोई किसी का नहीं था। हम भी उसी कलयुग में जी रहे हैं हम देखते हैं कि हमारे आसपास में कैसे लोग रहते हैं और कैसा एक दूसरों के बारे में सोचते हैं। पर चारों युग में एक चीज नहीं बदली वह इंसान की सोच सतयुग में भी माता सीता पर गलत आरोप लगाए गए थे। मीरा को भी गलत कहा गया था और कलयग में तो इसके हद को पार ही कर दिया है इस युग में हर कोई एक दूसरों के बारे में अलग ही सोच रखता है कोई किसी के बारे में अच्छा नहीं सोचता। हां कुछ लोग हैं जो एक दूसरों के बारे में अच्छा सोचते हैं पर ज्यादा करके इंसानों को सिर्फ अपना आप ही दिखता है। 

एक वक्त हम बिहार के एक छोटे से गांव में गए थे। और वहां पर हमने देखा कि परिवार में ही भेद-भाव एक दूसरों को कोई समझ नहीं सकता विराज नाम का उस घर में सबसे छोटा लड़का था वह अपने जीवन में बहुत कुछ देख चुका था बस उसे यही देखा एक दूसरों से लोग कैसे लड़ते हैं। कैसे उसने जीवन को खुशी से जीना एक दूसरों के बारे में अच्छा सोच ना तो कभी देखा ही नहीं। उसका मानना था यह जीवन उसका नाम मुझे कब मिलेगा मैं कैसे जीवन से छूटूं । जीवन की मोह माया से तभी मनुष्य छूट सकता है जब वह सब कुछ छोड़ कर सन्यासी की जिंदगी जीने लगे। हर तरफ एक की चीज फैली हुई है।


कोई किसी के बारे में अच्छी बातें नहीं हर कोई किसी न किसी की बुराइयां ही निकालने में लगे रहते हैं। उस गांव में वह सब देख कर वह परेशान हो चुका था वह यह सोच रहा था कि कब यहां से निकलो और किसी जगह पर जाओ और वहां के माहौल में रह कर देखूं। क्योंकि इस माहौल से तो अब हम परेशान हो चुके हैं धीरे-धीरे वह अपने जीवन से तंग आकर जाकर श्री कृष्ण के धाम वृंदावन में जा बैठा उसका मानना यह था अब यही अंत है होगा क्योंकि मनुष्य जीवन में तो इतना कुछ देख चुका हूं। कि अब इस जीवन से थक ही गया हूं। सब कुछ कर चुका हूं पर जीवन में सही तरह से जीना किसी को ना सिखला पाया। यह बात उसकी सत्य है इंसान कितना भी चाहे अपने आप को बदल दे पर किसी और को बदल नहीं सकता क्योंकि मनुष्य का मन और मस्तिष्क जब तक बदलने की चाह नहीं रखेगा तब तक वो नहीं बदल सकता। विराज का वहीं डेरा बन चुका था वहीं पर वह रहता था। उसने एक छोटा सा काम ढूंढ लिया था। और वही करके वह वहीं पर अपने पूरे जीवन रहता था।

उसने कहा कि यही अब इतनी शांति मिलती है कि बाकी जीवन उसे तो दूर ही रहना हमारे लिए अच्छा लगता है। और वही रह गया यह बात हमने बहुत गौर से सुना था और जीवन का महत्व तब हमें समझा जब इस कथा को समझ कर अपने जीवन को भी समझा। जीवन को जीने की कला हर किसी को नहीं आती। मनुष्य जब बचपन में जन्म लेता है तभी वह अपने जीवन की जो खुशी रहती है वह थोड़ी मोड़ी जी लेता है उसके बाद वह उसी दुनिया की मोह माया में खो जाता है। कोई किसी की मृत्यु चाहता है कोई किसी का बुरा पर कोई किसी का भी अच्छा नहीं चाहता। और जो हमारा अच्छा चाहते हैं हम उसे भी बुरा समझने लगते हैं उसकी भी बुराइयां करने लगते हैं। जब तक हम अपनी सोच को नहीं बदलते तब तक इस दुनिया को बदल नहीं सकते। जीवन को समझने की कोशिश करना ही एक बड़ी कला है क्योंकि हर किसी के अंदर यह कला नहीं रहती। इस जीवन को गहराई से समझने की कोशिश तो की पर पूरी तरह तो नहीं समझ पाई। जीवन को समझने मैं बहुत वक्त लगता है क्योंकि जब हमने अपने आप को बदल दिया होता है तब जीवन भी हमारे साथ उसी तरह बदल जाता है इसलिए हमें अपने जीवन को समझना चाहिए और जीवन में जो हो रहा है वहीं होने देना चाहिए क्योंकि अपने जीवन को बदलने के चक्कर में हम खुद को बदल देते हैं हमारे दुख सुख सब इसमें लिखे हुए हैं। अगर दुख को हंसकर काट लो तो सुख बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि हमें पता होता है कि दुख में हमने कितनी सारे कष्टों को चाहा है तभी हम इसको पा सके हैं। जीवन की कथा जीवन की गाथाएं इंसान समझे इंसान को। 

जा को राखे साइयां मार सके ना कोई

यह बात बहुत ही फैली हुई है और सच भी है जिसकी रक्षा वह ईश्वर करता है उसे ना कोई मार सकता है ना कोई उसका बुरा कर सकता है क्योंकि वह अच्छाई की राह पर चल रहा है उसे जीवन जीने की सही राह पता है। जीवन को उस तरह जी लोग जिस तरह जिया जाता है क्योंकि इस मोह माया की दुनिया का अंत होते ही आप का अंत हो जाता है। जी लो खुशी के कुछ पल क्योंकि हर वक्त का कोई कहा नहीं जा सकता कि वह कब अच्छा है और कब बुरा। जैसे विराज ने अपने जीवन में अच्छे बुरे वक्त देखने के बाद श्री कृष्ण की शरण ले ली क्योंकि वह देख चुका था इस दुनिया में कुछ नहीं रखा वह सिर्फ मायावी और माया में बड़ी-बड़ी है यह दुनिया सिर्फ पैसों की भूखी है। यहां कोई किसी का अच्छा नहीं चाहता सब एक दूसरों का बुरा चाहते हैं और जो अच्छा चाहते हैं उसे भी बुरा बना देती है यह दुनिया। जीवन की कला अलग ही है जीवन कैसे जिया जाता है इस कथा से अगर आप को समझे। मनुष्यों मैं गलत भावनाएं बहुत जल्दी आती है और अच्छी भावनाएं बहुत कम देखी जाती है। मनुष्य जैसे हम पहले किसी भी जगह रहे कैसे भी चीजों को खा लेते थे अब वैसा कुछ नहीं रहा अब खाने को गहराई से जांच परख कर ही खाया जाता है। हर चीज में शक्ति बढ़ती जाती है। क्योंकि मनुष्य को अपना शरीर बहुत ही प्यारा होता है उसे यह जीवन बहुत मुश्किल से मिले होते हैं। जिसे वह कभी खोना नहीं चाहता। क्योंकि मनुष्य जीवन बहुत ही मूल्यवान जीवन है। मनुष्य में लोगों को देखकर कुछ सीखने के बदले उससे जलने की भावना बहुत जल्दी उत्पन्न होती है। पहले हर मनुष्य स्वस्थ था अब हर तरह की अलग-अलग बीमारियां आ चुकी है खाने पीने में बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं वह बहुत ही खाते क्या सही है क्या गलत नहीं सोचता। इस वजह से मनुष्य में बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं जिस कारण से पृथ्वी धीरे-धीरे मनुष्य के बदलाव की तरह बढ़ती जा रही है। 


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