प्यार भरी जिन्दगी
प्यार भरी जिन्दगी
’’ एक प्यार का नग्मा है,
मौजों की रवानी है
जिन्दगी और कुछ भी नहीं
तेरी मेरी कहानी है। ’’
दिव्या का कोमल हाथ अपने हाथ में लेकर यश ने कहा तो दिव्या ने भी यश को एकटक देखकर अपनी सहमति जतायी। एक दुसरे पे भरोषा करना अलग बात है, मगर प्रेमी युगल दुनिया पे कैसे भरोषा कर लें, कैसे भरोषा कर लें कि दुनिया उनके प्यार को जानकर जलेगी नहीं। दिव्या का नादान दिल थोड़ा घबराया तो यश ने कहाः-
जीत ही लेंगे बाजी हम तुम
खेल अधुरा छुटे न
ये जन्म का बंधन
ये प्यार का बंधन
साथी टुटे न।
यश और दिव्या अपने-अपने घर जान के लिए अलग हुए तो एकबारगी दोनों का दिल जोर से धड़क गया। ऐसा लगा कि दिन के ढलने से सांस भी ढल गई हो। यश ने कहाः-
साथिया नहीं जाना
कि जी न लगे
मौसम है सुहाना
कि जी न लगे।
दिव्या ने जवाब में कहाः-
आज की मुलाकात बस इतनी
कल कर लेना चाहे बातें जितीनी।
अगली सुबह जब दिव्या काॅलेज जाने के लिए निकली तो उसकी माँ ने कहा ’’ आज तुम्हार मामा-मामी आने वाले हैं, आज काॅलेज मत जाओ। ’’
’’ मगर माँ, आज तो बहूत खास विषय है, आज का क्लास छुटा तो बहूत कुछ छुट जाएगा। ’’
उसकी माँ ने कहा ’’ वो सब मैं कुछ नहीं जानती। ’’ नतीजतन दिव्या का काॅलेज जाना कैंसिल हो गया।
वादे के मुताबिक यश पार्क में गया तो उसकी नज़र बार-बार घड़ी पर जा रही थी और पार्क के मैन गेट पर भी जा रही थी। इन्तजार की अग्नि ने मन में कैसे-कैसे सवाल पैदा कर दिए थे, यश ने मन ही मन कहाः-
याद आ रही है
तेरी याद आ रही है
याद आने से दिल के जाने से
मेरी जान जा रही है।
इधर दिव्या घर में खुद को पींजड़े मे महसूस कर रही थी। अपने दिल का हाल किससे कहती भला। सबसे नज़र बचाकर सिसकते हुए उसने खुद से ही कहाः-
मुझको गलत न समझना
मजबूर हूँ, बेवफा नहीं
अगले दिन जब दिव्या, यश से मिली तो उसने समझाते हुए कहाः-
हर सवाल का जवाब नहीं मिल सकता
मेरे प्यार का हिसाब नहीं मिल सकता।
मान-मनौव्वल, रूठने-मनाने का सिलसिला चल ही रहा था कि काॅलेज में दो महीने की छुट्टी हो गई। इस घोषण ने दिव्या और यश को गहराई तक उदास कर दिया, प्यार पर भरोषा दिलाना बहूत जरूरी हो गया।
दिव्या ने कहाः-
कल काॅलेज बंद हो जाएगा
तुम अपने घर को जाओगे
फिर एक लड़का, एक लड़की से मिल नहीं पाएगा।
यश ने कहा:-
तुम मुझसे जुदा हो जाओगी
बोलो कैसे रह पाउंगा
मैं तेरा दिवाना पीछे पीछे तेरे घर तक आउंगा
तुझे अपना बनाउंगा।
दिव्या ने कहाः-
कुछ महीनों की ही बात होगी
फिर तो हर दिन मुलाकात होगी।
यश ने कहाः-
एक पल बिन कटे न तुम्हारे
कब दिन होगा कब रात होगी।
तय तारिख को काॅलेज खुला, यश दिव्या के इन्तजार में बेकरारी से इधर-उधर टहल रहा था, बार-बार अपनी घड़ी देख रहा है, कभी काॅलेज के मेन गेट की तरफ देख रहा है। दिव्या ने आते ही यश से कहाः-
मम्मी-डैडी मेरी शादी करवा रहे है
संडे को लड़के वाले घर आ रहे हैं
बारात में तुम भी आओ
कोई प्यारा सा तोहफा लाओ।
यश ने कहा:- जी न जलाओ, हाँ जी न जलाओ।
यश को उदास देखकर दिव्या ने कहा ’’ मैं तो मजाक कर रही थी। ’’
यश ने कहा ’’ फिर मत करना ऐसा मजाक। ’’
दिव्या ने कहा तो मजाकवश था मगर काॅलेज से घर पहूंचते ही दिव्या के पिता ने कहा ’’ आज मेरे दोस्त का बेटा तुमको देखने आने वाला है और उसी के साथ तुम्हारी शादी भी होनेवाली है। ’’
मेहमान के लिए चाय लेकर गई थोड़ी शरमायी और थोड़ी डरी हुई दिव्या ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना किया ’’ हे भगवान, ये लड़का हमको नापसंद कर दे, कोई नुक्स निकाल दे। ’’
मगर हुआ उल्टा, उस लड़के ने कहा ’’दिव्या हमको बेहद पसंद आई और मेरा नसीब है कि दिव्या मेरा जीवनसाथी बनेगी।’’
नसीब के इस तरह पलटने का दिव्या को अंदाजा नहीं था, करवट का बदलना भी कोई काम नहीं आ रहा था। दिव्या ने निश्चयपूर्वक खुद से कहाः-
प्यार के बंधन में बंध गए दो दिल
अब खैर जो होगा देखा जाएगा।
अगली सुबह यश से मिलते ही दिव्या ने कहा:-
चलो चलें कहीं दुर चले
प्यार के लिए यह जगह ठीक नहीं।
यश ने दिव्या से कारण जानकर कहाः-
मत रो मेरे दिल, चुप हो जा
ये तो प्यार में होता है, ऐतबार में होता है
तेरे साथ मेरे साथ यही तो हुआ।
दिव्या ने पुछा ’’ अब क्या होगा ? ’’
यश ने कहाः-
ले जाएंगे ले जाएंगे
दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे
रह जाएंगे रह जाएंगे
सब देखते रह जाएंगे।
मेंहदी लगा कर रखना
डोली सजा कर रखना
लेने तुझे ओ गोरी
आएंगे तेरे सजना।
प्यार की खबर मिलते ही दिव्या के पिता ने कहा ’’ यही सब करने के लिए तुमको काॅलेज भेजा था ? ’’
दिव्या की माँ ने कहा ’’ आज से तुम्हारा काॅलेज जाना बंद। ’’
पींजड़ा मंे कैद दिव्या तड़पती रही, उधर परेशान यश के मन में ख्याल आयाः-
चाँदी की दिवार न तोड़ी
प्यार भरा दिल तोड़ दिया
एक धनवान की बेटी ने
निर्धन का दामन तोड़ दिया।
यश ने फिर खुद से कहाः-
कोई घुंघट उठा देगा जब रात को
भुल जाएगी माईके की हर बात को
अपने राजा की बाहों में सो जाएगी
लेेके पलकों में खुशीयों की बारात को।
दिव्या की सहेली के द्वारा संदेश पाकर यश पहूंच गया दिव्या के घर और सबके सामने उसका हाथ पकड़ कर बोलाः-
प्यार करने वाले कभी डरते नहीं
जो डरते हैं वो प्यार करते नहीं।
रोके किसी के हम तो रूके न
अपना मिलन तो होके रहे।
दिव्या ने कहा:-
मैं खुद को मीटा लूंगी तेरी चाहत में।
यश को अग्निपरीक्षा में पास हो जाने के बाद माता-पिता मान गए और दिव्या यश की शादी हो गई
यश न कहा:-
सुहाग रात है, घुंघट उठा रहा हू मैं
कि ये शोखियां अब मेरी अमानत है।
दिव्या ने यश को अपने नजदी कर कहाः-
तुझे दिल में बंद कर के दरिया में फेंक दूँ चाभी।

