तकनीकी सफर
तकनीकी सफर
अब क्या है सफर का अन्दाजकुछ अलग
कुछ फीका
तब—
बस ताँगे इक्के को छोड़े रेलगाड़ी की बात करते हैं॥ …,
… टिकट लें/ आरक्षण की याकरन्ट, लम्बी क़तारें, धक्का धक्का, कुश्ती मुश्ती और पराकाष्ठा पर गाली गलौज, सब को जल्दी ॥
.. गाड़ी का इन्तज़ार , इन्क्वायरी पर भीड, सब को अपडेट की फ़िकर , किसी को प्लेटफ़ार्म बदलने का डर॥
गाडी आ गयी… तो उसपे चिपकी लिस्ट में अपना नाम सीट का नम्बर देखने की लालसा॥
अब सफर में जब ख़ाली हुए तो चिपकी पूरी लिस्ट को खोखला डालने की चेष्टा कौन कहाँ से कहाँ, कौन किस किस उम्र का फिर सफर अच्छा कटे उसके आसपास चक्कर ॥
पढोसी बातूनी हुआ तो सफर कटने में आसानी, नहीं तो बस खिड़की से झांका झुकी॥
कभी कभार अच्छी दोस्ती भी मिली, भाई बहनों को॥
आज —- सब बदल गया, साफ सुथरे प्लेटफ़ॉर्म , साख सुथरी गाड़ियाँ और सब कुछ मोबाईल पर, हर पल की सूचना॥
कोई किसी को देखे /ना देखें मोबाइल पर उसकी दुनिया चल रही॥ अब सब डिब्बे में मिलता है, खाना बिस्तर॥ तब हम बडे संदकों गोल्डी और खाने की पोटलियों के साथ चलते थे, अगर कुछ गिनती पर्यटन करना हैं॥
.. अब तो कोच में घुसते ही चार्जिंग पोईन्ट पर क़ब्ज़ा करता है, झगड़े कुछ होने हुए तो वहाँ हो सकते हैं॥
चलो बन्द करें
शायद हमारा स्टेशन आने वाला है॥
जय राम जी की।