कमाल साहब से शमीं का सफर
कमाल साहब से शमीं का सफर
ये क्या जगह है दोस्तों ….पाकीज़ा से बात करते हैं, जिसे गढ़ा था कमाल अमरोही साहब ने और अपने अमरोहवी होने का ताज पहना था ॥ और भी कुछ यादगार काम बात उनसे जुड़ी थी , जिन्हें पटल पर स्थान मिलता रहता है॥ बीसवीं सदीं का वे उत्तर प्रदेश के एक छोटे से तब के गाँव अमरोहा के पैदायशी थे॥ मीनाकुमारी अदाकारी और उनकी दूसरी फ़िल्म अदाकारी महल सदैव उन्हें और अमरोहा की याद दिलाती रहेगी॥
उसी सरज़मीं से सदी के अन्त के सालों से मोहम्मदशमी जैसी हस्ती निकली जो भारत के लिये क्रिकेट की दुनिया में बौलर्स में एक ऐतिहासिक उपलब्धि पर पहुँचे हैं॥
गर्वों में एक और गर्व॥
अमरोहा आम के बाग , ढोलक निर्माण आदि में नाम सार रहा है॥ तहसील से एक ज़िला बना॥
अमरोहवी कुछ रसिक तो होते हैं, कुछ विवादों में भी घिरते रहते हैं॥ फिर भी कुछ ऐसा कर गुज़र जाते हैं, जो नये मुक़ाम और पहचान देता है॥
चलें इन सब और कुछ और शायराना ज़मीन को सलाम करते हैं॥
ये नगर क़स्बे के रूप में मौसाजी के जमाने से मेरे ज़हन में था॥ तहसील स्तर पर मेरी सेवाये भी उस नगर को मिलीं, और अब जब गुज़रता हूँ तो एक ज़िला मुख्यालय के करीब से एन एच ए आई रोड से देखता गुजरता हूँ॥
अमरोहवी अदा को सलाम॥