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Neha Thakur

Inspirational Thriller

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Neha Thakur

Inspirational Thriller

ऐसा हो परिवार

ऐसा हो परिवार

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एक बार की बात है। एक शहर में शर्मा परिवार रहता था वह परिवार बहुत खुशहाल परिवार था सियाराम शर्मा उनकी पत्नी गीता शर्मा और बेटा गोविंद शर्मा बहु निधि शर्मा और इन दोनों का बेटा राज शर्मा यह शहर में रहते थे इनका घर पुणे में था यह इनका खुद का घर था यह सब नौकरी करते थे।और राज तीसरी कक्षा में पढ़ता था राम शर्मा बैंक के मैनेजर थे और उनकी पत्नी स्कूल की शिक्षिका बेटा गोविंद शर्मा पुलिस में था और निधि शर्मा डॉक्टर थी यह सब सरकारी कर्मचारी थे अपना कर्तव्य भली-भांति समझते थे। इन सब का लाडला राजशर्मा बहुत बुद्धिमान बच्चा था और वह स्कूल में हर साल प्रथम आता था स्कूल के शिक्षक भी उसकी प्रशंसा करते थकते नहीं थें।

कुछ दिन पहले कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लिया और वहां भी वह प्रथम आया इसलिए राम शर्मा उसे बाजार ले गए और बोले क्या चाहिए राज्य को वह भी राज बताएं तो राज गोला दादाजी मुझे स्वामी विवेकानंद की किताब चाहिए दादाजी आश्चर्य में पड़ गए अभी के उम्र में बच्चे खिलौने मांगते हैं और यह किताब मांग रहा है इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि पूरा परिवार महानता की बातें करता है।कभी भी बाहर की बात लेकर परिवार में वाद विवाद नहीं होता इस कारण राज्य का मन भी एकदम शांत है। राजकीय मन में अच्छे गुण ही आते अच्छे विचार आते हैं वह हमेशा कुछ न कुछ नया करने के बारे में ही सोचता रहता।

शर्मा परिवार के पास सब कुछ है बस एक कमी थी वह बेटी की राज की कोई बहन नहीं थी यही कमी राम शर्मा को परेशान करती थी तो उन्होंने एक बच्ची को गोद लिया तो बहुत प्यारी थी उसके मां-बाप की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो चुकी थी। वह बच्ची अभी 2 साल की ही थी दरअसल उसके मां-बाप सुन से पुलिस ऑफिसर थे इसके कारण उन्हें दुश्मनों ने मार दिया इसकी वजह से 2 साल की बच्ची ने अपने मां-बाप को खो दिया यह परिवार शर्मा परिवार का रिश्तेदार था पिता का नाम राहुल सिंह मां का नाम निशा सिंह उस प्यारी बच्ची का नाम था दिया से सिंह। दुश्मनों के कारण आज एक परिवार टूट गया इस बच्ची का इस दुनिया में कोई नहीं रहा 2 साल की बच्ची के साथ ही उसके मां-बाप का साया उठ गया यह राम शर्मा को पता चला तो उन्होंने उस प्यारी बच्ची दिया को अपने गोद ले लिया राम शर्मा बहुत ही दयालु थे वह हर किसी को अपना ही मानते थे। राम शर्मा बोले अब से यह बच्ची हमारे साथ हमारी बेटी बनकर रहेगी वैसे भी हमारी कोई पोत नहीं है यह हमारी ‌ दीया सिंह बनकर अब से यह हमारे साथ रहेगी मैं इस बच्ची को गोद ले लूंगा। कुछ दिनों में उस बच्ची को ले आए और अब से वह बच्ची शर्मा परिवार का हिस्सा बन गई आज बहुत खुश था कि उसे एक प्यारी सी छोटी बहन मिल गई अब पूरा परिवार खुश था कि उनका परिवार अब पूरा हो गया था। अचानक से कुछ कारणों के कारण परिवार बहुत दुखी था, उनके परिवार के मुखिया राम शर्मा की हालत बहुत खराब हो गई थी उन्हें खून की जरूरत थी और पूरे परिवार में से किसी का भी खून राम शर्मा से मैच नहीं हुआ था। अगर उन्हें खून नहीं मिलता तो शायद राम शर्मा नहीं रह पाते।

राज और दिया को पढ़ाई करने के लिए 18 साल की उम्र में दिल्ली भेज दिया गया राज्य और रिया को यह बात पता नहीं थी कि राम शर्मा की तबीयत खराब है आज लगभग राज 25 साल का और दिया 23 साल की हो चुकी थी यह दोनों अपनी पढ़ाई पूरी करके कुछ दिनों में पूणे आने ही वाले थे कि अचानक राजकीय और दिया का फाइनल एग्जाम का टाइम टेबल और सिलेबस आ गया कि इस कारण से राज और दिया नहीं आ पाए और यह बात उन्हें पता भी नहीं थी जब दिया ने पापा गोविंद शर्मा को फोन किया तब पता चला कि दादा जी की तबीयत बहुत खराब है उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट किया गया है। दीया ने यह बात राज को बताएं तो राज और दिया तुरंत कुछ वक्त का ब्रेक लेकर एग्जाम का टाइम बड़वा कर पुणे आ गए दादा जी के पास दीया और राज ने दादा जी को देखा तो दादा जी की तबीयत बहुत खराब थी। फिर दिया और राज ने अपना खून टेस्ट करवाया फिर पता चला कि दिया का खून दादाजी से मैच होता है तो दिया ने अपना खून दादाजी को बिना कुछ सोचे समझे दे दिया। उसके बाद दादाजी कुछ दिनों में ठीक हो कर घर वापस आ जाएं और पूरा परिवार खुश था कि दादाजी अब ठीक है। पर सबके मन में एक सवाल था कि दिया का खून दादा ज से मैच कैसे हुआ वह तो हमारे घर की नहीं है हमने उसे गोद लिया था। तभी दादा जी बोले दीया कोई और नहीं है दीया मेरी बड़ी बहन सुमित्रा की बेटी है। मेरी बड़ी बहन सुमित्रा सैनिक और उनके पति वायु सेना में थे। इस कारण वह कभी भी हमसे मिलने नहीं आ पाते और उनके दो बेटे बहुत हैं राहुल सिंह निशा सिंह बहन को कोई बेटी नहीं कि राहुल और दिया से उन्हें एक पोती मिली और रिटायरमेंट के बाद वह उसी के साथ खुशहाली से रहने लगे पर उनकी बहू और बेटे दोनों पुलिस में थे जिसके कारण उनके बहुत दुश्मन थे क्योंकि वह सब से सुन से पुलिस ऑफिसर थे जिस कारण उन्हें मार दिया गया और यह बात मुझे पता चली तो मैंने दिया को अपनी पोती अपने घर में रखने की ठान ली क्योंकि मेरी बहन का मेरे सिवा कोई नहीं था और अब उसके परिवार का कोई नहीं बचा केवल दिया बची थी और दिया मेरी जिम्मेदारी बन चुकी थी इस कारण मैंने दिया को अपने घर में रख दिया किसी के मन में यह बात ना आए कि मैंने दिया पर एहसान किया है इसलिए मैंने किसी को यह बात नहीं बताई कि दिया मेरी बड़ी बहन सुमित्रा की बेटी है। यह बात सुनकर सब बहुत खुश हुए राज और दिया भी बहुत खुश थे। यह बात पूरे परिवार को पता नहीं थी कि दिया राम शर्मा की बड़ी बहन की पोती थी तभी भी सब दिया को सबसे ज्यादा प्यार देते थे कभी भी दिया और राज में किसी ने अंतर नहीं किया इस कारण दिया ने कभी भी माता-पिता की कमी महसूस नहीं की वह बहुत खुश थी कि उसके के पास माता-पिता दोनों हैं और पूरा परिवार है। 

हालांकि यह बात दिया को पता थी कि राम शर्मा उसके दादाजी नहीं थे उन्होंने उसे गोद लिया था तभी भी दिया ने बिना कुछ सोचे समझे उन्हें खून दिया। दिया उस परिवार के साथ बहुत खुश थी। चाहे सुख में या दुख में दिया को उस परिवार ने हमेशा खुशी दे हमेशा दिया का साथ दिया यह बात सच है कि परिवार वह होता है जो एक दूसरों के दुख और खुशी को समझें बिना कुछ सोचे-समझे एक दूसरों का साथ दें चाहे गलत हो या सही साथ खड़ा रहने वाला ही परिवार होता है।

मैंने एक और परिवार देखा है जिसमें बिल्कुल ही खुशी नहीं थी बिल्कुल ही प्यार नहीं था एक दूसरों पर विश्वास नहीं बेटियों को कुछ करने या खुद की मर्जी से जीने की आजादी नहीं थी वह परिवार के मुख्य सदस्य बाहर की बात लेकर घर में मारपीट करते थे उन्हें अपने घर से ज्यादा दूसरे घरों के बारे में जानना पसंद था जिस कारण से उनके परिवार में कभी भी एकता और खुशी नहीं थी बहुत सारे दुखों के साथ वह जीते थे पर परिवार ऐसा नहीं होना चाहिए परिवार में एकता खुशी होनी चाहिए बाहर की बात लेकर जो परिवार एक साथ बैठे और मारपीट वाद-विवाद करें वह परिवार परिवार नहीं होता। जिस घर में बाहर की बातों को लेकर वाद विवाद होता है वह घर कभी सुखी और शांत नहीं रह सकता वह परिवार परिवार नहीं उस घर के बच्चे कभी अच्छे संस्कार नहीं पा सकते क्योंकि उन्होंने तो अपनी आंखों के सामने हमेशा गलत होते देखा तो सही उनके मन में कहां से आएगा सही लाने के लिए बच्चों को बचपन से सही संस्कार और बच्चों के सामने गलत काम ना करें यह बात हमेशा इंसानों को याद रखनी चाहिए क्योंकि बच्चों को संस्कार दुनिया नहीं देती मां बाप देते हैं। परिवार अगर एक रहे तो ही बच्चों को सही संस्कार मिलते हैं। परिवार में रहना खुशी से रहना सीखें परिवार में कभी भी वाद-विवाद झगड़ा लड़ाई बच्चों की खुशियों पर रोक ना डालें।

मैं मानती हूं कि परिवार एक होना चाहिए मैंने भी यह देखा है कि कैसे अपनी खुशी को त्याग कर बच्चे अपनी जिंदगी जीते हैं। बच्चों को अपनी खुशी मारने ना दें उन्हें कहे जो करना है खुशी से करो हम तुम्हारे साथ हैं तो देखे बच्चे अपने उच्च शिखर और हमेशा सही मार्ग पर चलेंगे।

परिवार एकता है तो संस्कार अनेकता बच्चे की खुशी घर की हर इंसान खुश तो ही परिवार होता है नहीं तो नहीं होता। परिवार राम शर्मा के परिवार जैसा होना चाहिए क्योंकि उनके परिवार में खुशी है संस्कार है और हर तरह की आजादी है साथ है कुछ भी हो जाए वह साथ नहीं छोड़ेंगे इसका विश्वास है। परिवार पेड़ की तरह होना चाहिए चाहे कुछ भी हो जाए जड़ का साथ नहीं छोड़ते हैं।


साहित्याला गुण द्या
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