मीठी सी छुअन
मीठी सी छुअन
मीति और मधुर क़ा इश्क कॉलेज में किसी से छिपा नहीं था .... उन दोनों का प्रेम प्रसंग प्रगाढ होता गया था .... करोड़पति परिवार की इकलौती लाडली मीति को पूरा विश्वास था कि मध्यवर्गीय परिवार के मधुर के कैंपस सेलेक्शन के बाद वह पापा को अपने प्यार से मिलवायेगी.......मल्टीनेशनल कंपनी के ऊंचे पैकेज की मेल मिलते ही मधुर ने मीति को अपने आगोश में ले लिया ऒर वह भावुक हो उठा ,” मीति , तुम तो मेरे जीवन में पूर्णमासी की चांदनी सी शीतलता प्रदान करती हो, मेरे चारों ओर रोशनी की जगमगाहट सी फैला देती हो ,. जब हंसती हो तो मेरे दिल में न जाने कितनी कलियां सी खिल उठती हैं . बस अब मेरी जिंदगी में आकर मेरे सतरंगी सपनों में रंग भर दो .”
मीति मधुर के प्यार भरे शब्दों में खो गई और लजाते हुये उसने अपनी पलकें झुका लीं थीं . और मधुर ने इस अवसर का लाभ उठाते हुये झट उसकी पलकों को चूम लिया था...... .
इस मीठी सी छुअन से उसका पोर पोर आल्हादित हो उठा , वह छुई मुई सी अपने में सिमट गई . मीठी सी छुअन के आनंद से उसका मन मयूर आनंदित हो उठा था .
समाज का जैसा चलन है करोड़पति की लाडली भला कैसे साधारण परिवार की बहू बन सकती है .... पापा ने उसकी ख्वाहिश को एक पल में नकार दिया था ... मधुर उदास पराजित सा चला गया .....दोनों के सतरंगी सपनों को बदरंग कर दिया गया .... मधुर ने अपना नंबर भी बदल दिया और सारे संबंध तोड़ दिये थे ........
कमनीय अनिंद्य सौंदर्य की धनी मीति के करोड़पति पापा ने धूमधाम और बाजे गाजे के साथ उसे मिसेज मेहुल पोद्दार बना दिया . .....उसका अप्रतिम सौंदर्य पति मेहुल के लिये गर्व का विषय था . समय के साथ वह जुडुआ बच्चों की स्मार्ट मां बन गई थी . पोद्दार परिवार की हीरे की कनी जैसी बहू बड़ी बड़ी गाड़ियों में घूमती और खिलखिलाते , मुस्कुराते हुये अपने होने के एहसास और वजूद को हर क्षण तलाशती सी रहती .
उसे किसी भी रिश्ते में उस मीठी सी छुअन का एहसास न हो पाता और वह तड़प उठती .... सब कुछ पाने के बाद भी आज भी मधुर की उस मीठी सी छुअन के विचार से ही वह रोमांचित हो उठती थी ...
पूरे आठ वर्ष बीत गये थे . वह अपने परिवार और बच्चों के साथ संतुष्ट थी परंतु आज भी उसे अपनी सतरंगी सपनों की उड़ान और गुनगुनाती बयार मधुर के प्यार भरी मीठी छुअन की चाह, उसके मन को आंदोलित करके भटका ही देती....वह सोचती... एक बार मधुर से माफी भी तो नहीं मांग पाई ..... आज भी वह उससे नाराज ही होगा ..
एक शाम वह अकेली ही मॉल के कॉफी शॉप में बैठ कर कॉफी का इंतजार कर रही थी . वह फोन पर अपनी नजरें गड़ाये थी तभी मानों उसके कानों में सुरीला संगीत बज उठा था ....मधुर के वजूद में बसी खुश्बू उसके चारों ओर फैल गईं थी . उसकी मीठी छुअन की भावनायें पायल की मीठी मीठी रुनझुन सी संगीत लहरी उसके कानों में गूंज उठीं थीं .... दोनों की नजरें मिलीं और उसके दिल की धड़कनें तेज हो गईं ....
‘कैसी हो मीति ?”
‘अच्छी हूं और तुम ?’
‘मधुर , मुझे माफ नहीं करोगे ?
‘ मीति, दूरियां प्यार के रंग को कभी फीका नहीं करती ....”
“लेकिन मधुर तुम्हारे बिना तो मेरा वजूद ही कहीं खो गया है ,’ उसकी आंखों में अश्रु के बादल उमड़ पड़े थे ...
‘नहीं मीति , तुम्हारा जितना प्यार सच्चा है ...उतना ही तुम्हारा परिवार .... तुम एक बार अपने दिल के दरवाजे खोल कर अपने सतरंगी सपनों को जीने की कोशिश तो करो....
रिश्तों की डोर में लिपटा तुम्हारा पति , बच्चे ,और परिवार .... क्या इनके बीच में रह कर अपने वजूद को पंख नहीं दे सकती ... वह सब तुम्हें कितना प्यार करते हैं .....
मधुर से मिलने के बाद जब वह घर लौटने के लिये कार में बैठी तो अपनी पलकों को बंद करते ही ऐसे एहसास की अनुभूति हुई मानों उसके सतरंगी सपनों को पंख लग गये हों और मधुर की मीठी सी छुअन से वह आजाद हो चुकी है ... वह घर पहुंचते ही मेहुल के आगोश में आनंद की अनुभूति से सराबोर हो गई ......