Ruchika Rana

Abstract

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Ruchika Rana

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अलविदा2020, सुस्वागतम2021

अलविदा2020, सुस्वागतम2021

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प्यारे वर्ष 2020, आए तो तुम हर साल की ही तरह थे। तुम्हारे आगमन पर हम सब कितने उत्साहित थे। सब ने खूब खुशियां मनाई और नाचते-गाते हुए तुम्हारा स्वागत किया। पर जल्दी ही तुमने दिखा दिया, कि समय जब बिगड़ने पर आता है तो वह क्या-क्या दिखा सकता है। मन में सपने संजोए, जितनी खुशी से हम सब ने तुम्हारा स्वागत किया तुम ने हम सब को उतना ही रुलाया। जिन परिस्थितियों के बारे में कभी सोचा भी नहीं था, वे सब परिस्थितियां एक महासंकट के रूप में हम सबके सामने ला खड़ी कीं... कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के रूप में और लोगों को जरा-जरा सी खुशियों के लिए, अपने अपनों का मुख देखने के लिए, गरीबों को एक समय की रोटी के लिए भी तुमने मोहताज बना दिया। संसार में कोई व्यक्ति ऐसा नहीं, जिसके किसी अपने को तुमने न छीना हो। अरे! इंसान तो पहले ही अपने अपनों से दूर हो चुका था, लेकिन यह कैसी विपदा आन पड़ी कि इंसान अपने ही घर में... अपनों से दूर... अलग-थलग रहने पर मजबूर हो गया! एक दूसरे के मन की बातों को समझना तो इंसान जाने कब का भूल चुका था, लेकिन ऐसी भी स्थिति आएगी कि वह महीनों तक किसी दूसरे इंसान से बात भी ना कर पाएगा.... यह भी किसी ने न सोचा था। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, कि जिन सांसारिक और प्राकृतिक वस्तुओं पर जन्म से हम अपना अधिकार समझते रहे, उन्हें पाने के लिए... उनकी एक झलक पाने के लिए भी हम तरस जाएंगे।


   लेकिन शायद यह सब आवश्यक था। आवश्यक था... उस मनुष्य को सबक सिखाना, जो जाने अनजाने स्वयं को ईश्वर ही समझ बैठा था। तुम ने दिखा दिया कि कल तक जो धन के अहंकार में डूबे रहते थे, वे भी ईश्वर के प्रकोप के समक्ष बेबस है।वह  इंसान, जो अज्ञानतावश स्वयं को इस पृथ्वी का राजा ही समझ बैठा था, वास्तव में कुछ भी तो नहीं है।कोरोना में लॉकडाउन के बहाने ही सही, पर इंसान को अपनी करनी का फल मिला... पक्षियों को उनका स्वच्छंद आकाश मिला.... पशुओं को विचरण करने के लिए खुली जमीन मिली।


   परिस्थितियां विपरीत थीं। लेकिन कहते हैं ना मन के हारे हार है, तो मन के जीते जीत। बस इसी तरह हमने भी अपने मन को हारने नहीं दिया। डियर 2020,तुम्हारी सभी चुनौतियों को, सभी समस्याओं को हमने हंसकर झेला। अवश्य ही परिवारजनों का साथ, उनका प्यार ऐसे मुश्किल समय में हमारा संबल बना। हमने भी ठान लिया कि इन मुश्किल घड़ियों को हम यूं जाया नहीं जाने देंगे। अपनों से दूर तो हुए, लेकिन अपने आप को अपने करीब ले आने का मौका नहीं गंवाया हमने। बाहर की दुनिया से संपर्क बेशक टूटा था, लेकिन खुद से संपर्क साधने का बेहतरीन मौका था यह हम सब के पास। इन मुश्किल दिनों में परिवार का साथ तो मिला, पर प्रकृति का भी साथ मिला। साफ नीले आसमान में उड़ते पंछी मन को अनंत सुख दे जाते थे। भागदौड़ भरी जिंदगी में कोरोना महामारी के बहाने ही सही, पर एक ठहराव आया। अक्सर शिकायत किया करते थे, कि फलां काम के लिए समय नहीं है पर अब समय ही समय था। इस उपहार स्वरूप मिले समय को हमने अपनी रुचियों, अपनी छिपी हुई प्रतिभा को निखारने में उपयोग किया और जैसे-तैसे यह मुश्किल समय भी काट ही लिया।


  समय का तो काम है बीत जाना। फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा। धीरे-धीरे तुम भी बीत ही गए और देखो अब समय आ गया है तुम्हारे जाने का और फिर से एक बार नववर्ष के आने का। पर मन में एक क्षषोभ उन के लिए भी है, जिन्होंने अपने अपनों को... इस विपदा के चलते खो दिया। उन सब की आत्मा को शांति और उनके परिवार जनों को सहनशक्ति मिले.... बस यही प्रार्थना करती हूं और तुम से प्रार्थना करती हूं कि तुम फिर कभी हमारे जीवन में लौट कर ना आना... अलविदा 2020 और इस नववर्ष के आगमन पर 2021 का हृदय-तल से अभिनंदन करती हूं ....सुस्वागतम 2021


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