महिलाओं की शक्ति का प्रतीक
महिलाओं की शक्ति का प्रतीक


महिलाओं की शक्ति का प्रतीक आदरणीय डॉ. भीमराव अंबेडकर जीआदरणीय डॉ बाबा साहब अम्बेडकर जी किसी परिचय के मोहताज नही हैं। उनकी शख्शियत उनके द्वारा दृढ़निश्चयी ने भारत के इतिहास को बदलने का कार्य किया उनकी सोच और संकल्प ने रूढ़िवादियों के इतिहास को भी हिला दिया। उनकी सोच सिर्फ इतनी थी कि मनुष्य एक समान है और स्त्रीऔर पुरूष एक पहिये के समान हैं जो एक दूसरे के बराबर हैं। पर स्त्री गरीबी की रेखा से भी नीचे नही पशु के समान है जिंदा है पर मौत के समान है। उसकी कोई एहमियत नही है और गरीब की जिंदगी जूते-चप्पल के समान है। जात पात की दीवार एक खाई के समान है और पढ़ाई लिखाई ही दिमाग के बंद दरवाजो को खुल सकती है। अगर समाज को ऊंचा उठना है तो स्त्रियों और गरीबों को इस पुरूष प्रधान देश के बराबर लाना होगा और शिक्षा ही वह हथियार है जो समय से पहले बदलाव ला सकता है। इसलिए सबसे पहले भारत की नारी के सम्मान के लिए शिक्षा जैसा हथियार उठना होगा। चाहे मुझे कितनी भी जदोजहद क्यों न करनी पड़े। ।नारी के सम्मान की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें जदोजहद के साथ अपमान
ित भी होना पड़ा हिंदू कोट बिल पास करने के लिए अपने पद तक को दांव लगा दिया। इस देश की महिलाएं डॉ भीमराव अंबेडकर की कर्जदार है पंख लगाकर उड़ना सिखा दिया। घर से बाहर निकाल कर भारत का प्रधानमंत्री तक बना दिया।भारत के इतिहास में समानता का अधिकार दिला दिया पर भारत की 50% महिलाएं डॉ बाबा साहब अम्बेडकर जी के एहसान को याद नहीं करती हैं। माँ बाप जीवन देते हैं पर आदरणीय बाबा साहब ने तो सम्मान से जीने का अधिकार दिलाया। आज जब भारत की हर महिलाओं को डॉ भीमराव अंबेडकर जी के जीवन की इस गाथा से हर नारी जगत को अपने परिचय की पहचान बताना चाहिए जैसे जग बदले जीवन बदले न बदलेगी पहचान वो है जो आदरणीय डॉ भीमराव अंबेडकर जी जिन्होंने एक विश्वास का दीया जो हमारे जीवन के लिए जलाया उसे दीए की रोशनी को तब तक न बुझने दूँगी। जब तक जीवन में धारा। तब तक नारी के सम्मान को न मिटने दूँगी ।आओ बहनों मिलकर एक साथ आदरणीय डॉ भीमराव अंबेडकर जी को श्रद्धा के पुुष्प अर्पित करते हैं जय हो सविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर जी की जय हिंद जय भारत ।