Savita Gupta

Romance

4.3  

Savita Gupta

Romance

मैट्रिमोनियल

मैट्रिमोनियल

4 mins
369


गाड़ी से उतर कर सीमा ने कॉल बेल बजाना चाहा फिर सोची बच्चे सो गए होंगे ।पर्स से चाभी निकाल दरवाजा का ताला खोला ;जीवन भी पीछे से कार गैरेज में पार्क करके आ चुके थे ।रूही अभी भी जाग रही थी रात के बारह बजने में दस मिनट बाक़ी थे ।

सीमा बोली -बेटा ,’सो जा ,क्यों जाग रही है ?कल पढ़ लेना ।राग कब सोया ?

रूही -पता नहीं ,मम्मा ।

सीमा-’खाना खा लिया था ना तुम दोनों ने?’

रूही समझ गई मम्मी अब शादी समारोह का सारा वृतांत बताएँगी इसलिए अपने कमरें में सोने चली गई बेटी को कमरा बंद करते देख सीमा भी सो गई ।

सुबह सीमा ,रूही को सुनाते हुए जीवन से बोल रही थी “क्या,शानदार शादी की ’गुप्ताश ‘ने सजावट विदेश से फूल मँगवा कर करवाया था ।खाने का तो पूछो मत हर चीज बेहद स्वादिष्ट ,आधा से ज़्यादा तो मैं चख ही नहीं पाई ।

जीवन ने भी कहा -हाँ ,’शौक़ से दिल खोल कर शादी में खर्च किया ।’

सीमा -‘लड़का तो कोई खास नहीं है ,अपने पिता का व्यापार सँभालता है ,लेकिन “स्वभाव बड़ा अच्छा लगा “मैटरिमोियल से रिश्ता तय हुआ है ,बहुत परेशान थी मिशेस गुप्ता ;दो साल से लगी थी सारे दोस्तों,रिश्तादारोे से बोल चुकी थी ।

जीवन -मैट्रिमोनियल ये क्या होता है ?

सीमा -इंटर नेट के जरिए रिश्ते खोजना ।

आजकल हर कोई इस पर निर्भर है ।देख परख कर छान बिन करने से अच्छी जोड़ी मिल रही है।

जीवन -"अपनी रूही के लिंए कोशिश क्यों नहीं करती हो", फुसंफुसाते हुए बोले ,रूही तलाकशुदा है चार साल हो गये हैं । शादी के नाम से ही भड़क जाती है ।

अपने बिरादरी के लड़के से करोड़ों खर्च कर बेटी की शानदार शादी किए थे ।साधाराण क़द काठी की होने के कारण रूही के लिए बहुत ढुंढने पर दहेज लोभियों के चंगुल में फंसकर बेटी का रिंश्ता कर दिया था ।हमारी गलती थी ;जो उसके पसंद के लड़के से सिर्फ़ इसलिए नहीं किया क्योंकि वो हमारी बिरादरी का नहीं था ।रूही ने दबे ज़ुबान से विरोध भी किया था पर दादा और पापा के ज़िद के आगे घुटने टेक दिये थे...काश !हमने उस वक्त उसकी बात मान ली होती ।

रूही तो पहले ही शांत स्वभाव की थी।तलाक़ के बाद मन में एक धारणा बना ली थी बात -बात पर अपने आपको बोझ कहती...चुप !’ख़बरदार जो फिर से बोला तो ‘ मैं डाँट कर चुप करा देती ;उसकी उदासी देखी नहीं जाती।

आज मैंने ठान लिया था ,रूही का फिर से घर बसाने का ।जीवन ,से कहकर ‘जीवन साथी ‘जैसे एक दो मैटरिमोनियल साइट पर रजिस्ट्रेशन करा ,रूही ,से बिना पूछे तीन चार फ़ोटो और ज़रूरी विवरण डाल दिया...अब मैं रात दिन लग गई ।जीवन भी अपने मोबाइल पर देखने लगे लड़कों का प्रोफ़ाइल ।बिना कहीं आए जाए अनेकों रिश्ते फ़ोटो और पता मौजूद था मोबाइल पर किंतु रूही बिल्कुल साथ नहीं दे रही थी ।कोई पसंद आता भी तो उसके हामी का इंतज़ार और खामोशी के आगे टाल देना पड़ता ।

आज ससुर जी की बरसी थी । मंदिर जाकर दान कर और ईश्वर और ससुर जी दोनों से रूही के लिए प्रार्थना कर घर लौटी थी ।तभी पूजा मेरी भाभी का फ़ोन आया काफ़ी उत्साहित लग रही थी ।दीदी, मैंने तानिया (पूजा की बेटी )के लिए मैटरीमोनियल में विज्ञापन दिया था ।वहाँ मैंने रोहित की भी विज्ञापन देखी है ।पूजा ,रोहित के बारे में जानती थी दोनों एक-दूसरे से विवाह करना चाहते थे,लेकिन हमारी रुढिवादिता और जातिवाद के हठधमिर्ता के कारण ;रूही ने क़दम पीछे कर अपने जीवन में अंधेरा कर लिया था ।पूजा की बातों से एक नई रौशनी की किरण नज़र आई जिसे मैं अपनी बेटी के जीवन में ख़ुशियों के प्रकाश से भर देना चाहती थी ।

शाम को जीवन, फ़ैक्ट्री से आए तो उन्हें बताया ।मैंने रूही के पुराने प्रेमी रोहीत से बात की उसकी मम्मी से भी बात की है ।चार साल पहले की गलती के लिए मैंने माफ़ी माँगी ।वो अब तक कुँवारा है ।पिता के अचानक मृत्यु के कारण घर और नौकरी में ताल मेल बैठाने और संभलने में समय लग गय ।अब उसकी मम्मी ने इस्ताहर दिया है शादी का ।

जीवन ने भी रोहित से बात की ...लेकिन रूही शुरू में बात करने को राज़ी नहीं हुई थी ।रोहित ने ही आगे बढ़ कर उसके पूर्व में घटे घटना के साथ अपनाने की इच्छा ज़ाहिर की ।रूही की सहमती ने हम सब के जीवन में एक नया सबेरा एक नई सोच को जन्म दिया ।हम बड़े हमेशा सही नहीं होते...कभी -कभी बच्चों को भी सही ग़लत की पहचान होती है ।हमें पुरानी मानसिकता से बाहर निकल समाज में आदर्शों की नये पौधों को सींचना चाहिए ।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance