मिठास
मिठास


तुम्हारी यादें भी न पीछा नहीं छोड़तीं,
लगता है हर वक़्त आस -पास ही हो तुम !
सुबह -सुबह रसोई मैं चाय बनाते वक़्त कदम खुद ब खुद तुलसी के चोरे तक पहुँच जाते हैं तुलसी की कुछ पत्तियाँ तोड़ अदरक और इलायची कूट कर डालती हूँ सोचती हूँ कभी -कभी की ये क्या कर रही हूँ, तुम तो साथ नहीं हो फिर भी सब तुम्हारे पसंद कातभी गैस पर खौलती चाय पर ध्यान जाता है, तुलसी अदरक की सुगंध सा महक उठता है तुम्हारा प्यार दूध डालती हूँ थोड़ा ज्यादा तुम्हे ज्यादा दूध वाली चाय पसंद है कितना भी ज्यादा डालूं फिर भी बोलते हो की ये काली चाय तुम ही पीओ वैसे भी मेरा रंग तुम जैसा गोरा नहीं है सोचते -सोचते अकेले ही मुस्करा उठती हूँ मैं,
और थोड़ा दूध डालती हूँ !
चाय की खुशबु से मन-तन जैसे दोनों महकते हैं,तुम्हारे वजूद का एहसास दिलाते हैं !
तुम न गंध की तरह रच -बस गए हो मुझमें !
दूर हो जानती भी हूँ पर महसूस करती हूँ बहुत करीब तुम्हें जैसे चाय की सुगंध से घुल रहे हो तुम मेरी साँसों में!
चाय की चुस्की के साथ मुंह में मिठास घुल जाती हैं और याद आ जाती है,तुमसे पहली मुलाकात मैं चाय नहीं पीती थी और तुम्हारी जिद के बाद भी चाय न पी
ने पर तुमने जबरदस्ती किसी दी मुझे, और चाय की पूरी मिठास घोल दी मुहं में !
तब से चाय अच्छी लगने लगी जब भी मिस करती हूँ तुम्हें, तब चाय की चुस्की के साथ ही घुल जाती है तुम्हारी बातों की मिठास, हाथ होठों पर चले जाते हैं, तुम्हारा वजूद चाय में चीनी सा घुल गया है मुझमें, खुद से ही शर्मा जाती हूँ !
उफ्फ्फ! लगता है पागल, या दीवानी हो गयी हूँ मैं चाय ख़त्म करती हूँ !
मन मस्तिष्क तरोताजा हो महक उठता है जैसे चाय की तारीफ करते-करते तुमने अपनी बाँहों में भर लिया हो मुझे, और में भी तुम्हारे काँधें पर सर टिका उस एहसास को जी लेना चाहती हूँ !
तभी मोबाईल पर तुम्हारे कॉल से लौट आती हूँ हकीकत मैं!
"बहुत मिस कर रही हूँ! सुनो ना जान कुछ दिन की छुट्टी लेकर आ जाओ न !"
प्लीज़्ज़ज़ "बहुत दिन हो गये, कैसे हैं तुम्हारे बॉस ?"
"इतना भी नहीं समझते ?"
सुनो न बोलो न प्लीज़्ज़…
"नहीं, कोई बात नहीं सुननी है अब मुझे !"
"नहीं, तुम्हारे जाने के बाद से मैंने चाय में कभी चीनी नहीं डाली!"
मुझे तुम्हारी वाली ही मिठास चाहिए !
नहीं अब कोई बात नहीं सुन रही मैं बात भी नहीं करना बाय !