मैं थैंक यू क्यों कहूँ ?
मैं थैंक यू क्यों कहूँ ?
बड़े बड़े शहरों में आजकल सारा सामान होम डिलीवरी से ही आता है। लिफ्ट वाली मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में या बिना लिफ्ट वाली तीन फ्लोर वाले घरों में वह डिलीवरी बॉय बड़े ही अदब से सामान ले आते है और एक छोटे से थैंक यू से हम उन्हें विदा करते है।पेमेंट तो वॉलेट से ही हो जाता है।
मैं किचन में किसी काम में उलझी हुयी थी की डोर बेल बजी।मैंने घर मे कहा कि शायद होम डिलीवरी वाला सामान लेकर आया होगा, जाकर जल्दी से दरवाजे पर देखो।बेटे ने दरवाज़ा खोल कर सामान लिया और दरवाजा बंद कर लिया।
इतनी गर्मी में तीसरे फ्लोर वाले हमारे घर पर उस डिलीवरी बॉय को एक थैंक यू तो बनता था। मुझे उसका थैंक यू न कहना थोड़ा ऑड लगा।मैंने सहज स्वर में कहा, "अरे, उसे थैंक यू क्यों नही बोला? बोलना था न एक छोटा सा थैंक यू ..."
वह एकदम बोला " थैंक यू बोलना था ? मैंने कहा "हाँ...." और वह चिढ़ कर बोलने लगा, "अब तुम ये भी बोलोगी मुझे...इसको थैंक यू बोलो, इसको ये क्यों नही बोला? तुम्हारी बातें खत्म ही नही होती।"मुझे अचरज हुआ। भरी गर्मी में उस डिलीवरी बॉय को थैंक यू न बोलने का उसे कोई मलाल नही था बल्कि मेरी बात का उसे बुरा लग रहा था।
थैंक यू कहना या नही कहना अपनी जगह है।लेकिन व्हाई से थैंक्स कहते हुए अपनी छोटी सोच का मुजाहिरा करना ?चलो, छोड़ देते है यह सब बातें....
आप तो जानते ही है कि दुनिया मे थैंक यू और सॉरी के अलावा कई सारे और भी मसले है...
