मनोरम प्यार का तराना

मनोरम प्यार का तराना

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कॉलेज की जिंदगी का भी एक अलग ही आनंद है, इसी तरह की कुछ कहानी है, "श्रीधर और रमा" की । तो चलिए मैं आपको सबको ले चलती हूं उस दुनिया में जहां स्कूल की पढ़ाई खत्म होते ही ग्रेजुएशन के लिए प्रथम चरण कॉलेज ही होता है ।

श्रीधर का कॉलेज में आज पहला दिन था, इसलिए सायकल को ठीक जगह पर खड़ी करके वह दौड़कर कॉलेज पहुंचा और सीढ़ियों पर बैठकर आराम करने लगा । तभी विक्रम ने उस पर एक बाल्टी पानी डाल दिया और कहा-" मैं नए विद्यार्थी का सम्मान कुछ इसी तरह से करता हूँ "। श्रीधर को गुस्सा तो बहुत आया पर उसने कुछ कहा नहीं । उसकी माँ गाँव में मेहनत मजदूरी करके यहाँ तक पढ़ाया था किसी तरह ताकि कॉलेज की पढ़ाई के साथ जीवन में एक नेक इंसान बन सके । श्रीधर पूरी तरह से गीला होकर घर पहुँचा तो उसने अपनी माँ से कहा" कि मुझे कॉलेज की पढ़ाई नहीं करना," तो माँ ने कहा - " गुस्सा मत करो " । कुछ दिन बाद कॉलेज में सभी तुम्हारे दोस्त बन ही जाएंगे । कुछ दिन बाद ऐसा ही हुआ, कॉलेज में श्रीधर के कई दोस्त बन गए ।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और कॉलेज का द्वितीय वर्ष प्रारंभ हुआ ही था कि " एक नई लड़की का प्रवेश हुआ कॉलेज में और डॉक्ट‌‌‌र की पढ़ाई..... एमबीबीएस करने के लिए........। जैसे ही उस लड़की का आना-जाना होता, विक्रम वही अपनी आदत के अनुसार कुछ न कुछ शरारत करता । वह लड़की बेचारी सहमी सी आती और जाती....ना वह किसी की कुछ बातें सुनती.... और तो और ध्यान भी नहीं देती ।

सब दोस्तों को उस लड़की का नाम जानने की बड़ी उत्सुकता, फिर पता चला उस लड़की के भैय्या पुलिस में बड़े अधिकारी हैं और अपनी बहन को एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण कराकर डॉक्टर बनाना चाहते थे ।

एक दिन श्रीधर ने उसके भैय्या से आखिर पूछ ही लिया ," पता चला उसका नाम है रमा" जहाँ पहले रहते थे, वहां किसी रूद्र नामक लड़के से प्यार हो गया था और शादी की नौबत आने तक मालूम हुआ कि लड़के का चाल-चलन ठीक नहीं है । वो तो किस्मत अच्छी बोलो रमा की जो शादी के पूर्व पता चला । भैय्या ने कहा" तब से ऐसे ही गुमसुम सी, सहमी सी" रहने लगी, रमा । इसीलिए दाखिला कराया, कॉलेज में ताकि आगे की पढ़ाई भी कर लेगी और दिल लगा रहेगा दोस्तों के साथ ।

श्रीधर जब से रमा कॉलेज में आई थी, तभी से मन ही मन चाहने लगा था उसको, पर बोले कैसे? लेकिन आज जब रमा के बारे में जानने के बाद वह उसे और अधिक प्यार करने लगा ।

फिर श्रीधर द्वारा अपने दोस्तों के साथ मिलकर कहीं पिकनिक मनाने की योजना या घूमने जाने की योजनाओं का सिलसिला शुरू हो गया । अब तो वह भी विक्रम के साथ मिलकर ऐसी शरारतें और मस्ती करता ताकि रमा कभी तो खिलखिला कर हँसे । "एक बार रमा ने डांट भी दिया," मुझे मत परेशान क्यों, मेरे भैय्या पुलिस में अधिकारी हैं, शिकायत दर्ज कर दूंगी मैं....... आसानी से मान जाओ।

लेकिन एक दिन ऐसा कुछ होता है कि रमा जोर-जोर से हँसने लगती है।

वे सब दोस्तों के साथ पिकनिक स्पॉट पर जाते हैं, जहां गीत-संगीत, अंताक्षरी के कार्यक्रम रखे जाते हैं ताकि रमा फिर अपने मूल स्वरूप में वापसी कर सकें ।

अंताक्षरी खेलते-खेलते श्रीधर गाता है, प्यार दिवाना होता है, मस्ताना होता है...... इतने में रमा की पारी आती है, तो पहले बहुत जोर से हँसने लगती है और...... फिर एकाएक शांत होते हुए......... हमें और जीने की चाहत ना होती, अगर तुम ना होते । सब दोस्तों को इतनी खुशी होती है कि आप उनके इस आनंद का अंदाजा लगा नहीं सकते हैं । आपस में सोचते हैं कि जो योजना बनाई, वह सफल हुुई ।

फिर उस दिन रमा खुलकर बातें भी करती है, श्रीधर से, क्यों कि अब वह समझ चुकी थी कि "जिंदगी एक ठोकर लगने से खत्म नहीं होती कभी " हमें ही अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत करना है ।

श्रीधर भी रमा से कहता है," मैं सच्चे दिल से प्यार करता हूँ तुम्हें रमा............ हवाओं के झोंके साथ लहरा रहे हैं और मंद-मंद कोयल की कुहु से गुंजन हो रही है........ रमा ने भी जवाब में कहा आपके इस मनोरम प्यार का तोहफा कबूल करती हूँ सरकार.........। बस शादी के पूर्व मेरी पढ़ाई पूरी कर लेने दिजीएगा .............. श्रीधर ने भी कहा हाँ -हाँ बिल्कुल मोहतरमा । हम तो केवल आपको जीवन जीने की कला सीखा रहे थे । आपको एक लड़के ने धोखा दिया..... दुनिया में सभी नहीं न होते । आप बेशक अपनी पढ़ाई पूरी किजीए, लेकिन पूरे जोश- खरोश के साथ, साथ ही हिम्मत के साथ डटकर हर परिस्थिति का सामना करना । मेरी तमन्ना है कि तुम ऐसे ही हँसते मुस्कुराते हुए अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल हो और अपने माता-पिता और भैय्या का नाम रोशन करो ।

इतने में रमा के भैय्या और श्रीधर की माँ भी कॉलेज में आते हैं क्योंकि अभिभावकों को प्राचार्य ने मीटिंग हेतु बुलाया होता है । अपनी बहन रमा को हँसते हुए देखकर तो "भैय्या की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता है " और खुशी से गदगद होकर श्रीधर की माँ से कहते हैं "आप धन्य हैं जो आपने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने बेटे को अच्छे संस्कार दिए. आज यह उसी का परिणाम है , इतने में श्रीधर के दोस्त विक्रम की भी आँखे खुल जाती है । सभी के सामने वह कहता है कि अब शरारत नहीं करेगा, लेकिन श्रीधर और रमा की सगाई मेरे घर पर होगी, इतना कहते ही...... श्रीधर और रमा एक दूसरे की आंखों में इशारों से बातें करने लगते हैं.......…. विक्रम ने धीरे से कहा....... मैंने सब तैयारी कर ली है ।

अब चलिए साथियों इनका टाईम तो आ गया........ अब अपना टाइम आएगा............ विक्रम दोस्तों के साथ शरारत करते हुए झूमते हुए बोलता है ..........


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