STORYMIRROR

Rajeev Kumar

Abstract

4  

Rajeev Kumar

Abstract

मेरा देश

मेरा देश

4 mins
249

( पूर्णतः काल्पिनक कहानी ) 


मुरारी लाल जी ने इंग्लैण्ड में अपनी धाक जमाने के उद्देश्य से कह दिया था ’’ जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ीयां करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा। ’’


अंग्रेजों ने एक दुसरे का मूँह देखा और मुरारी लाल जी पे तंज कसते हुए पुछा ’’ हम तो सुना है कि वो देश भूखों और नंगों का है। सोने की चिड़ियां कहाँ है ? ’’

मुरारी लाल जी ने अपनी भृकूटी तानी और उनका अंदाज निराला हो गया। उन्होंने कहा ’’ अरे नादानांे, मेरे देश की धरती सोना उगले, 

 उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती ।


सारे अंग्रजों ने एक साथ जोरदार ठहाका लगाया और उनमें से एक मैडम फलैटरी फोबिया ने कहा ’’ सुनकर बहूत खुश हुआ, बताओ और भी बताओ अपने देश के बारे में, तुम्हारे लोग तो डींग हांकने में भी नम्बर वन हैं, तुम्हारे लोगों से संसार को क्या फायदा हुआ है। ’’

यह सुनकर मुरारी लाल जी ने खुद के गुस्से को काबू कर अपनी बात को पेश किया ’’ दशमलव दिया भारत ने

दशमलव न होता तो चाँद पे जाना मुश्किल था

धरती और आकाश की दुरी का पता लगाना मुश्किल था।

सभ्यता यहाँ पहले आई, सब के मन पे छाई।

है प्रित जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ,

भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ। ’’


मुरारी लाल जी की इस बात को अंग्रेजों ने उत्साहवर्द्धन ही समझा।

मुरारी लाल जी भारत लौटे और यह कहकर लौटे कि सत्यता और असत्यता का प्रमाण तो तब मिलेगा जब आप हमारे यहाँ पधारंेगे, आइए कभी हमारे देश। ’’

अंग्रेजों ने एक गूप्त मिटींग बुलाई और एक दुसरे से कहा ’’ अच्छा है, सोने की चिड़ीयां। मैडम फलैटरी फोबिया ने कहा ’’ वहाँ धरती से सोना, हीरा और मोती निकलता है। ’’

सर डेन्ड्रफ लायर ने कहा ’’ सभ्यता यहाँ पहले आई और विश्वगुरू भारत, चलो चलकर देखना चाहिए। ’’ सबों ने हामी भरी। 

अंगे्रज जब भारत पहूँचें तो मुरारी लाल जी ने उनकी खुब आवाभगत की। मगर अंग्रेजांे के यहाँ रहने की मंशा पर उनका विरोध हुआ तो अंग्रेजों ने कुटनिति का प्रथम परिचय देते हुए कहा ’’ आपलोगों को वसुधैव कुटुम्कम की कसम। ’’ यह सुनकर सारे लोग द्रवित हो गए। 

अंग्रजों को पैर रखने की जगह दी गई तो पुरे विस्तर पर अकेले ही कब्जा कर लिया। चादर ओढ़ने दिया तो पुूरी चादर ही छीन ली। 

यह बात गर्म दल वालों को नागवार गुजरी औरों के लिए तो यह समझ के परे की बात थी। 

मुरारी लाल जी को अब धीरे-धीरे आभाष हो चला कि अब उनको दल बदलू की भुमिका में ही रहना चाहिए और समय की मांग भी यही है। मुरारी लाल जी ने आवश्यकता वश दोनों ही दलों का समर्थन किया। मुरारी लाल जी गर्म दल में भी रहे और नमर दल का भी उन्होंने साथ नहीं छोड़ा। 

’’ सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

 देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है। ’’


इस नारा ने मुरारी लाल जी के मन में बबंडर मचा दिया। मुरारी लाल जी ने कहा ’’ अपनी आज़ादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं। ’’

सर डेन्ड्रफ लायर ने कहा ’’ हमारी कम्पनी ने तुमको रायबहादुर की उपाधी देने का ऐलान किया है। ’’

मुरारी लाल जी ने सर डेन्ड्रफ लायर की आँखों में आँखें डालकर कहा 

 ’’ ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम

  तेरी राहों में सबकुछ लुटा जाएंगे

 फुल क्या चीज है, तेरी राहों में हम

 भेंट अपने सरों की चढ़ा जाएंगे। ’’


मुरारी लाल जी की अध्यक्षता में इनक्लाब जिन्दाबाद का नारा देश भर में गुंज गया। अपने अदम्य साहस का परिचय देकर मुरारी लाल जी अंग्रजों की नींद तो उड़ा ही चुके थे मगर बहूत लम्बे संघर्ष और यातनाएं सहने के बाद उन्होंने अंग्रजी हुकूमत की नींव तक हिला दिया। अंगे्रज भागते-भागते मुरारी लाल जी को बुूरी तरह से घायल कर गए। 

मुरारी लाल जी न मरते मरते कहा ’’ खुश रहना देश के प्यारों

           हम तो सफर करते हैं। ’’


15 अगस्त को आज़ाद भारत में झंडा फहराते हुए मुरारी लाल जी का बेटा रो पड़ा और कहा ’’ ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी

          जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी। ’’


सभी की आँखें नम थीं। मगर भीड़ में एक ने कहा ’’ शहीदों की चिताओं में लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पे मरने वालों का यही बांकी निशां होगा। ’’

किसी को यह बात अच्छी लगी तो किसी को यह बात बूरी लगी। इसलिए उस आदमी को भीड़ से बहुत दुर ले जाकर सुनसान स्थान पर छोड़ आया गया। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract