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Ruchika Rana

Abstract

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Ruchika Rana

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मेरी डायरी (मेरे एहसास)

मेरी डायरी (मेरे एहसास)

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लॉकडाउन के इस माहौल में यूं तो कुछ खास करने को है नहीं, लेकिन हम स्त्रियों की दिनचर्या कभी बाधित नहीं होती। जब सारा देश लॉक डाउन का आनंद ले रहा होता है, हम स्त्रियां तब भी अपने रोजमर्रा के कार्यों में ही व्यस्त होती हैं।हमारे लिए न तो कोई तालाबंदी और न ही कोई छुट्टी।

आज का दिन भी कुछ ऐसा ही था। हमारा स्कूल नहीं है आजकल, पर श्रीमान जी का ऑफिस अभी भी चालू है। सो सुबह 7 बजे ही बिस्तर छोड़ दिया और फ्रेश होकर घुस गई किचन में। नाश्ता, लंच बना कर श्रीमान जी को ऑफिस के लिए विदा किया और थोड़ी देर योगा करने के बाद गैस पर चाय चढ़ाई।

सुबह की एक कप चाय तो मानो मेरे लिए अमृत समान है और लॉकडाउन की फुर्सत भरी सुबहें इस चाय का स्वाद और दोगुना कर देती हैं। अब आगे का एक घंटा सिर्फ मेरा है। एक हाथ में चाय का कप और दूसरे हाथ में मोबाइल। 

 व्हाट्सएप पर म

ॉर्निंग मैसेजेस का जवाब देने के बाद फेसबुक ग्रुप पर नजर घुमाई कि आज कौन-कौन से नए राइटिंग चैलेंज है और तभी स्टोरी मिरर की इस प्रतियोगिता पर नजर पड़ी। अच्छा लगा देखकर कि चलो हाले-दिल सुनाने को कोई तो बहाना मिला।

बस अब अपना मी-टाइम हुआ खत्म। घर के कामकाज, बेटे की पढ़ाई... इस सब में दिन कब गुजर गया, पता ही नहीं चला।

 रसोई से फ्री होकर मोबाइल खोला, तो देखा एक वेबसाइट पर मेरा ब्लॉग पब्लिश हुआ है, मन खुश हो गया। सच में कितना अच्छा लगता है न जब हमारी मेहनत सराही जाती है। फिर से एक नई कहानी लिखने की शुरुआत की। और अब दिन भर की बातें तुम्हारे साथ बांट कर, इस कलम को और आज की दिनचर्या को यहीं विराम देती हूं और चलती हूं बिस्तर की ओर। कल सवेरे फिर से जागने के लिए, नई दिनचर्या शुरू करने के लिए सोना तो पड़ेगा न। तो चलो अब विदा लेती हूं कल फिर से मुलाकात होगी।


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