धागों में बंधी तुम
धागों में बंधी तुम
बांधती सभी को।क्या पाया
क्या देखा तुम ने!
कदाचित लगा तुम भी
ट्रैकर हो.सैलानी हो. बंजारा हो
हमारी तरह॥
लेकिन वो भी ग़लत ही लगा
जब तुम नहीं छोड़ी टीम को
बस के पीछे भागना
बस के चलने पर
तुम्हारी झलकती परेशानी
कुछ टूटने के भाव
जो मैंने पढ़े थे॥
मैंने ही नहीं सब ने महसूसे थे॥
क्या रिश्ता बना
तुम घर आँगन छोड़ चली आयीं॥
तुम क्या हो
किस रिश्ते में बंधी हो॥
पहली बार लगा जीवन में
भाव तुम्हारे पढ़ कर
एक तुम्हारे प्रेम भाव ने
सब को उद्वेलित कर डाला
प्रेम शक्ति का वो था प्रदर्शन
जो हम ने पाया॥
तुम कौन हो?
क्या हो?
किस रिश्ते में हो सब से?
तुमने शायद
पाया होगा अपने जैसा हम सब को
बेघरबार, टैन्ट में सोते
जोड़ा होगा शायद ऐसे॥
और चल पड़ी संग हमारे साथी अगली सुबह
ट्रैकिंग पर जंगल जंगल मैदान पहाड॥
कभी आगे आगे कभी पीछे
गाईड के माफ़िक़
॥
लगा
अगली सुबह जब फिर तुम टीम से पहिले बढ चलीं
पूरे दिन सूखे झरनों के उतारों पर
टूटे पेड़ों के दायें बाये
जंगल के झंकारों से
नदी नालों को छलाँगती
हमारी तरह॥
अब तो पराकाष्ठा का वक्त लगा
जो तुमसे ना भी जुड़ा था
वो भी जुडा तुम से
नतमस्तक हुआ
तुम्हारे जुडाव से
जब ट्रैकिंग पूरी कर
बस पर थे हम
।
और तुम दोडने लगी बस के पीछे
अब तो तुम्हें गाड़ी में साथ ले चलने का सब का 31 का मन बना दिया तुम ने॥
दरवाजा खोला
तो संकोच भाव से तुम चढ़ गयी॥
एक बार फिर तुम जीतीं
सब बारे॥
अब क्या होगा
जब सब पंजी से भी
सब अपने घर चले जायेंगे
कौन तुम्हें कैसे कहाँ दूर
ले जायेगा
साथ अपने॥
गांव गाँव की फाँक मार कर
शायद तुम्हें गोवा की इन गलियों में भटकना पड़े
निराश होकर
॥
नहीं
शायद नहीं
तुम तो वो हो जो प्यार में सब को
अपना बना लेती हो
हर कोई
तुम्हें अपना लेगा॥
प्यार होने की शक्ति को
हमने तुमसे जाना॥
कोई कुछ तुम्हारा नाम भी को नहीं॥
… सब भविष्य
सबका अपना अपना
तुम्हारा भी होगा
ओ छोटी सी कुतिया॥