शहीदों के शहर से हरीगढ की यात्रा
शहीदों के शहर से हरीगढ की यात्रा
570 किमी - सम्भावित समय 12 घंटे, निरे टौल, त्यौहारों के दिनये सब सोच सोच कर कल की होने वाली एक मुश्त यात्रा सोच कर कुछ कुछ विचलित हो रहे थे॥॥ लेकिन क्या मजालः ऊपर वाले की कृपा …सीधे सीधे बिना अवरोधों के यहाँ पहुँच गये अंदाज से एक घंटा पहिले॥
दीवाली का अगला दिन . लोग थक कर त्यौहार के फुरसत लम्हों में आपस में मिल जुल रहे होंगे .. बस ये ही सुखद सुख रहा रोड पर अत्यधिक ट्रैफिक ना होने का॥॥ फिर भी NH5 पर एक दो तरो ताज़ा एक्सीडेंट्स ज़रूर हाई वे पर मिले जहां कार बड़े भारी भरकम टेलर में धँस के खुरचिये रूप में दीखी या दो मोटर साइकिल पैरेलल होते भिड उलझ कर टूटे फूटे दीखे रुकी भीड़ के साथ॥ टू वे रोड के बाद भी हम कुछ कहीं ना कहीं उलझा जो लेते हैं जल्दबाज़ी में॥.. फिर भी मुरथल , हरियाणा के मन्नत हवेली और ना जाने कितने अतिआधुनिक स्तर के बढ़े बढ़े ढाबे ज़रूर आबाद थे पार्किंग की किच-किच और टेबुल पाने में भी कुछ मिनिट का इंतज़ार -लेकिन ख्याति के अनुसार सर्विस फ़ास्ट॥
एक घंटे के ब्रैक में सारा खाना पीना इंतज़ार सब पूरा हुआ , और अगले यात्रा सोपान पर निकल पढ़े॥ प्रदूषण मानकों से अक्सर चर्चा में रहने वाली व्यस्त दिल्ली के पार करना था बेटा परिवार को छोड़ते .. लेकिन कमाल देखिये वो भी गुज़र पडा जल्दी जल्दी॥
आगरा एक्सप्रेस वे तो ठीक उम्मीद बनाता है लेकिन उससे उतरते ही चट्टारी और खैर गाँव के बीच से गुजरना सदैव यात्रा को 1 घंटा या ज्या अवरोध और उबाऊ बनाते हैं… लेकिन देखा हर समय एक सा नहीं ही होता, ये देखने को मिला … मज़ेदार ये कि हम वहाँ पर भी तीसरे चौथे गीयर पर चलते आये ॥ और अपने शहर की जान समद रोड और मैरिस रोड को दीवाली पर सजे धजे अंदाज़ा रौनक़ में देखा विकास स्वीट , डब्बू नमकीन,जलाली गजक सब भीड़ से ख़ाली॥ऐसे क़िला फ़तह हुआ जी॥
……… ये सब था क्यूँ कि दीपावली का अगला दिन था, लोग मिलने जुलने में होते हैं, बीते कल तक जेब ख़ाली कर चुके होते हैं याताशबाजी में कर रहे होते हैं समय पास ॥
सारा का सारा रोड सफर … उतने इत्मिनान से हुआ, हमारे लिये ॥
बस लगा जितने बुरे की कल्पना कर के चला जाय और हो उल्टा, सोच सकते हैं कितना सुखकर होती है वो रात जो यात्रा समाप्ति पर मिले॥अब आज भिड़ना है अवध यात्रा के लिये जीटी रोड राईड पर॥ सिकन्दराराऊ और छिबरामऊ की नगरीय भीड़ से॥
अरे हाँ …… आपको जिज्ञासा अभी तक होगी ये शहीदी शहर और हरीगढ से ये गूगल मेप पर कहाँ हैं, तो बता दूँ शहीदी शहर तो कहलाता है पंजाब का फ़ीरोज़ पुर जो भगत सिंह -गुरुदेव -.. के बलिदानों से कहा जाता है और हरीगढ आज की तालानगरी अलीगढ़ है, जो आजकल हिन्दुत्व की विरासती हवा में नगर निगम द्वारा बदलने को प्रस्तावित हुई है॥
….. चलिये गुड बाई / फिर मिलेंगे किन्ही पलों में, आपने /उसने चाहा तो॥