खुद पर आत्मविश्वास रखो
खुद पर आत्मविश्वास रखो
एक वक्त की बात थी वह वक्त ही अनोखा था जब हम खुद में ही खोए रहते थे ना किसी से कभी कुछ कहा ना कभी किसी का कुछ सुना अलग ही धुन अलग ही जिंदगी पर हम भूल गए थे कि उस ईश्वर ने हमें किसी मकसद से ही बनाया है। क्योंकि बिना मकसद तो पंछी भी अपने पर नहीं हिलाता तो इंसान को धरती पर भेजने के पीछे तो भगवान अर्थात ईश्वर का सबसे बड़ा मकसद छुपा होता है जिसके जरिए वह दुनिया में अलग-अलग लोगों में अलग-अलग बातें जो बताना चाहते हैं। वह इंसानों के जरिए बताते हैं जो उनके दिल के बड़े खास होते हैं यही मेरे साथ हुआ मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि मैं इस दुनिया में अनोखे मकसद को लेकर आई हूं इंसानों में प्रेम और आत्मविश्वास की एक नई लहर भरना यह मेरा मकसद बन गया जब भी कोई यह कहता अब तो हार पक्की है तो मैं उसे कहती कोशिश करके देख ले सपने कभी पीछे नहीं होते। और अगर तुझे खुद पर विश्वास हो तो तेरे सपनों को साकार करेगा तेरा आत्मविश्वास भगवान जब खुद नहीं आ सकते तो वह आत्मविश्वास के जरिए इंसानों को विजय का एक विजय की एक पतंग दिखाते हैं।
एक वक्त की बात थी मैं जब दसवीं में थी तब मेरे साथ एक छोटी सी घटना होती अचानक से विद्रोह का माहौल बन गया हर तरफ के लोगों में फैल गई परिवार बच्चों के कार्य में रुकावट डालने लगे परिवार को यह लगता था कि बच्चे बिगड़ जाएंगे। परिवारों को खुद के संस्कारों पर से जैसे विश्वास ही उड़ गया हो ऐसे उनका व्यवहार होते जा रहा था पर हर बच्चे गलत हो यह सही तो नहीं है तब इंसानों में जागरूकता भरने एक अनोखे इंसान हैं उनके आंखों में अलग ही एक प्रेरणा अलग ही एक तेज था, जैसे कि मानो स्वयं ईश्वर धरती पर आ गए। मानवता को एक अलग और सही राह दिखाने के लिए वह आए थे उन्होंने अपना ठिकाना किसी के महल में ढूंढा ना अपना ठिकाना किसी के घर में उनका तो एक ही ठिकाना था पीपल का पेड़ के छांव के नीचे उन्हें जैसे मानो दुनिया की सारी खुशी मिल जाती ऐसे वह रहते थे। एक दिन मैं रास्ते से जा रही थी तब मैंने उन्हें देखा और मैंने उन्हें नमन करते हुए कहा गुरु जी आप कौन हैं ना मैं आपको जानती हूं फिर भी मेरा दिल कहता है कि मैं आपको अपना गुरु मान लूं आप मुझे कुछ नया सीख लाइए मैं जानती हूं इस पीपल के पेड़ के नीचे जो मानो जो मनुष्य बैठता है। उसे अनोखी और अलंक शांति मिलती है जिसके मन में पाप हो वह भी वह पाप करना छोड़ देता है क्योंकि उसे पता है। आप से कुछ नहीं मिलता पुण्य पाप यह तो बस दो शब्द है इंसान को अपने आप को पहचानना जरूरी है।
तुम्हारे अंदर एक अलग ही झलक दिखती है तुम्हें ईश्वर ने इंसानों में प्रेम और आत्मविश्वास को जागृत करने हेतु भेजा है। मैंने कहा यह सब आप कैसे जानते हैं यह इंसानों की एक बस माया है क्योंकि इंसान जब तक अपनी मायावी दुनिया से बाहर नहीं आएगा तब तक उसे यह सब नहीं समझता और उन्होंने तो अपना जीवन है ध्यान में निकाला था क्योंकि उनका मानना था ध्यान करने से बुद्धि और शरीर के अंदर के रोग गलत विचार सब निकल जाते हैं। मैंने यह सोचा कि उनकी सहायता करनी चाहिए और मैंने कहा ठीक है आप जो कहेंगे मैं वह कर दूंगी उन्होंने मुझसे एक छोटा सा कार्य करने को कहा। वह कार्य था कि मुझे अपने अंदर की वह मोहिनी की शक्ति को जागृत करना होगा जो पल भर में इंसानों के मन को मोह लेती है यह खासियत मेरे अंदर थी मैं झटपट किसी के भी मन को मोह ने की थी मेरे आंखों में वह झलक थी कि इंसान अगर एक बार मुझे या मेरी बातों को सुन या देख ले तू वह मनुष्य जैसे कि मेरा गुलाम ही हो जाए। तुम मैंने उनकी मदद की और धीरे-धीरे हमन यह पाया कि मनुष्य में आत्मविश्वास भर रहा है प्रेम बढ़ रहा है। मनुष्य का एक ही मात्र सहारा होता है जब वह इस मायावी दुनिया में होता है वह है परिवार और अपने बच्चे जब मा किसी बच्चे को दूध पिलाती है तो वह किसी चाहत से नहीं उसका एक ही मानना होता है कि मेरी बच्चों का पेट भरा रहे और वह स्वस्थ रहें। फिर मैंने अपने अंदर की एक अनोखी शक्ति को पाया जो था मोहिनी मोहित करने वाली एक अनोखी शक्ति जो श्री विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर राक्षसों को मोहित करके देवताओं को अमृत पान करवाया था वैसी ही अनोखी शक्ति थी। बस इंसानों को अपने अंदर की शक्ति को पहचानने के लिए ध्यान करना जरूरी है हर इंसान के अंदर एक अलग ही कला छुपी होती है मेरे अंदर जो कला थी मैंने तो वह जानती आप और पूरा परिवार जाने मैं यही चाहूंगी।
मेरे जीवन में भी बहुत कष्ट है मैंने मेरे सपनों को बड़ी मुश्किल से पाया है मेरे भी परिवार नहीं समझ पाए कि क्या चाहिए क्या नहीं वह कभी भी मेरी बातों को सुनते नहीं थे। पर फिर भी मेरे अंदर एक अलग ही शांति थी जो मैं चाहती थी कि 1 दिन तो मेरे अपने मुझे समझेंगे उन्हें समझेगा कि हमें क्या चाहिए।
कुछ वक्त बीतने पर मैंने मेरे सपनों को पाया मैंने पाया तो तक अपने हर मुश्किल कदमों को पार करके मैंने मेरे जीवन में खुद की परिश्रम से पढ़ी लिखी और अपने परिश्रम से एक बड़े मुकाम पर पहुंची। कथा और कविता मेरी छोटी सी शौक थी जो मुझे अच्छे लगते थे पढ़ने और लिखने में बहुत अच्छा लगता था। मैंने मेरे जीवन में हर सपनों को पाया है और आगे भी मैं कुछ सपने अपने पूरे करना चाहती क्योंकि मुझे लगता है अभी भी मैं अधूरी हूं मैं पूरी नहीं हुई हूं क्योंकि जब तक इंसान अपने सपनों और चाहतों को पूरा नहीं कर लेता तब तो कोई यही मानता है कि उसे कुछ नहीं मिला।
मैं कभी-कभी यह सोचती थी कि इंसान दूसरों के जैसा क्यों बनना चाहता है, खुद ऐसा बने जो दूसरे चाहे कि वह उसके जैसा बंद और मैं यही चाहती थी मैंने खुद के दम पर मुझे दूसरों के जैसा बनने में बिल्कुल ही चाहत नहीं थी। मैं एक ही चीज चाहती थी कि मैं खुद ऐसा इंसान बनूंगी दूसरे चाहे यह कि हम उसके जैसा बन सके और मैं वह बन चुकी आजू-बाजू में रहने वाले लोग चाहते हैं कि हमारे भी बच्चे उनके जैसा बने वह बच्चे चाहते हैं कि हम उनके जैसे बने।
बनाओ एक अलग पहचान बने दुनिया में अलग ही रख शांतेरी ए वतन के वासियों ईश्वर के प्यारों तुम्हें बनाया मकसद से ना भूलो अपने मकसद को हर कदम अपने और अपनों के साथ।
