बच्चों का बचपना
बच्चों का बचपना
बच्चे को भगवान का रूप माना जाता है। बच्चे जिनका बचपन देखकर परिवार में एक नए ही उमंग और खुशियां आ जाती हैं। जिस परिवार के बच्चे संस्कारों से परिपूर्ण रहते हैं वह परिवार अपनी मिसाल स्वयं बनाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने बच्चे बहुत पसंद है उन्हें बच्चे प्यार से चाचा नेहरू करते थे। उसी उपलक्ष में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। बच्चे जो भी करना चाहे उनका साथ देना चाहिए उनके साथ खड़े होना चाहिए पर बच्चे अगर कोई गलती करते हैं तो बड़ों को उन्हें समझाना चाहिए। की बात है एक शहर में राम कॉलोनी थी। वहां पर बच्चों को खेलने के लिए बड़ा सा मैदान था। बच्चे वहां के बहुत खुश थे, सुबह-सुबह गाड़ी आती और बच्चों को विद्यालय ले जाती कुछ बच्चे मित्रों के साथ खेलते कूदते जाते क्योंकि विद्यालय पास में ही था। शाम को जब बच्चे मैदान में खेलने आते हैं तो लोगों में बहुत खुशी छा जाती थी अब बच्चे खेलेंगे। शनिवार और रविवार बड़े भी बच्चों के साथ खेल मैदान में जाते थे। अगर किसी बच्चे को किसी बड़े ने खेलने पर रोक लगाई तो उस कॉलोनी में बड़ी सी कमेटी बैठती है और उन लोगों को समझा दी कि बच्चों पर रोक ना लगा बच्चे अगर गलती करें तो उन्हें समझा और उनका अधिकार मुझे ना छिने। जीना शिक्षा लेना खेलना कूदना यह बच्चों का अधिकार है अगर इस पर कोई रोक लगाई जाए सरकार आप लोगों का कार्यवाही भी कर सकती है।
इसे ज्यादातर क्या होता पहली बार मान जाते और बच्चों को हर आजादी दी जाती। बच्चे गलती करते हैं तो पूरा परिवार उन्हें समझा था और उसके बाद बच्चे ना समझते तो कमेटी के लोग आकर उन्हें समझाते। पर बच्चों को बच्चों की तरह समझाते बड़े की तरह उनके साथ कोई भी गुस्सा नहीं किया जाता। बच्चों को खुशी से जीने का अधिकार था पर अगर कोई भूल हुई तो माफी भी बच्चों को मानना पड़ता है। इंसान अगर बड़ा हो जाए तो उनकी जिंदगी की खुशी चली जाती है। जिंदगी की खुशी चली जाती है वह अपनी जिंदगी में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें खुद लिए वक्त भी नहीं मिलता। बचपन में बच्चे मां बाप से जिद करते हैं कि हमें यह चाहिए वह चाहिए और बड़े होने के बाद कहां हो खुशी कहां हो जिंदगी की जिद्दी बच्चे तो हमेशा मां-बाप कुछ ना कुछ लाकर देते जिसकी वजह से मां बाप को भी बच्चों से क्या चाहिए कि चाहिए ऐसा चाहिए जो चाहिए कि मैं बात करने का वक्त नहीं मिलता। एक जमाने में बच्चों में भेदभाव होता था कि तुम लड़की हो घर का काम करो लड़के बाहर जाएंगे खेलेंगे को देंगे पर वह गलत था। बच्चे बच्चे होते हैं चाहे वह लड़का हो या लड़की सबको समान हक मिलना चाहिए। जैसे इंसान बड़े हो जाते हैं तो उनके कंधों पर बहुत सारी जिम्मेदारी आ जाती है पर जब वह बच्चे रहते हैं तब उनकी जिम्मेदारी बड़ों के ऊपर होती हैं और बच्चों को सही से खाना भी नहीं आता तो माता-पिता या घर का कोई बड़ा इंसान उन्हें खाना सिखाता है, बच्चों को चलना नहीं आता तो चलना सिखाते हैं, मैं मोड पर हाथ पकड़कर चलना है, मैं उनका योगदान रहता है और जब बड़े हो जाते हैं तो बच्चे स्वयं ही अपने जीवन के निर्णय लेने लगते हैं।
बच्चे खुशी और दुख दोनों बराबर होती है मुझे होते हैं तब उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं होता। एक गांव में अगर छोटी लड़कियां घर से बाहर निकल जाएं, तो उन्हें सूली पर चढ़ा दिया जाता था यह तो गलत था ना वह भी तो बच्चे थे उन्हें भी तो जीने का अधिकार था खेलने का अधिकार था तो यह इस कारण होता था क्योंकि उस वक्त कोई संविधान नहीं था भारत का संविधान लिखने वाले डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर ने भारत का भविष्य बनाया है मैं उन्हें दिल से धन्यवाद देती हूं उनके संविधान और अधिकारियों ने हम लड़कियों को बच्चों को अपनी जिंदगी से जीने का मौका दिया है मैं भी एक लड़की हूं मेरे घर में अगर मुझ पर कोई रोक लगाई जाए तो यह मंजूर नहीं मुझे लड़कों से कम समझा गया तो पूरा परिवार इसका भुगतान करेगा। क्योंकि मैं भी एक बच्ची हूँ और भारत के संविधान के मुताबिक हर बच्चे को अपने मुताबिक जीने का अधिकार है गलत करूं तब रोक लगाइए नहीं करूं तुम मुझ पर रोक लगाना यह मुझे ही मंजूर नहीं। मेरा परिवार इन बातों का सम्मान करता है। क्योंकि बच्चों का बचपना छीना नहीं चाहिए श्री कृष्ण के बालपन की लीला ही श्री कृष्ण लीला के लाई थी। बाल गोपाल थे उन्होंने अपने नन्हे मुन्ने हाथों पैरों से पूरे घर और पूरी गोकुल को महका रखा था खुशी दे रखी थी।
श्री कृष्ण ने बचपन में ही कितने राक्षसों को मारा था वह भगवान थे हम भगवान नहीं। मेरे हर माता-पिता से यही विनती है कि अपने बच्चों को खुशी दीजिए जीने का अधिकार दीजिए बजा दीजिए हम बड़े होने के बाद यह मत कीजिए। अगर माता-पिता ने लड़कियों को पढ़ाया नहीं उन्हें बाहर जाने नहीं दिया तो उन्हें बाहरी दुनिया का अनुभव और समझ कब होगी कैसे होगी अगर आपने उन्हें वैसे ही घर में बंद रखा और अगर बच्चे कमाना चाहते हैं कुछ नई चीजों को सीखना चाहते हैं और उन्हें सीखने नहीं दिया तो क्या भरोसा आगे जाकर वह कुछ कर पाएंगे अगर आप मानना यह है कि लड़कियों को कुछ करने की जरूरत नहीं, तो यह गलत है उन्हें भी हरकत चीजों को करना जरूरी है भारत में आज लड़कियां लड़कों से कई गुना आगे हैं। उनकी शादी करवा देंगे और उनकी जिंदगी वहीं थम जाएगी। आगे जाकर उनके पतियों में भी उनके साथ यही किया वह बोलेंगे तुम पढ़ी-लिखी नहीं हो मेरी समझ में क्या रिपीटेशन होगी यह होगा वह होगा का के क्योंकि ताने मारने चाहिए आप यही चाहते हो कि आपके बच्चों को कोई दूसरा इंसान ताने मारेगी कहां का इंसाफ है बच्चों को पढ़ाई है लिखा है उनको एक इस काबिल बनाइए कि दुनिया उनके सामने झुके वह किसी के सामने झुका नहीं चाहिए। बच्चों की शिक्षा सर्वश्रेष्ठ है कहते हैं ना बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ यह कीजिए बेटियों को भी पढ़ाई है मतलब हर बच्चे को पढ़ना।
बाल दिवस के अवसर पर हर 14 नवंबर को विद्यालय में बच्चों को नए नए कपड़े पहनकर खेलने कूदने नए नए खेलों का आनंद लेंगे को कहा जाता है आप भी अपने बच्चों को हर तरह की खुशी दीजिए कि आप उनके दिल के करीब हूं माता-पिता से ज्यादा शिक्षकों के करीब हो जाते क्योंकि शिक्षा को नहीं समझते हैं आप उन्हें समझ नहीं पाते बच्चों को समझे उन्हें समझाइए कि हम तुम्हारी केयर करते हैं काम मत कीजिए अपने बच्चों को दूसरों से कंपेयर मत कीजिएगा कभी जिंदगी में बच्चा इस वजह से बहुत ही नफरत करने लगता है अपने माता-पिता से इसलिए बच्चों को उसके काबिल बनाइए। तो बच्चे अपने आप को समझेंगे और आपका नाम इतना ऊंचा करेंगे पूरा देश पूरा विश्व में जाने का बाल दिवस के अवसर पर सभी को खुशी मिले यही मेरी मनोकामना है यही मेरी इच्छा है कि हर बच्चा पड़े है बच्चा है बड़े मुकाम पर पहुंचे बच्चों की शिक्षा पर कभी रोक न लगाई जाए बच्चों को पढ़ाओ बच्चों को सिखाओ।
बच्चों को आजादी लेना बच्चों का अधिकार है बच्चों को समझाना माता-पिता का कर्तव्य होता है इसलिए बच्चों को समझाइए मारपीट मत कीजिए उनके साथ गलत व्यवहार मत कीजिए बच्चों के साथ शोषण होता है यह गलत है बच्चों को इस काबिल बनाई है कि वह आपको कोई भी बात बता सकें अगर कोई उनके साथ शोषण करता है तो आप उसे जिंदगी में ऐसी सजा दिलवाई क्या बच्चे गर्व से कह सकें कि हमारे माता-पिता ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है। कोई बच्चों का शोषण कर रहा हो तो उसे मौत की सजा मिलना पहुंच जाएगी क्योंकि एक मरेगा तो उसको समझाइए। मेरा मानना यह है कि बच्चों को यह सिखा दीजिए बेटा कभी जिंदगी में किसी को थैंक्स मत बोलना उसे कहना तुम एक की मदद मैंने तुम्हारे लिए तुम और तीन की मदद करो और उनसे कहो कि वह और तीन की मदद करें। यही जिंदगी का उसूल है जिंदगी बच्चों की ऐसे ही दिलाओ क्या जिंदगी है यार बचपना कहां खो गया अब तो बड़े हो गए कहां हो खेतों खली आने वाली खुशी रहे बच्चों को बचपना करने दे खेलकूद करने दे। बच्चों का बचपना ना छीने बच्चों को खुशी देना चाहिए अधिकार हर किसी का होता है पर बच्चों का अधिकार सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए बच्चों का बचपना सब की खुशी हो।
