माँगते भारत रत्न
माँगते भारत रत्न
जनवरी का तीसरा हफ़्ता क्या आता है, नये नये शगूफ़े , नयी नयीं माँगे शब्द बखारने लगती हैं। देखो ना कल ही कर्पूरी ठाकुर पर नज़र गयी, कहाँ छिपे दबे थे, इतने सालों से शीर्षस्थों की नज़र नहीं पड़ी थी॥
हो सकता ये सब , बड़ी ज़रूरतों -बड़ी सोच समझो के बाद तय होता हो, मुझे तो ये ही लगता रहा।
वैसे कई साल से उत्कृष्टता पर , अच्छे ही बन्दों को नवाज़ा जा रहा है, इस प्रतिष्ठा से।
कर्पूरी ठाकुर को जाना, पुराने प्रेरक अतीत से , क्यूँ कि चर्चा में नहीं रहे बीते 30-40 सालों से, उनकी बातें तो यकीनन निराली लगीं, किस शिद्दत से उन्होंने काम किया और जगह बनाये, कितने ही लालचों से बचाये रखा खुद को और उससे दिया बच्चों को॥
एक बार को तो लगा कहीं सी बी गुप्ता , जो तख़्तों पर सो सो कर देश का संग्राम सम्भाल रहे थे, शादी भी नहीं की, आदर्श वादिता को बनाये रखा, उसूलों पर समझौता नहीं किया तो नहीं किया, घर बैठ लिये, कुछ कुछ कर्पूरी जी के समकालीन और वैसे ही ।
उस जमाने में कुछ ऐसे ही लोगों को जन्मा और देखा ।
कर्पूरी को नवाजने में लांछन लगा सकते हैं, यादव जी को उनके गुरू के लिये सुलोभ सा लगता है॥
कल वो , बदलती हवा देख मौक़े का फ़ायदा यानी गुरू दक्षिणा प्राप्त कर , कुछ और एक के साथ एक फ्री और पालें॥
फिर मौक़ा लगते ही छोड भागें- लेकिन भगवाई अब उतने सीधे साधे नहीं हैं॥
अरे मैं भी कहीं भटक गया…
अखबारी बात थी कि मायावती जी और अखिलेश जी ने अपने संरक्षकों ने अपने अपनों के लिये सीधे सीधे भारत रत्न बनाने की माँग कर दी।
माँगने वाले कितने कितने धनाड्य हैं, उनके संरक्षकों के लगभग साधारण स्तर से वो कितने अमीर है, क्या कैसे वहाँ पहुँचे॥
क्या कभी उन्होंने कभी अपनी पीढ़ी , राजनीतिक पीढ़ी को रोका , कुछ नैतिकता का पाठ पढ़ाया था. बिल्कुल ही नही ।
देखना है किन नक्षत्रों में , किन परिस्थितियों में इनकी माँगे भी पूरी हो जाये, चकित होने की ज़रूरत नहीं होगी॥
उन दोनों के कुछ काम कुछ शब्द सब को भुला दिया जायेगा॥
आप भी दुआयें करें .. ऐसा हो या ना हो?